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भारत ने बीएसएफ-रेंजर्स की बैठक में पाक से घुसपैठ पर रोक लगाने को कहा

नयी दिल्ली : भारत ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच आज लाहौर में खत्म हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान पाकिस्तान से आतंकी गतिविधियों को रोकने एवं मादक पदाथोंर् की तस्करी पर शिंकजा कसने की खातिर चौकसी बढ़ाने तथा सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर प्रभावशाली तरीके से रोक लगाने को […]

नयी दिल्ली : भारत ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच आज लाहौर में खत्म हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान पाकिस्तान से आतंकी गतिविधियों को रोकने एवं मादक पदाथोंर् की तस्करी पर शिंकजा कसने की खातिर चौकसी बढ़ाने तथा सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर प्रभावशाली तरीके से रोक लगाने को कहा.

बीएसएफ ने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों के सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए लगातार कोशिशें करने पर सहमत होने के साथ वार्ता एक ‘‘आशावादी रुख ” के साथ खत्म हुई. दोनों सीमा रक्षा बल इस बात पर सहमत हुए कि पिछले साल सितंबर के बाद से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम का बेहतर पालन हुआ है.

बीएसएफ के महानिदेशक के के शर्मा और पाक रेंजर्स (पंजाब) के महानिदेशक मेजर जनरल उमर फारुक बुर्की ने चार दिनों की बैठक के अंत में चर्चाओं के एक संयुक्त दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए. बैठक 25 जुलाई को पाकिस्तान के लाहौर में रेंजर्स के मुख्यालय में शुरू हुई थी.

बयान के अनुसार, ‘‘बीएसएफ के डीजी (शर्मा) ने आतंकी गतिविधियों एवं मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को लेकर सतर्कता बरतने के महत्व पर जोर दिया. दोनों पक्षों ने सीमा के अपने अपने तरफ सीमा गश्ती के समन्वय के उपायों को मजबूत करने और समयबद्ध तरीके से एक दूसरे की चिंताओं पर ध्यान देने के तरीकों पर चर्चा की.”

समझा जाता है कि वार्ता के दौरान भारतीय पक्षों ने मादक पदार्थों की खेप के साथ हथियारों एवं गोला बारुद की सीमा पार तस्करी, अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से आ रही अवैध सुरंगों के पाए जाने और इन इलाकों में सरकंडा के बढ़ने तथा उसकी झाडियों को हटाने से संबंधित मुद्दे उठाए. बीएसएफ के महानिदेशक ने इस साल के आखिर में होने वाले द्विवार्षिक बातचीत के दूसरे दौर के लिए अपने पाकिस्तानी समकक्ष को भारत की यात्रा का आधिकारिक निमंत्रण दिया.

बयान के अनुसार, ‘‘दोनों पक्षों के सीमाओं पर शांति बनाए रखने के लिए लगातार कोशिशें करने पर सहमत होने के साथ वार्ता एक आशावादी रुख पर खत्म हुई.” आखिरी बार दोनों पक्ष जब दिल्ली में मिले थे तब फैसला किया गया था कि मोर्टार गोलों जैसे भारी तोपखाने का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और सुनिश्चित किया जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले नागरिकों को नुकसान ना पहुंचे. दोनों पक्षों के बीच महानिदेशक स्तर की बातचीत साल में दो बार होती है. दोनों पक्ष बारी बारी से अपने मुख्यालयों में बैठक की मेजबानी करते हैं.

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