स्वच्छता के लिए शहर को चाहिए शौचालय
गोपालगंज : खुले में शौच की प्रथा खत्म हो, सड़क से शहर तक स्वच्छ हो. स्वच्छता के मुहिम को गति देने के लिये इस शहर को भी शौचालय की आवश्यकता है. बात ऐसी नहीं कि शहर में शौचालय नहीं है, बल्कि जो है वह आबादी के हिसाब से बहुत कम है. वर्तमान में प्रतिदिन औसतन […]
गोपालगंज : खुले में शौच की प्रथा खत्म हो, सड़क से शहर तक स्वच्छ हो. स्वच्छता के मुहिम को गति देने के लिये इस शहर को भी शौचालय की आवश्यकता है. बात ऐसी नहीं कि शहर में शौचालय नहीं है, बल्कि जो है वह आबादी के हिसाब से बहुत कम है. वर्तमान में प्रतिदिन औसतन 50 हजार लोग शहर आते हैं. इसके अलावा शहर की स्थायी आबादी है. शहर में वर्ष 2002 के बाद एक भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण हुआ है. उस समय की अपेक्षा शहर की आबादी और शहर आने वालों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन सार्वजनिक शौचालय डेढ़ दशक में एक भी नहीं बना. शहर में सार्वजनिक शौचालय की संख्या कम होने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानी आधी आबादी को होती है. ऐसे में इस शहर को और सार्वजनिक शौचालय और यूरिनल की आवश्यकता है.
नप ने दो वर्ष पूर्व बनायी थी योजना : शहर में सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय बनाने के लिए शहरी विकास मंत्रालय के निर्देश पर वर्ष 2015 में नगर पर्षद द्वारा सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय बनाने के लिए योजना बनायी गयी, लेकिन अब तक इसके लिए प्रारूप भी तैयार नहीं किया गया.
योजना के अनुसार में शहर में आधा दर्जन से अधिक सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय बनाये जाने थे, लेकिन यह योजना आज तक धरातल पर नहीं उतरी.
आज भी जारी है लोटा परेड : शहर की आबादी 75 हजार से अधिक है. यहां की 30 फीसदी आबादी आज भी शौच के लिये लोटा परेड में लगी है. इसका नजारा सुबह और शाम सड़क किनारे प्रतिदिन दिखता है. इस कुप्रथा से मुक्ति पाने के लिए सोच के साथ व्यवस्था भी बदलनी होगी.
शहर और शौचालय
कुल आबादी – 75 हजार
आनेवालों की संख्या 50 हजार
शौचालय विहीन घर -2970
सार्वजनिक शौचालय – 07
सामुदायिक शौचालय – 00
क्या कहता है नगर पर्षद
घरों में शौचालय बनवाने का काम चल रहा है. सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय बनवाने के लिए जगह की तलाश की जा रही है. कुछ जगह को चिह्नित भी किया गया है. काम जल्द कराया जायेगा.
हरेंद्र कुमार चौधरी, मुख्य पार्षद, नप, गोपालगंज
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