रक्तपानी की महिला ने जंगल में दिया था शिशु को जन्म
वर्तमान में सृजन फांउडेशन चाइल्ड लाइन बना आसरा
गुमला : लकोट प्रखंड के जंगल में नवजात को जन्म देने वाली विक्षिप्त महिला की पहचान हो गयी है. वह रक्तपानी गांव डोमराईन उरांव है. वह शादीशुदा है और उसके पति का नाम बली उरांव है, जो वाहन चालक है. सृजन फाउंडेशन चाइल्ड लाइन ने महिला के घर व उसके परिजनों को खोज निकाला है. अभी महिला गुमला के सिलम घाटी स्थित नारी निकेतन में है. साथ में उसकी नवजात बच्ची भी है. बुधवार को महिला की सौतन सुषमा उरांव उससे मिलने पहुंची और उसकी पहचान अपने पति की पहली पत्नी के रूप में की.
डोमराइन की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने व नवजात बच्ची का इलाज होने के कारण अभी दोनों नारी निकेतन में ही रहेंगे. सृजन फाउंडेशन के सूरज केशरी ने बताया कि 15 दिन पहले डोमराइन पालकोट बस पड़ाव में अपनी बच्ची के साथ मिली थी. जंगल में नवजात को जन्म देने के बाद वह उसे लेकर घूम रही थी. महिला व नवजात को सीडब्ल्यूसी के संरक्षण में लेकर गुमला लाया गया. गुमला अस्पताल में इलाज के बाद दोनों की स्थिति में सुधार हुई.
तीन साल पहले निकली थी घर से
पालकोट प्रखंड के रक्तपानी गांव से गुमला आयी सुषमा उरांव ने बताया कि डोमराइन उसके पति बली उरांव की पहली पत्नी है. तीन साल पहले मानसिक स्थिति खोने के बाद वह लापता हो गयी थी. अचानक कुछ लोगों ने बताया कि वह गुमला के नारी निकेतन में है. उसके कहा कि वे लोग गरीब हैं और इलाज नहीं करा सकते. अगर प्रशासन इलाज करवा दें तो मेहरबानी होगी.
मां व बच्ची को मिले गरम कपड़े
समाजसेवी सह चैंबर के पूर्व अध्यक्ष रमेश कुमार बुधवार को नारी निकेतन पहुंचे. उन्होंने महिला व नवजात शिशु के लिए गरम कपड़ा व नये वस्त्र दिये. श्री कुमार ने कहा कि अखबार से उन्हें पता चला था कि इस महिला ने जंगल में बच्चे को जन्म दिया था. यदि उसके साथ गलत हुआ है तो प्रशासन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें.