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Friday, March 29, 2024

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विकास के नाम पर लूटी जा रही है जमीन : जयप्रकाश

अखिल भारतीय आदिवासी महासभा की प्रखंड इकाई ने बड़गड़ के गोठानी में नीलांबर-पीतांबर की शहादत दिवस मनाया आदिवासियों के बीच सदस्यता अभियान की शुरुआत की गयी बड़गड़. 28 मार्च 2017 को गोठानी मिशन स्कूल मैदान में नीलांबर-पीतांबर शहादत दिवस का आयोजन अखिल भारतीय आदिवासी महासभा की प्रखंड इकाई ने गोठानी मिशन स्कूल के मैदान में […]

अखिल भारतीय आदिवासी महासभा की प्रखंड इकाई ने बड़गड़ के गोठानी में नीलांबर-पीतांबर की शहादत दिवस मनाया
आदिवासियों के बीच सदस्यता अभियान की शुरुआत की गयी
बड़गड़. 28 मार्च 2017 को गोठानी मिशन स्कूल मैदान में नीलांबर-पीतांबर शहादत दिवस का आयोजन अखिल भारतीय आदिवासी महासभा की प्रखंड इकाई ने गोठानी मिशन स्कूल के मैदान में अमर शहीद नीलांबर-पीतांबर का शहादत दिवस मनाया गया. प्रखंड कमेटी के अध्यक्ष अर्जुन मिंज की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश मिंज उपस्थित थे. समारोह की शुरुआत मुख्य अतिथि व समारोह में आये लोगों द्वारा शहीद वेदी पर पुष्पाजंलि अर्पित कर की गयी.
इस अवसर पर अपना विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि श्री मिंज ने कहा कि हमें इस बात का गर्व है कि नीलांबर-पीतांबर जैसे महान योद्धाओं का जन्म बड़गड़ प्रखंड के चेमो सनया जैसे सुदरवर्ती गांव में हुआ था. दोनों भाइयों ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों व उनके जमींदार पिट्टूओं के खिलाफ आदिवासियों व किसानों को संगठित कर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे. इनकी ताकत को लोहा मानते हुए अंततः इन्हें घेरने के लिए अंग्रेजों को भारी फौज उतारना पड़ा. वे गिरफ्तार किये गये तथा लेस्लीगंज में उन्हें फांसी दे दी गयी. बावजूद इसके वे अंग्रेजों के आगे झुके नहीं. उन्होंने कहा कि झारखंड के इतिहास में बाबा तिलका मांझी से लेकर नीलांबर-पीतांबर तक लगभग 200 वर्षों का काल आदिवासियों के संघर्ष का काल रहा है. आदिवासियों का यह संघर्ष मुख्य रूप से भूमि व स्वाभिमान की रक्षा पर केंद्रित था. उन्होंने कहा कि दुखद स्थित यह है कि आज इस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश सरकार के शासन के इतने साल बाद भी आदिवासियों की स्थिति पूर्ववत बनी हुई है. विकास के नाम पर आदिवासियों के जमीन की लूटी जा रही है. जमीन लूट को आसान बनाने के लिए सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन किया जा रहा है. आदिवासियों का प्रतिशत घटाने के लिए स्थानीय नीति बनायी जा रही है.
उन्होंने कहा कि यदि अपने पूर्वजों से प्रेरणा लेकर संगठित होकर संघर्ष नहीं करेंगे, तो आनेवाले दिन में उनका नामोनिशान मिट जायेगा. अध्यक्ष अर्जुन मिंज ने कहा कि आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए सबसे अधिक संगठित होने की आवश्यकता है.
उन्होंने कहा कि आदिवासियों के दुश्मन आदिवासियों के छद्म मित्र बनकर आदिवासियों में जाति व धर्म के नाम पर फूट पैदा कर रहे हैं. प्रखंड सचिव बुधलाल केरकेट्टा ने कहा कि हम आदिवासियों की संस्कृति जल-जंगल और जमीन पर टिकी हुई है. जिस दिन यह हमारे हाथ से निकल जायेगी, वे अमेरिका के रेड इंडियंस की तरह समाप्त हो जायेगी. कार्यक्रम में मिलयानुस केरकेट्टा, ईश्वरी सिंह, सुकन कोरवा, सुलेमान तिर्की, आनंद प्रकाश तिर्की, बिरद लकड़ा, केशव टोप्पो, जगदीश तिर्की, जयमसीह मिंज, बुधलाल केरकेट्टा एवं पीतांबर सिंह ने भी विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम के अंत सदस्यता अभियान की शुरुआत की गयी. इस मौके पर काफी संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे.
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