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तबाही मचाने को आतुर है यह नदी

गंडक की त्रासदी रोकने में 85 करोड़ खर्च, फिर भी मंडरा रहा बाढ़ का खतरा कालामटिहनिया : गंडक नदी का कालामटिहनिया में दबाव बढ़ता जा रहा है. नदी के बढुते दबाव से बाढ़ नियंत्रण विभाग के होश उड़ गये हैं. इलाके के लोगों की नींद हराम हो गयी है. नदी के जल स्तर पर मंगलवार […]

गंडक की त्रासदी रोकने में 85 करोड़ खर्च, फिर भी मंडरा रहा बाढ़ का खतरा
कालामटिहनिया : गंडक नदी का कालामटिहनिया में दबाव बढ़ता जा रहा है. नदी के बढुते दबाव से बाढ़ नियंत्रण विभाग के होश उड़ गये हैं. इलाके के लोगों की नींद हराम हो गयी है. नदी के जल स्तर पर मंगलवार को भी वृद्धि दर्ज की गयी है.
कालामटिहनिया में कटाव और दबाव को रोकने के लिये 15.67 करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है. जबकि पतहरा में 69.79 करोड़ की राशि खर्च की गयी है. नदी की धारा ने कालामटिहनिया में विभाग को मुश्किल में डाल दिया है. यहां 50-50 मीटर में दो जगह कराये गये बचाव कार्य नदी में समा गये. नदी के बिगड़े मिजाज को देख आनन-फानन में बाढ़ नियंत्रण विभाग ने यहां बचाव कार्य को युद्ध स्तर पर शुरू किया है, जिसमें सीवान के अधीक्षण अभियंता जितेंद्र कुमार सिंह की मौजूदगी में पार्कोपाइन डाल कर नदी के वेग को कम करने का प्रयास किया जा रहा है.
बचाव कार्य में जुटे संवेदकों को भी हाइअलर्ट पर रखा गया है. अभियंताओं की टीम लगातार यहां मॉनीटरिंग कर रही है. सीवान प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता नवल किशोर सिंह की टीम यहां कैंप कर रही है. फिर भी स्थिति सामान्य नहीं दिख रही.: बाढ नियंत्रण विभाग की कोशिशों पर सवाल खड़ा करते हुए कालामटिहनिया के देवनाथ प्रसाद, राम कुमार, वीरेंद्र सहनी आदि का दावा है कि जिस प्रकार बचाव कार्य विभाग ने कराया है, उससे नदी के रुख को रोक पाना मुश्किल है. नदी यहां कभी तबाही मचा सकती है, अभी न तो बारिश हुई और न गंडक नदी में बाल्मिकी नगर से लाख दो लाख क्यूसेक जल डिस्चार्ज किया गया है. अभी तो 15 हजार क्यूसेक जल के डिस्चार्ज पर यहां कटाव और दबाव शुरू हो गया है, तो एक लाख से अधिक डिस्चार्ज होने पर क्या होगा.गंडक नदी वर्ष 2016 में व्यापक तबाही मचा चुकी है. जिससे बाढ़ नियंत्रण विभाग के दावे पर यहां के लोगों पर भरोसा नहीं हो रहा.
वार्ड नं तीन,पांच व 11 में कटाव हुआ, जिसमें अहिरटोली, गोड़ टोला, बढ़ई टोला, बरइ टोला, विशंभरपुर, मौजे, हजाम टोला का अस्तित्व समाप्त हो चुका है. नदी ने जनवरी, 2017 तक कटाव किया. नदी के रुख को रोक पाना मुश्किल है.
शिफ्ट कर दी नदी
कालामटिहनिया से 20 किमी उत्तर चंपारण के इलाके में गंडक नदी की मुख्य धारा थी. वहीं नदी शिफ्ट करते हुए कालामटिहनिया तक का सफर पिछले चार पांच वर्षों में तय कर चुकी है. दियारा संघर्ष समिति के संयोजक अनिल मांझी का मानना है कि नदी के शिफ्ट करने से स्थिति बिगड़ रही है. प्रकृति की प्रवृत्ति को बदलना मुश्किल दिख रहा है. वैसे विभाग की तरफ से किये गये प्रयास काफी सकारात्मक हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
गंडक नदी के नेचर को समझ पाना मुश्किल है, वैसे बाढ़ विशेषज्ञों की टीम ने लगातार यहां मुआयना करने के बाद जो भी सुझाव दिये हैं, उसके अनुरूप बचाव कार्य किया गया है. अभी पूरी तरह से तटबंध और इलाका सुरक्षित है. नदी का पानी काफी कम है. घबराने की जरूरत नहीं है.
कुमार जयंत, मुख्य अभियंता, बाढ़ नियंत्रण विभाग

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