नीरज सिंह को गोली लगने की खबर सुनते ही उनके समर्थकों की भारी भीड़ सेंट्रल अस्पताल में उमड़ने लगी थी. शाम 7.20 बजे आउटडोर से नीरज सिंह की मां सरोजिनी देवी व मौसी पुष्पा देवी सेंट्रल अस्पताल पहुंचीं. दोनों इमरजेंसी के मुख्य द्वार पर चीत्कार करने लगीं. सरोजिनी देवी ने हत्या के लिए सिंह मैंशन को जिम्मेवार ठहराया. मां व मौसी चीख-चीख कर कह रही थीं- ‘संजीवा हमरा बबुआ के मार देहलस… रामाधीरवा एही खातिर सरेंडर कइलस… पूर्णिमा के सिंदुरवा लउटा द हे भगवान.’ मां व मौसी बार-बार यह बात कह रही थीं, ‘उनके बबुआ के मरवाये खातिर ही रामाधीरवा सरेंडर कइले रहे.
संजीवा अउर रामाधीरवा मिलके हमार बाबू के मरवइले बा.’ रात 7.50 बजे नीरज की पत्नी पूर्णिमा देवी अस्पताल पहुंचीं. इमरजेंसी के गेट पर अपनी सास सरोजनी देवी को पकड़ कर वह रोने लगीं. रात 7.55 बजे सिटी एसपी अंशुमन कुमार पहुंचे. इमरजेंसी गेट पर नीरज की मां व मौसी सिटी एसपी से उलझ गयीं. वे उन्हें अंदर नहीं जाने दे रही थीं. कहने लगीं कि पुलिसवा के इहा से भगाव लोग. किसी तरह सिटी एसपी इमरजेंसी के अंदर दाखिल हुए, लेकिन जो बॉडीगार्ड उनके साथ आये थे, लौट गये. रात 8.10 बजे एसएसपी मनोज रतन चौथे सेंट्रल अस्पताल पहुंचे. इमरजेंसी के मुख्य द्वार पर मां व मौसी ने एसएसपी मनोज रतन चौथे को भी रोक दिया. उन्हें अंदर घुसने नहीं दिया. दोनों एसएसपी पर चिल्ला रही थीं. बाद में एसएसपी मुख्य द्वार से अस्पताल के अंदर गये. रात साढ़े आठ बजे के बाद मां व मौसी को ओडी से घर भेज दिया गया.