नयी दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने शनिवार को कहा कि अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है. इससे विभिन्न मोर्चों पर निपटने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष कई चुनौतियां हैं. आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ रही है और निवेश नहीं बढ़ रहा है. इसीलिए हमें वृहद आर्थिक स्थिरता बनाये रखते हुए एक साथ कई मोर्चों (विनिमय दर, सार्वजनिक निवेश) पर इससे निपटना होगा. उन्होंने कहा कि फंसे कर्ज की समस्या भी प्रमुख चिंता का विषय है. सुब्रमणियम का कार्यकाल एक साल बढ़ाये जाने के सरकार के निर्णय के तुरंत बाद उनका यह बयान आया है.
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रुपये में मजबूती पर सुब्रमणियम ने कहा कि सभी उभरती अर्थव्यवस्थाएं इस समस्या का सामना कर रही हैं. पूंजी प्रवाह बढ़ने से विनिमय दर पर दबाव बढ़ा है. उन्होंने कहा कि सभी देश इस चुनौती से जूझ रहे हैं. विभिन्न देश अपनी वहन क्षमता और लक्ष्य के आधार पर कदम उठा रहे हैं. रिजर्व बैंक इस मामले में रुपये में मजबूती पर अंकुश लगाने को लेकर यह करता रहा है.
रुपये की मजबूती से आयात-निर्यात पर असर
सुब्रमणियम ने कहा कि रुपये की विनिमय दर में जनवरी और अप्रैल के दौरान बड़ी वृद्धि हुई, जिससे निर्यात और आयात प्रभावित हुए. रिजर्व बैंक पिछले तीन महीने में विदेशी विनिमय बाजार में हस्तक्षेप करता रहा है. उन्होंने आने वाले समय में विदेशी विनिमय दर में कमी को लेकर उम्मीद जतायी. रुपया छह महीने के न्यूनतम स्तर से बाहर आते हुए डॉलर के मुकाबले शुक्रवार को मामूली दो पैसे की बढ़त के साथ 64.79 पर पहुंच गया.
आर्थिक पैकेज पर किया जा रहा है काम, वक्त पर होगी घोषणा
प्रोत्साहन पैकेज पर मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमणियम ने कहा कि इस पर काम किया जा रहा है और उपयुक्त समय पर इसकी घोषणा की जायेगी. ऐसी अटकलें हैं कि सरकार आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने के लिए बिजली और रेलवे समेत विभिन्न क्षेत्रों को बड़ा प्रोत्साहन पैकेज देने की योजना बना रही है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.7 फीसदी रही, जो तीन साल का न्यूनतम स्तर है.
छह महीने से घट रही आर्थिक वृद्धि दर
दो साल पहले तक भारत को सुस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक आकर्षक स्थल माना जाता रहा है. जीडीपी वृद्धि दर चीन की वृद्धि दर से भी आगे निकल गयी थी, लेकिन 2016 की शुरुआत से छह तिमाहियों से वृद्धि दर घट रही है. सूत्रों के अनुसार, सरकार अर्थव्यवस्था के समक्ष संरचनात्मक समस्याओं के समाधान के साथ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन से संबंधित अस्थायी मुद्दों का हल निकालने को लेकर गंभीर है.