दुमका : राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त आदित्य स्वरूप की अध्यक्षता में ‘सूचना का अधिकार’ अधिनियम पर कार्यशाला सह जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला का उद्देश्य सूचना का अधिकार अधिनियम की विस्तृत जानकारी जिलास्तरीय जन सूचना अधिकारियों को उपलब्ध कराना था. अधिकारियों को संबोधित करते हुए सूचना आयुक्त ने कहा कि यह अधिनियम नियम के अनुसार कार्य करने के लिए उत्प्रेरित करता है.
प्रशासन के कार्यों को पारदर्शी बनाने के लिए यह कानून बना था. सुशासन के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम मुख्य रूप से आवश्यक है. सभी लोगों को ससमय एवं पारदर्शी ढंग से सूचना मिले यह उनका मौलिक अधिकार है. उन्होंने कहा कि हम लोगों को ज्यादा से ज्यादा मामलों में सूचना दें लेकिन वैसी सूचना कभी ना दें जिससे देश राज्य आदि का नुकसान हो. सहज और सरल तरीके से सूचना उपलब्ध करायें. सूचना देना अनिवार्यता है और सूचना ना देना अपवाद.
उन्होंने कहा कि महज 10 रुपये के शुल्क पर एक सादे कागज में कोई भी व्यक्ति सूचना मांग सकता है. गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले परिवार निःशुल्क सूचना मांग सकता है. अगर सूचना देने में किसी प्रकार का सरकारी व्यय होता है तो पूरा व्यय आवेदक को देना होगा. आवेदक 30 दिन के भीतर अपने व्यय को जमा नहीं करता है तो सूचना उपलब्ध कराना आवश्यक नहीं होगा. सूचना उपलब्ध कराने का पूरा व्यय का ब्योरा आवेदक को पत्र के माध्यम से 30 दिन के पूर्व भेजना अनिवार्य है. 30 दिन के अन्दर अगर आवेदक से व्यय नहीं मांगा गया तो आवेदक को निःशुल्क सारी जानकारी उपलब्ध करानी होगी. पत्र का जवाब हमेशा स्पीड पोस्ट या निबंधित डाक के माध्यम से भेजा जाना अनिवार्य है.