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संपूर्ण मानव जाति के लिए है गीता : उषा दीदी

धनबाद: “परिवार, समाज, राष्ट्र व दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान है-श्रीमद् भगवद् गीता. जीवन की शायद ही कोई ऐसी समस्या है, जिसका समाधान श्रीमद् भगवद् गीता में नहीं मिले. यही वजह है कि श्रीमद् भगवद् गीता न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व का महान धर्म ग्रंथ है. श्रीमद् भगवद् गीता में कहीं पर भी […]

धनबाद: “परिवार, समाज, राष्ट्र व दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान है-श्रीमद् भगवद् गीता. जीवन की शायद ही कोई ऐसी समस्या है, जिसका समाधान श्रीमद् भगवद् गीता में नहीं मिले. यही वजह है कि श्रीमद् भगवद् गीता न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व का महान धर्म ग्रंथ है. श्रीमद् भगवद् गीता में कहीं पर भी हिंदू शब्द नहीं है अर्थात यह मानवता का शास्त्र है.
संपूर्ण मानव जाति को श्रीमद् भगवद् गीता से जीवन जीने की कला प्राप्त होती है. श्रीमद् भगवद् गीता पूरी मानव जाति को एक नयी दिशा देती है. एक नया सोच प्रदान करती है.” यह बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के माउंट आबू (राजस्थान) स्थित मुख्यालय से आयी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी ने कही.
विधिवत उद्घाटन : इसके पूर्व ब्रह्माकुमारीज की ओर से आयोजित श्रीमद् भगवद् गीता रहस्योद्घाटन का विधिवत उद्घाटन राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी, डीआरएम मनोज कृष्ण अखौरी, सिटी एसपी अंशुमान कुमार, जानेमाने उद्योगपति प्रदीप सोनथालिया, रेल कमांडेंट डॉ एएन झा, बीके बिमला दीदी (राउरकेला), बीके कमला दीदी (कोलकाता), बीके अनु दीदी (धनबाद), बीके रमन दीदी (मुर्शिदाबाद) आदि ने दीप प्रज्जवलित कर किया.
धनबादवासियों के लिए गर्व की बात : बतौर मुख्य अतिथि डीआरएम मनोज कृष्ण अखौरी ने धनबाद की जनता की ओर से उषा दीदी का स्वागत किया. अपने स्वागत भाषण में श्री अखौरी ने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज के संदेशों को समय-समय पर सुनते रहे हैं. टीवी व अन्य चैनलों के माध्यम से उषा दीदी को सुनने का मौका मिलता था, लेकिन धनबाद में दीदी के आगमन पर सामने से सुनने का जो मौका मिला है, वह पूरे धनबादवासियों के लिए गर्व की बात है.
आज आयेंगी राज्यपाल : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित श्रीमद् भगवद् गीता रहस्योद्घाटन के चार दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन शनिवार को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू शिरकत करेंगी. सुबह 10.30 बजे राज्यपाल का विशेष सत्र आयोजित है. इसके बाद उषा दीदी श्रीमद् भगवद् गीता रहस्योद्घाटन और संध्या पांच बजे से प्रासंगिक व सामयिक गीता पर प्रवचन देंगी.
एकमात्र ग्रंथ, जिसमें भगवान का महावाक्य
उषा दीदी ने कहा कि अनादि काल से हर वक्त जब भी कोई आत्मा राह भटक गयी या जीवन में भ्रमित हुई तो उस समय किसी न किसी रूप में गीता उसका मार्गदर्शन करती है. यही एक ग्रंथ है, जिसमें भगवान का महावाक्य सुनने को मिलता है. महात्मा गांधी ने कहा है कि वह जब भी जीवन में दिगभ्रमित हुए, तो श्रीमद् भगवद् गीता का कोई भी पन्ना खोलकर बैठ जाते और अपनी समस्या का समाधान प्राप्त हो जाता. गीता में जीवन के हर सवाल का जवाब है. मनुष्य की मन:स्थिति के अलावा पारिवारिक स्थित, सामाजिक स्थिति, राष्ट्रीय स्थिति, वैश्विक स्थित का सामाधान भी श्रीमद् भगवद् गीता में है.
जीवन संघर्ष में कैसे हो विजय
उषा दीदी ने कहा कि अर्जुन जैसा योद्धा, जो कई युद्धों को जीत चुका था, परंतु जब महाभारत का समय आया, तो उदास-निराश-हताश हो गया. भगवान से बार-बार अर्जुन विनती करने लगे कि मुझे यह युद्ध नहीं करना है. इस दौरान अर्जुन निराश हो गये. ऐसे समय में भगवान ने अर्जुन को राह बतायी. भगवान ने अर्जुन को मोटिवेट व उत्साहित किया और यह बताया कि संघर्ष में कैसे विजय होती है. असल में भगवान ने अर्जुन के रूप में सभी मानव को बताया है कि जीवन के संघर्ष में कैसे विजय प्राप्त हो सकती है? इसकी विधि बतायी है.
परिवार में कलह-क्लेश क्यों ?
उषा दीदी ने कहा कि आज हर परिवार के अंदर झगड़ा है और झगड़ा क्यों है? जमीन व जायदाद को लेकर. महाभारत में भी तो परिवार का ही झगड़ा दर्शाया गया है. पांडवों ने कौरवों से पांच गांव मांगे थे, लेकिन दुर्योधन एक सूई के नोंक के बराबर भी जमीन देने को तैयार नहीं था. क्या ऐसी ही स्थिति आज हमारे परिवार में नहीं है? परिवार में कलह-क्लेश का कारण क्या है? दुर्योधन जैसी मानसिकता. मतलब यह कि आज हम एक-दूसरे को दिल व मन में स्थान देना नहीं चाहते हैं. सुख से जीने देना नहीं चाहते हैं. उनका अधिकारी होते हुए भी अधिकार देना नहीं चाहते हैं.
आज महाभारत जैसे हालात
उषा दीदी ने कहा कि आप देख लें कि महाभारत जैसे हालात हमारे वर्तमान परिवार व समाज में बने हुए हैं या नहीं? आज भी धृतराष्ट्र हैं. आज भी शकुनी हैं. महाभारत में तो एक ही शकुनी था. आज परिवार व समाज में कई शकुनी हैं, जो एक-दूसरे से लड़ाने का काम करते हैं. आज भी पुत्र मोह में अंधे मां-पिता अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अन्याय कर बैठते हैं.
सभी जानते हैं धर्म व अधर्म क्या है
उषा दीदी ने कहा कि महाभारत में दुर्योधन ने कहा है कि वह जानता है कि धर्म क्या है और अधर्म क्या है? फिर भी दुर्योधन अधर्म की राह पर चलता है. आज भी हमारे समाज में सभी लोग जानते हैं कि धर्म क्या है और अधर्म क्या है? लेकिन क्या हमारी स्थित भी दुर्योधन जैसी नहीं होती गयी है? धर्म पर चलने और अधर्म को त्यागने का साहस हम नहीं कर पा रहे. अहंकार के नशे में आकर कई तरह की गलतियां कर बैठते हैं, जो हमारी हार का कारण बनता है. इसलिए यह जानना काफी नहीं कि धर्म क्या है और अधर्म क्या है? जरूरी है धर्म का अनुशरण करना.
उषा दीदी से श्रीमद् भगवद् सुनना अद्भूत अनुभूति : सोनथालिया
जानेमाने उद्योगपति प्रदीप कुमार सोनथालिया का कहना है कि राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी से श्रीमद् भगवद् गीता सुनना जीवन की अद्भूत अनुभूति है. श्रीमद् भगवद् गीता तो मैं बचपन से सुनता रहा हूं. लेकिन असल में गीता गान क्या है? हम सभी के जीवन में इसका क्या महत्व है? कैसे गीता की बातों को अपने जीवन में उतारकर विभिन्न समस्याओं का समाधान संभव है? यह समझने के लिए उषा दीदी का दिव्य प्रवचन सुनना अनिवार्य है. यह हम सभी धनबादवासियों का सौभाग्य है कि उषा दीदी जैसी अंतरराष्ट्रीय स्तर की राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी को सुनने का अवसर मिल रहा है. बहुत सही सवाल है कि जिस तरह से कुरुक्षेत्र में अर्जुन अवसाद ग्रस्त हो गये थे. वर्तमान समय में परिस्थितियों से मुकाबला करते हुए क्या हमारी वैसी ही स्थिति नहीं हो गयी है? और हम भी अर्जुन की तरह अवसाद ग्रस्त है, तो उससे निकलने का एकमात्र रास्ता है श्रीमद् भगवद् गीता. हां, गीता को सिर्फ पढ़ना नहीं, बल्कि जीवन में उतारना है.

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