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केंद्रीय कैबिनेट ने किये कई अहम फैसले, निवेश करने वाले विदेशी खरीद सकेंगे घर

नयी दिल्ली : देश में कम से कम 10 करोड़ रुपये तक का निवेश लाने वाले विदेशी निवेशकों को अब निवासी का दर्जा दिया जा सकता है जिससे वह देश में मकान खरीद सकेंगे और उनके लिए वीजा व्यवस्था उदार की जाएगी. उनके परिवार के सदस्यों को नौकरी का अवसर और अन्य सहूलियतें दी जाएंगी. […]

नयी दिल्ली : देश में कम से कम 10 करोड़ रुपये तक का निवेश लाने वाले विदेशी निवेशकों को अब निवासी का दर्जा दिया जा सकता है जिससे वह देश में मकान खरीद सकेंगे और उनके लिए वीजा व्यवस्था उदार की जाएगी. उनके परिवार के सदस्यों को नौकरी का अवसर और अन्य सहूलियतें दी जाएंगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज अधिक विदेशी कोष आकर्षित करने के मकसद से एक नई नीति को मंजूरी दी है, जिसमें विदेशी निवेशकों के लिए ये लाभ शामिल किए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरण जेटली ने कहा, ‘‘यदि भारत मेंआप एक न्यूनतम स्तर का निवेश करते हैं, तो आपको वीजा उपलब्ध होगा साथ ही संपत्ति खरीदने का अधिकार मिलेगा, परिवार के सदस्यों को नौकरी का अवसर मिलेगा. इस बारे में एक विस्तृत नीति को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है.’

इस योजना से भारत में विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और मेक इन इंडिया कार्यक्रम को सुगमता से आगे बढाने में मदद मिलेगी. योजना के तहत वीजा मैनुअल मेंउचित प्रावधान शामिल किए जाएंगे जिससे विदेशी निवेशक को स्थायी निवासी का दर्जा प्रदान किया जा सके.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि बहु प्रवेश के साथ स्थायी निवासी का दर्जा दस साल के लिए दिया जाएगा. यदि ऐसे व्यक्ति के खिलाफ किसी तरह का प्रतिकूल नोटिस नहीं होता है, तो इसकी अवधि दस साल और बढाई जा सकती है. यह योजना सिर्फ उन विदेशी निवेशकों के लिए होगी जो तय पात्रता शर्तें पूरी करेंगे. बयान में कहा गया है कि इस योजना का लाभ लेने के लिए विदेशी निवेशक को कम से कम दस करोड रुपये का निवेश करना होगा, जिसे 18 महीने मेंलाना होगा. या फिर 25 करोड रुपये का निवेश करना होगा, जिसे 36 महीनों में लाना होगा. इसके अलावा विदेशी निवेश से प्रत्येक वित्त वर्ष में 20 निवासी भारतीयों को रोजगार मिलना चाहिए.
शत्रु सम्पत्ति अधिनियम संशोधन विधेयक
सरकार ने शत्रु सम्पत्ति अधिनियम संशोधन विधेयक में संशोधन करने वाले अध्यादेश को जारी किए जाने को कार्योत्तर प्रभाव से आज स्वीकृति प्रदान की. यह अध्यादेश चौथी बार जारी किया गया है. शत्रु सम्पत्ति अधिनियम करीब पांच दशक पुराना है. इसे देश में उन लोगों की सम्पत्तियों पर उत्तराधिकार या हस्तांरण की दावेदारी के निषेध के लिए बनाया गया जो विभिन्न लडाइयों में भारत को छोड कर पाकिस्तान या चीन चले गए हैं.
अध्यादेश पुन: जारी किए जाने को कार्योत्तर स्वीकृति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में दी गयी. बैठक के बाद वित्त मंत्री अरण जेटली ने बताया, ‘मंत्रिमंडल ने आज इस अध्यादेश को पुन:जारी किए जाने को कार्योत्तर स्वीकृति दी. ‘ राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शत्रु सम्पत्ति अधिनियम ( 1971 के अनधिकृत निवासियों का निष्कासन अधिनियम ) को संशोधन करने वाले अध्यादेश को रविवार की रात पुन: जारी किया. इस मामले से संबंधित विधेयक राज्य सभा में लंबित है.
शत्रु सम्पत्ति का अर्थ ऐसी सम्पत्ति से है जो किसी शत्रु देश, उसके आश्रित या शत्रुदेश की फर्म की है या उसके द्वारा प्रबंधित है. ये संपत्तियां शत्रु संपत्ति कानून के तहत नियुक्त कस्टोडियन की देखरेख में रहतीं हैं. कस्टोडियन का यह कार्यालय केंद्र सरकार के तहत आता है. वर्ष 1965 की भारत-पाकिस्तान लडाई के बाद वर्ष 1968 में शत्रु संपत्ति कानून बनाया गया. इस कानून के तहत इन संपत्तियों का नियमन किया जाता है. अध्यादेश को पहली बार 7 जनवरी को जारी किया गया. इससे संबंधित विधेयक 9 मार्च को लोकसभा ने पारित कर दिया और बाद में इसे राज्य सभा में प्रवर समिति के सुपुर्द किया गया.
अंतर्देशीय जल परिवहन निगम को भंग करने की मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय अंतर्देशीय जल परिवहन निगम (सीआईडब्ल्यूटीसी) को विसर्जित करने की मंजूरी दे दी है. सरकार ने कंपनी को परिसमाप्त करने का यह कदम ऐसे सार्वजनिक उपक्रमों को खत्म करने की नीति के तहत उठाया है जिनका पुनरोद्धार संभव नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता मेंआज हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सीआईडब्ल्यूटीसी को भंग करने की मंजूरी दी गई है. एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि सीआईडब्ल्यूटीसी में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) को वर्ष 2015 मेंक्रियान्वित किया गया था.
सीआईडब्ल्यूटीसी का गठन फरवरी, 1967 में किया गया था. कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा मंजूर योजना के तहत इसने पूर्ववर्ती रिवर स्टीम नेविगेशन कंपनी लि. की संपत्तियों और देनदारियों का अधिग्रहण किया था. बयान में कहा गया है कि विरासत में मिली बाध्यताओं तथा ढांचागत अडचनों की वजह से सीआईडब्ल्यूटीसी का परिचालन कभी भी आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं रहा और स्थापना के बाद ही कंपनी लगातार नुकसान में चल रही है.
फिलहाल कंपनी में सिर्फ पांच कर्मचारी हैं. इसकी सम्पत्तियों का निस्तारण कर इस कंपनी को अब समाप्त कर दिया जाएगा. सरकार का कहना है कि इससे इसकी सम्पत्तियां मुक्त होंगी और उनका अच्छा उपयोग किया जा सकेगा तथा लोगों का फायदा होगा. कुछ सम्पत्तियां भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकारण ले सकता है और उनका इस्तेमाल राष्ट्रीय जलमार्ग-4 (ब्रह्मपुत्र नदी) में सेवाओं पर इस्तेमाल किया जा सकता है.

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