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क्यों हजारों, लाखों महिलाएं आज अपने घर में रो रही हैं…

नयी दिल्ली : मुस्लिम पुरुषों ने 1400 साल तक तीन तलाक के नाम पर महिलाओं को दबाये रखा. लेकिन, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की तमांम बंदिशों से आजाद कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस कुप्रथा को असंवैधानिक घोषित कर दिया. पांच जजों की बेंच ने तीन […]

नयी दिल्ली : मुस्लिम पुरुषों ने 1400 साल तक तीन तलाक के नाम पर महिलाओं को दबाये रखा. लेकिन, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की तमांम बंदिशों से आजाद कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस कुप्रथा को असंवैधानिक घोषित कर दिया. पांच जजों की बेंच ने तीन तलाक पर 6 महीने की रोक लगाते हुए इस पर संसद में बहस का रास्ता साफ कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह 6 महीने में मुस्लिम महिलाओं की तीन तलाक से सुरक्षा करने के लिए कानून बनाये.

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भारत चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां आज भी तीन तलाक की कुप्रथा जारी है. कई मुस्लिम देशों ने जिस तीन तलाक को खत्म कर दिया है, भारत में कुछ मुस्लिम धर्मगुरु और उलेमा इसके पैरोकार बने बैठे हैं. उनकी वजह से भारी संख्या में महिलाओं को इस गलत परंपरा का दंश झेलना पड़ता है.

हिंदू बहुल राष्ट्र होने के बावजूद भारत में 17.20 करोड़ मुस्लिम हैं, जो कुल आबादी का 14 फीसदी है. आबादी के लिहाज से देखें, तो भारत दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम राष्ट्र है. मुस्लिम समाज की बड़ी आबादी इस्लामी परंपराओं का पालन करती है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ऐसे लोगों को गहरा धक्का लगा है. ऐसे लोग इस फैसले को इस्लामी कानून में हस्तक्षेप मान रहे हैं.

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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि तलाक के मामले में भारत में मुस्लिम महिलाओं के पास कोई अधिकार ही नहीं था. वह न तो तलाक दे सकती थी, न ही उसका विरोध कर सकती थी. भारत में सैकड़ों तलाक तो फोन पर, चिट्ठियों के जरिये, मोबाइल फोन पर एसएमएस के जरिये दे दिये जाते हैं. कई बार वैवाहिक जीवन में विवाद के कारण आवेश में लोग तलाक दे देते हैं. पुरुष चाहे जब महिला को तलाक दे दे, लेकिन महिला यदि तलाक लेना चाहे, तो उसके लिए पुरुष की सहमति जरूरी थी.

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