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सरकारी और निजी स्कूलों के आठ लाख शिक्षकों के लिए आखिरी मौका, नहीं किया बीएड तो जायेगी नौकरी

नयी दिल्ली : लोकसभा में आज एक महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा हुई जिसमें देश के सरकारी और निजी स्कूलों के करीब आठ लाख शिक्षकों को बीएड की योग्यता हासिल करने का आखिरी मौका दिया गया है. हालांकि सरकार ने साथ ही कहा कि 31 मार्च 2019 तक बीएड की डिग्री हासिल नहीं करने पर बिना […]

नयी दिल्ली : लोकसभा में आज एक महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा हुई जिसमें देश के सरकारी और निजी स्कूलों के करीब आठ लाख शिक्षकों को बीएड की योग्यता हासिल करने का आखिरी मौका दिया गया है. हालांकि सरकार ने साथ ही कहा कि 31 मार्च 2019 तक बीएड की डिग्री हासिल नहीं करने पर बिना बीएड डिग्री के स्कूलों में पढ़ा रहे ऐसे शिक्षकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा.

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में विधेयक को पेश करते हुए कहा कि इस समय निजी स्कूलों में करीब साढ़े पांच लाख और सरकारी स्कूलों में ढाई लाख शिक्षक जरुरी न्यूनतम योग्यता नहीं रखते हैं और उन्हें यह योग्यता यानी बीएड करने का आखिरी मौका देने के लिए यह एक मौका है. उन्होंने कहा कि गैर प्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा छात्रों को पढ़ाया जाना बहुत नुकसानदायक है और ऐसे में 2019 तक सभी कार्यरत शिक्षकों को अनिवार्य न्यूनतम योग्यता हासिल करना होगा , वरना उनकी नौकरी चली जाएगी.

जावडेकर ने साथ ही बताया कि ऐसे शिक्षकों की सहायता के लिए सरकार ने ‘स्वयं ‘ पोर्टल भी कुछ दिन पहले लांच किया है जिसमें पाठ्य सामग्री , टयूटोरियल एवं अन्य संबंधित सामग्री उपलब्ध है. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने 10 अप्रैल, 2017 को लोकसभा में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) बिल, 2017 पेश किया था. शिक्षकों की नियुक्ति के लिए निर्धारित न्यूनतम योग्यता हासिल करने की समय सीमा को बढ़ाने के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार एक्ट 2009 में और संशोधन का प्रस्ताव करने के लिए इसे लाया गया था.

एक्ट के तहत यदि किसी राज्य में शिक्षकों के प्रशिक्षण संस्थान या योग्य शिक्षक पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं तो वह शिक्षकों को पांच वर्ष के भीतर यानी 31 मार्च 2015 तक न्यूनतम योग्यता हासिल करने की छूट प्रदान करता है. बिल इस प्रावधान में यह बात जोड़ता है कि जिन शिक्षकों ने 31 मार्च 2015 तक न्यूनतम योग्यता हासिल नहीं की हो वे चार वर्ष के भीतर 31 मार्च 2019 तक न्यूनतम योग्यता हासिल कर सकते हैं. विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के के वी थामस ने कहा कि गरीब और अमीर के बीच शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी खाई है और सरकार को इसे पाटने के लिए प्रयास करने चाहिए.

भाजपा के जगदम्बिका पाल ने गरीब छात्रों को भी अमीरों के समान शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि बच्चों के साथ इस प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए. बीजद के भर्तहरि मेहताब ने शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त कमियों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया और शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन का सुझाव दिया.

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