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झारखंड में ही दम तोड़ रही पीएम मोदी की उज्जवला योजना, लकड़ी के धुएं में अब भी रसोर्इ पका रहीं बीपीएल महिलाएं

नयी दिल्लीः बीमारू राज्यों में शुमार झारखंड से साल 19 अक्टूबर, 2017 को देश के बीपीएल परिवार की महिलाआें को लकड़ी के चूल्हे से छुटकारा दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वप्निल उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गयी थी. गौर करने वाली बात है कि उज्ज्वला योजना की शुरुआत करने वाला देश का पहला […]

नयी दिल्लीः बीमारू राज्यों में शुमार झारखंड से साल 19 अक्टूबर, 2017 को देश के बीपीएल परिवार की महिलाआें को लकड़ी के चूल्हे से छुटकारा दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वप्निल उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गयी थी. गौर करने वाली बात है कि उज्ज्वला योजना की शुरुआत करने वाला देश का पहला राज्य झारखंड है, लेकिन यह विडंबना ही है कि इस राज्य में ही पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. आलम यह कि सूबे के दूरस्थ गांवों की तो बात दूर, यहां की राजधानी रांची की कर्इ एेसी काॅलोनियां हैं, जहां की महिलाआें को आज भी लकड़ी के धुंए में आंख से आंसू बहाते हुए रसोर्इ पकानी पड़ रही है.

इस खबर को भी पढ़ेंः उज्‍ज्‍वला योजना में गड़बड़ी : लाभुक को कनेक्शन का पता नहीं, खाते में आ रही सब्सिडी

पिछले साल 15 अगस्त को उज्ज्वला योजना के शुरू होने के करीब तीन महीने पहले लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा करते हुए यह कहा था कि लकड़ी के चूल्हों पर रसोर्इ पकाने वाली महिलाआें को धुंए से निजात दिलाने के लिए उनकी सरकार ने करीब 100 दिनों के अंदर देश में 50 लाख लोगों को मुफ्त में रसोर्इ गैस के कनेक्शन दिये गये हैं. उन्होंने पहले की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा था कि बीते 60 सालों में देश के केवल 14 करोड़ लोगों को ही एलपीजी के कनेक्शन दिये गये आैर हमने केवल 60 सप्ताह में चार करोड़ एलपीजी के नये कनेक्शन दिये. उन्होंने यह भी कहा था कि बीपीएल परिवार की महिलाआें को मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन देने के लिए हमने 8,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना बनायी है, जिससे गरीब महिलाआें को लकड़ी के चूल्हे से छुटकारा मिलेगा.

लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी के इस दावे के अभी एक साल भी पूरे नहीं हुए हैं कि झारखंड में ही उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन पाने से यहां की बीपीएल परिवार की महिलाएं महरूम हैं. झारखंड की राजधानी रांची की लोहरा कूच्चा की करीब पांच दर्जन बीपीएल परिवार की एेसी महिलाएं हैं, जिन्हें सूबे में उज्ज्वला योजना के शुरू होने के करीब आठ महीने बाद भी एलपीजी कनेक्शन नहीं मिल सका है.

यहां की महिलाआें का कहना है कि उन्होंने इस योजना के तहत गैस का चूल्हा आैर एलपीजी कनेक्शन पाने के लिए यहां के जनप्रपतिनिधियों, खाद्य आपूर्ति विभाग के दफ्तरों आैर सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान चलाने वालों के पास चक्कर लगा चुकी हैं. इन महिलाआें का यह भी कहना है कि जनप्रतिनिधियों ने योजना के तहत लाभ देने के लिए आवेदन भी जमा करा लिया है, लेकिन इस बाबत पूछे जाने पर हमेशा यही कहा जाता है कि अभी तक उनका कनेक्शन नहीं आया है.

झारखंड की राजधानी रांची का लोहरा कूच्चा बस्ती ही एेसी जगह नहीं है, जहां के बीपीएल परिवार की महिलाआें को उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिल सका है. इस राज्य के 24 जिलों में से सैकड़ों एेसी बस्ती, गांव, काॅलोनी आैर मोहल्ले हैं, जहां के बीपीएल परिवार की महिलाएं इस योजना का लाभ लेने से वंचित हैं आैर उन्हें आज भी लकड़ी के चूल्हों पर भोजन बनाना पड़ रहा है.

झारखंड में उज्ज्वला योजना की यह स्थिति तब है, जब इस साल 11 मार्च को संसद में पूछे गये एक सवाल के जवाब में केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने दावा किया था कि मार्च, 2016 तक झारखंड के करीब 78,828 बीपीएल परिवार के लोगों को काॅरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत एलपीजी कनेक्शन दिये गये हैं. इसमें से अकेले 4,377 झारखंड की राजधानी रांची के बीपीएल परिवार के लोग शामिल हैं, जिन्हें काॅरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत एलपीजी कनेक्शन का लाभ दिया गया है. इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने नवंबर, 2016 में उत्तराखंड में आयोजित एक कार्यक्रम में यह दावा भी किया था कि उज्ज्वला योजना के तहत महज एक महीने के अंदर करीब 1.1 करोड़ बीपीएल परिवार की महिलाआें को गैस का चूल्हा उपलब्ध करा दिया गया है.

यहां यह बता देना भी जरूरी है कि उज्ज्वला योजना के तहत पूरे देश में पांच सालों के दौरान करीब 5 करोड़ बीपीएल परिवार के लोगों को एलपीजी का कनेक्शन दिया जाना है. इसमें से करीब 1.27 लाख कनेक्शन झारखंड के विभिन्न 24 जिलों के बीपीएल परिवार के लोगों को दिया जाना है. अब सवाल यह भी पैदा होता है कि जब पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस साल के मार्च में संसद को काॅरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत झारखंड के 78,828 बीपीएल परिवार के लोगों को एलपीजी कनेक्शन देने का दावा किया, तो फिर उज्ज्वला योजना के तहत दिये जाने वाले कनेक्शन का क्या हुआ? दूसरा यह कि अगर बीपीएल परिवार के इतने लोगों को एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध कराने के बावजूद झारखंड की राजधानी रांची समेत अन्य जिलों की ज्यादातर महिलाएं उज्ज्वला योजना के लाभ से वंचित हैं, यह भी गौर करने वाली बात है.

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