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राजनाथ पाक दौरा : भारतीय पत्रकारों को कवरेज से रोकने के लिए इस तरह लिखी गयी स्क्रिप्ट

नयी दिल्ली: इस्लामाबाद में हाल ही में संपन्न दक्षेस देशों के गृह मंत्रियों के सम्मेलन को कवर करने के लिए गए भारतीय पत्रकारों को पाकिस्तानी अधिकारियों के द्वेषपूर्ण रवैये का सामना करना पड़ा जिन्होंने उन्हें न केवल उद्घाटन समारोह में जाने से रोका बल्कि उन्हें बैठक स्थल के उस प्रवेश द्वार पर भी नहीं खड़े […]

नयी दिल्ली: इस्लामाबाद में हाल ही में संपन्न दक्षेस देशों के गृह मंत्रियों के सम्मेलन को कवर करने के लिए गए भारतीय पत्रकारों को पाकिस्तानी अधिकारियों के द्वेषपूर्ण रवैये का सामना करना पड़ा जिन्होंने उन्हें न केवल उद्घाटन समारोह में जाने से रोका बल्कि उन्हें बैठक स्थल के उस प्रवेश द्वार पर भी नहीं खड़े होने दिया जहां उनके गृह मंत्री अतिथियों का स्वागत कर रहे थे. पाक अधिकारियों के इस रवैये के चलते तनाव उत्पन्न हो गया था.

यह बैठक कवर करने के उद्देश्य से पाकिस्तान जाने के लिए छह भारतीय पत्रकारों को वीजा दिया गया था. इन पत्रकारों को बैठक के उद्घाटन समारोह में जाने से साफ मना कर दिया . बैठक में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हिस्सा लिया था.इसके बाद भारतीय पत्रकार उस प्रवेश द्वार पर खडे हो गए जहां पाकिस्तानी गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान दक्षेस देशों से आए अतिथियों की अगवानी कर रहे थे.
जब पाकिस्तानी मीडिया ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह के आने पर उनकी तस्वीरें लेने के लिए पोजीशन ली तो भारतीय पत्रकारों ने भी ऐसा ही किया. लेकिन उसी समय पाकिस्तानी अधिकारियों ने उनसे रुखाई से, उस जगह से हट जाने को कहा. उन्होंने कहा कि भारतीय पत्रकारों को द्वार के बाहर भी खड़ें होने की अनुमति नहीं है.
दक्षेस प्रोटोकॉल के अनुसार, मेजबान देश के उद्घाटन भाषण को मीडिया द्वारा कवर किया जाता है जबकि शेष कार्रवाई बंद कमरे में होती है.पाकिस्तानी प्रतिष्ठान स्थानीय मीडिया में यह खबर फैला रहे हैं कि जब बैठक हो रही थी तब दिल्ली फोन करने के लिए भारतीय गृह मंत्री आठ बार वाशरुम गए.
वास्तविकता यह है कि वाशरुम उस सभागार के बाहर था जहां बैठक हुई. गृह मंत्री ने इसका उपयोग दो बार किया. एक बार तब जब सिंह तथा उनके दक्षेस समकक्षों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से सद्भावनावश मुलाकात की और मंत्रियों की बैठक औपचारिक रुप से शुरू होने से पहले. दूसरी बार तब जब बैठक खत्म हो गई.इसके अलावा गृह मंत्री अपने साथ कोई सेलफोन नहीं रखते. यहां तक कि भारत में भी जब जरूरत पडती है, तो वह अपने सहायकों के सेलफोन का उपयोग करते हैं.

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