इससे पहले सुबह सात बजे श्रीलंका बौद्ध मठ से एक शोभायात्रा निकाली गयी व इसमें धातु अवशेषों को शामिल किया गया. बौद्ध श्रद्धालु व भिक्षुओं ने अपने कंघों पर उठा कर अस्थि कलशों को श्रीलंका मंदिर से महाबोधि तक ले गये और मंदिर की परिक्रमा कर वापस उसे जयश्री महाबोधि महाविहार में रखा गया. कड़ी सुरक्षा के बीच श्रद्धालुओं ने धातु अवशेषों का दर्शन किया. इस दौरान सूबे के समाज कल्याण मंत्री मंजु वर्मा ने भी श्रीलंका मठ पहुंच कर बुद्ध व उनके शिष्यों के धातु अवशेषों का दर्शन किया. मंत्री ने महाबोधि मंदिर में पूजा-अर्चना भी की.
इसके अलावा यहां फोटो प्रदर्शनी भी लगायी गयी है, जिसमें अनागारिक धर्मपाल के साथ जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी व विभिन्न देशों के राजनेताओं वाली तसवीर लगायी गयी है. श्रीलंका बौद्ध मठ के भिक्षु प्रभारी सह सोसाइटी के संयुक्त सचिव वेन के मेदंकर थेरो ने बताया कि फोटो प्रदर्शनी व धातु अवशेष का दर्शन श्रद्धालु मंगलवार व बुधवार को भी सुबह आठ से 11 बजे तक कर सकेंगे. इसके बाद बुधवार की दोपहर दो बजे कालचक्र मैदान से 80 फुट बुद्ध मूर्ति तक अस्थि कलश के साथ शोभायात्रा निकाली जायेगी. इसमें करमापा के भी शामिल होने की संभावना है.