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जारी रहे रैनसमवेयर हमले, तो भारत को हो सकता है 1,17, 400 करोड़ रुपये का नुकसान

विश्वत सेन पिछले कुछ सालों से दुनिया भर में साइबर हमलों में तेजी आयी है. इस साल वर्ष 2017 के आरंभ से ही दुनिया के कर्इ देशों में रैनसमवेयर जैसे साइबर हमले किये जा रहे हैं. बीते दो महीने के दौरान यह दूसरा एेसा मामला है, जब ब्रिटेन समेत दुनिया के कर्इ देशों में रैनसमवेयर […]

विश्वत सेन

पिछले कुछ सालों से दुनिया भर में साइबर हमलों में तेजी आयी है. इस साल वर्ष 2017 के आरंभ से ही दुनिया के कर्इ देशों में रैनसमवेयर जैसे साइबर हमले किये जा रहे हैं. बीते दो महीने के दौरान यह दूसरा एेसा मामला है, जब ब्रिटेन समेत दुनिया के कर्इ देशों में रैनसमवेयर का हमला किया गया है, जिसका असर भारत पर भी पड़ रहा है. मंगलवार को इंटरनेट हैकरों द्वारा किये गये रैनसमवेयर हमले के बाद भारत के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट के कामकाज पर भी उसका असर पड़ा है. अगर दुनिया भर में इसी तरह रैनसमवेयर के हमले जारी रहे आैर उसका असर भारत में संचालित कंपनियों के कामकाज पर पड़ता रहा, तो आने वाले समय में भारत को करीब 1,17,400 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.

इस खबर को भी पढ़ियेः कहीं आभासी मुद्रा बिटक्वाइन को बढ़ावा देने के लिए तो नहीं कराये जा रहे साइबर हमले!

मीडिया में आ रही खबरों पर गौर करें, तो इंटरनेट हैकरों द्वारा रैनसमवेयर के हमले फिरौती के तौर पर बिटक्वाइन की वसूली के लिए किये जा रहे हैं. इस समय दुनिया में एक बिटक्वाइन की कीमत 1,710 डाॅलर है. यदि इसे हम भारतीय मुद्रा से तुलना करें, तो एक बिटक्वाइन की कीमत 1,09,078 रुपये हो जाती है. इसके साथ ही, भारत में वर्ष 2016 तक के सरकारी आंकड़ों के हिसाब से करीब 15,27,000 कंपनियों का पंजीकरण हुआ था, जिसमें करीब 10,76,000 कंपनियां देश में सक्रिय रूप से संचालित की जा रही थीं.

100 बिटक्वाइन की मांग पर एक कंपनी को करना पड़ सकता है 1,09,07,800 करोड़ का भुगतान

अब यदि हम एक अनुमान के तौर पर यह आकलन करें कि अगर एक कंपनी पर रैनसमवेयर हमला करने के बाद हमलावर उस कंपनी से फिरौती के रूप में 100 बिटक्वाइन की मांग करता है, तो एक कंपनी को करीब 1,09,07,800 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा. वहीं, यदि देश की 10,76,000 कंपनियों पर इंटरनेट हैकर रैनसमवेयर का हमला करके 100-100 बिटक्वाइन की मांग करता है, तो देश की तमाम कंपनियों को करीब 1,17,400 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा, जो भारत सरकार की आेर से वर्ष 2017-18 के बजट में शिक्षा पर किये जाने वाला खर्च या फिर रेलवे के कायाकल्प के लिए आवंटित की गयी राशि के बराबर होगा.

हवाला, कालाधन आैर आतंकी गतिविधियों में होता है बिटक्वाइन का इस्तेमाल

मीडिया में आ रही खबरों पर यकीन करें, तो दुनिया के देशों में रैनसमवेयर के हमले की सबसे बड़ी वजह आभासी मुद्रा बिटक्वाइन को माना जा रहा है. आम तौर पर इसका इस्तेमाल कालाधन, हवाला और आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है. हालांकि, भारत समेत दुनिया के कर्इ देशों में बिटक्वाइन को कानूनी मान्यता नहीं दी गयी है.

दुनिया भर के कारोबारियों को हो सकता है 210 खरब डाॅलर का नुकसान

हालांकि, पिछले साल 2016 में पूरी दुनिया में रोजाना रैनसमवेयर के 4000 से भी अधिक हमले किये गये. वहीं, 2015 में रैनसमवेयर के करीब 1000 मामले सामने आये. खबर यह भी है कि पिछले साल 2016 में किये गये साइबर हमलों की वजह से कारोबारी जगत को 30 खरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा था. कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि आने वाले दिनों में यह आंकड़ा 210 खरब डॉलर तक पहुंच सकता है.

भारत सरकार ने साइबर हमले से निबटने के लिए बनायी है समिति

इसी साल मर्इ के महीने में जब रैनसमवेयर का हमला किया गया था, तो सरकार की आेर से एेसे साइबर हमलों से निबटने के लिए एक समिति का गठन किया गया था, जिसमें साइबर विशेषज्ञों को शामिल किया गया था. हालांकि, मर्इ महीने में किये गये रैनसमवेयर के हमले में भारत के करीब 40,000 कंप्यूटरों पर इसका असर पड़ा था.

कितनी है बिटक्वाइन की कीमत

  • भारतः 1,09,078 रुपये
  • अमेरिकाः 1710
  • ब्रिटेनः 1337 पाउंड

कब-कब किये गये सबसे बड़े साइबर हमले

  • याहू (2013): ये अब तक का सबसे बड़ा डाटा चोरी का मामला था। इस साइबर हमले में करीब एक अरब अकाउंट से डाटा चोरी किया गया.
  • ईबे (2014): 14.50 करोड़ उपभोक्ताआें को पासवर्ड बदलने को कहा गया था. साइबर हमले में हैकर्स ने उपभोक्ताओं का पासवर्ड, नाम और जन्मतिथि जैसा डाटा चोरी कर लिया था.
  • सोनी (2014): सोनी पिक्चर एंटरटेनमेंट पर हुए साइबर हमले में 47 हजार कर्मचारियों और कलाकारों की निजी जानकारी लीक हो गयी थी.
  • यूएस सेंट्रल कमांड (2015): हैकर्स ने दावा किया कि सेंट्रल कमांड के यूट्यूब और ट्विटर के लिंक उन्होंने हैक कर लिये हैं. दावे को सच साबित करने के लिए कमांड का लोगो चेंज कर उसकी जगह एक नकाबपोश का चेहरा लगा दिया गया था.
  • एश्ले मेडिसन (2015): एडल्ट डेटिंग वेबसाइट को हैक करने के बाद हैकर्स ने इसके 3.7 करोड़ उपभोक्ताओं के नाम जाहिर करने की धमकी दी थी.
  • टॉक-टॉक (2015): करीब 1.57 लाख उपभोक्ताओं की निजी जानकारी हैकर्स ने हासिल कर ली. 15,656 अकाउंट्स नंबर, सॉर्ट कोड और क्रेडिट कार्ड जानकारी चोरी कर ली.
  • माय स्पेस (2016): माना जाता है कि 36 करोड़ पासवर्ड और ई-मेल कुछ साल पहले चोरी कर लिये गये. इन्हें छिपे हुए इंटरनेट मार्केटप्लेस में प्लेस किया गया.

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