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ओबीसी क्रीमी लेयर के आरक्षण पर साल के अंत में समीक्षा करेगी सरकार

नयी दिल्ली, : केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने आज कहा कि सरकार अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) के लिए क्रीमी लेयर मानदंड की इस साल के अंत तक समीक्षा करेगी. अभी सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है, बशर्ते परिवार की वार्षिक आय छह लाख रुपए […]

नयी दिल्ली, : केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने आज कहा कि सरकार अन्य पिछडा वर्ग (ओबीसी) के लिए क्रीमी लेयर मानदंड की इस साल के अंत तक समीक्षा करेगी. अभी सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है, बशर्ते परिवार की वार्षिक आय छह लाख रुपए तक हो.

जिनकी आय अधिक होती है उन्हें क्रीमी लेयर कहा जाता है और वे आरक्षण के लिए पात्र नहीं होते. गहलोत ने कहा कि हर तीन साल बाद क्रीमी लेयर तथा अन्य मानदंडों की समीक्षा का प्रावधान है. ओबीसी आरक्षण के लिए आखिरी समीक्षा 2013 में की गयी थी.

सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कल आरक्षण सीमा बढाने की वकालत की थी. सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए आरक्षित श्रेणी में खासी संख्या में पदों के खाली रहने की पृष्ठभूमि में गहलोत की टिप्पणी आयी है. सूत्रों के अनुसार सामाजिक न्याय मंत्रालय ओबीसी के सालाना आय की सीमा बढाकर आठ लाख रुपए करने पर विचार कर रही है.
आय सीमा बढाने से सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में अधिक संख्या में पात्र उम्मीदवार मिल सकेंगे. इसके पहले राष्ट्रीय पिछडा वर्ग आयोग :एनसीबीसी: ने यह आय सीमा बढाकर 15 लाख रुपए करने की सिफारिश की थी.आयोग के सदस्य अशोक सैनी ने कहा था कि आरक्षण शुरु होने के दो दशक बाद भी देखा गया है कि 27 प्रतिशत निर्धारित आरक्षण में सिर्फ 12..15 प्रतिशत का ही उपयोग होता है. उन्होंने कहा था कि हमारे विश्लेषण के अनुसार इसका प्रमुख कारण सालाना आय सीमा है.

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