नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने घरेलू स्तर पर विनिर्मित उत्पादों को तरजीह देने के लिए सार्वजनिक खरीद नीति को मंजूरी दे दी है. इस कदम का मकसद ‘मेक इन इंडिया’ पहल को प्रोत्साहन देना है. वाणिज्य मंत्रालय ने कई ट्वीट कर कहा है कि इस कदम से स्थानीय विनिर्माण में मदद मिलेगी और घरेलू स्तर पर विनिर्मित उत्पादों की मांग बढ़ेगी. मंत्रालय ने कहा है कि एक न्यूनतम स्थानीय अंश के आधार पर सार्वजनिक खरीद में (स्थानीय वस्तुओं को) प्राथमिकता. यदि पर्याप्त स्थानीय आपूर्ति और प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हो रही हो, तो 50 लाख रुपये तक की खरीद के लिए केवल स्थानीय आपूर्तिकर्ता ही पात्र होंगे.
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मंत्रिमंडल की बैठक का ब्योरा देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि घरेलू स्तर पर विनिर्मित उत्पादों के लिए मामले प्राथमिकता ‘मेक इन इंडिया आदेश 2017 में सरकारी खरीद में तरजीह’ के तहत दी जायेगी. मंत्रालय ने कहा है कि पात्रता नियम-शर्तें गैर अंकुश वाली होंगी और निविदा में इनसे बचा जायेगा. उन्होंने आगे कहा कि 50 लाख रुपये से अधिक की खरीद में स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं से खरीद को तरजीह देने के लिए कीमत में 20 फीसदी मार्जिन दी जायेगी. मंत्रालय ने कहा कि सार्वजनिक खरीद में मेक इन इंडिया प्राथमिकता का क्रियान्वयन स्थायी समिति देखेगी.
होटल जनपथ बंद होगा, बनेंगे सरकारी दफ्तर
मंत्रिमंडल ने राजधानी में भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) के जनपथ होटल को बंद करने की अनुमति दे दी. अब इस संपत्ति का उपयोग सरकारी दफ्तर के लिए किया जायेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में होटल जनपथ की संपत्ति को शहरी विकास मंत्रालय को सौंप देने की ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दे दी गयी.
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, जनपथ होटल दिल्ली शहर के पॉश इलाके में स्थित है. इसकी संपत्ति का उपयोग सरकारी दफ्तरों के निर्माण या इसी प्रकार के अन्य काम के लिए किया जा सकता है, जो सरकारी कामकाज के लिए किराये पर लिये जाने वाले दफ्तरों के खर्च में सरकार के कोष की बचत करेगा. होटल जनपथ को बंद करने का निर्णय सरकार ने आईटीडीसी के भोपाल, गुवाहाटी और भरतपुर स्थित होटलों से बाहर आने के फैसले के एक महीने के भीतर लिया है. इसकी संपत्ति के भूमि उपयोग और परियोजना के लागू करने की बारीकियों पर मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति विचार करेगी.
गन्ने की कीमत में 25 रुपये क्विंटल इजाफा
उधर, सरकार ने गन्ना उत्पादक राज्यों में लगभग पांच करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया है. एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है, जिसे चीनी मिलों को किसानों को देना होता है. इसे 230 रुपये से बढ़ाकर अक्तूबर में शुरू होने जाने वर्ष 2017-18 के लिए 255 रुपये किया गया है. आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस संबंध में एक प्रस्ताव को मंजूरी दी.
यूपी में गन्ना की कीमत केंद्र के तय मूल्य से होती है अधिक
उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्य मिलों के लिए अपनी ओर से गन्ने का अपना राज्य परामर्श-मूल्य (एसएपी) घोषित करते हैं, जो केंद्र द्वारा तय मूल्य से ऊंचा होता है. पंजाब और हरियाणा जैसे अन्य प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य भी एसएपी जारी करते हैं. जो केंद्र के एफआरपी से कहीं अधिक होता है. उत्तर प्रदेश ने चालू वर्ष 2016-17 में गन्ने की दो किस्मों के लिए एसएपी 305 रुपये और 315 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है.
योगी आदित्यनाथ की सरकार को करना होगा बढ़े दामों की घोषणा
गन्ना के एफआरपी में केंद्र सरकार के संशोधन किये जाने के बाद कानून व्यवस्था की समस्या का सामना कर रही दो माह पुरानी योगी आदित्यनाथ सरकार को उत्तर प्रदेश के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अधिक दरों की घोषणा करनी पड़ सकती है. योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद पहला अहम फैसला किसानों की ऋण माफी थी.