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अपना उत्तरदायित्व निभाये निगम : सुरेका

दरभंगा : नगर निगम शहर को स्वच्छ रखने की दिशा में अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं कर रहा है. निगम की ओर से लगातार कर में वृद्धि की जा रही है. लेकिन सुविधा बढ़ने के बजाय घटती चली जा रही है. निगम से शहरवासियों को अच्छी साफ-सफाई, रोशनी का उत्तम प्रबंध, जलजमाव से मुक्ति की […]

दरभंगा : नगर निगम शहर को स्वच्छ रखने की दिशा में अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं कर रहा है. निगम की ओर से लगातार कर में वृद्धि की जा रही है. लेकिन सुविधा बढ़ने के बजाय घटती चली जा रही है. निगम से शहरवासियों को अच्छी साफ-सफाई, रोशनी का उत्तम प्रबंध, जलजमाव से मुक्ति की महज अपेक्षा है. परंतु निगम इन अपेक्षाओं की दिशा में भी काम नहीं कर रहा. शहर की शान नगर भवन खास्ता हाल में है. चारों ओर शहर में कचरे का भरमार है. कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है. इस दिशा में निगम को ठोस पहलकदमी करनी चाहिए.

जाम शहर की समस्या
यूं तो निगम क्षेत्र में समस्याओं की भरमार है. लेकिन, सबसे बड़ी परेशानी का सबब अतिक्रमण है. पुराने जमाने के बड़े-बड़े नालों को अतिक्रमित कर बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं खड़ी कर ली गयी हैं. सड़क पर एक तरफ जहां लगातार वाहनों का दबाव बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ सड़क अतिक्रमण से सिकुड़ती जा रही है. यही कारण है
जाम शहर की
कि रोज जाम की समस्या लोगों को परेशान करती है. शहर की खुबसूरती भी इससे प्रभावित है. अतिक्रमण करनेवालों में बड़े-बड़े रसूख व औकातवाले लोगों के शामिल होने के कारण कोई इनपर हाथ नहीं डालता. नये सदन ने अगर यह काम कर लिया, तो क्षेत्रवासियों के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होगी.
इन समस्याओं का होगा िनदान, तो शहर होगा स्मार्ट
स्वच्छ शहर बनाना चुनौती
प्रमंडलीय मुख्यालय होने के बावजूद शहर सबसे गंदा है. हृदयस्थली दरभंगा टावर पर कचरे के ढेर पर मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं. सार्वजनिक शौचालय नहीं होने के कारण सड़क किनारे खुले
स्वच्छ शहर बनाना
में लोग शौच करते हैं. निगम की ओर से अब तक स्वच्छता की महज खानापूरी होती रही. नियमित रूप से कचरा का उठाव नहीं हुआ. कचरा निस्तारण के लिए अभी तक निगम को डंपिंग ग्राउंड नहीं मिल सका है. न केवल यह शहर की सूरत को खराब कर रहा है, बल्कि कई संक्रामक रोगों का माध्यम भी बना हुआ है. शहर को चकाचक करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ मास्टर प्लान बना कर काम करना होगा.
जलजमाव से होती है परेशानी
शहर की प्रमुख सड़कों से लेकर अधिकतर गली-कूची की सड़क बन गयी. लेकिन, हल्की बरसात में ही ये सड़कें पानी में डूब जाती हैं. लक्ष्मीसागर, गांधीनगर कटरहिया, बलभद्रपुर, डेनवी रोड, मदारपुर
जलजमाव से होती
, बंगाली टोला, फैजुल्लाह खां, पुरानी मुंसिफी सहित कई ऐसे मुहल्ले हैं जो पूरी तरह पानी में डूब जाते हैं. इन मुहल्लों में रहनेवाले लोगों के घरों तक में पानी प्रवेश कर जाता है. सड़क व आमजन के बीच ऊंचीकरण की चली प्रतिस्पर्धा में सड़कें नीची हो गयीं. जलनिकासी का प्रबंध नहीं हो सका. लिहाजा बरसात के दिनों में शहर की स्थिति नारकीय हो जाती है.
ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त
ऐतिहासिक महत्ववाले इस शहर का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त है. जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है. 10 मिनट की झमाझम बारिश में ही पूरा शहर झील-सा नजर आने लगता है. नाला का सही निर्माण नहीं होने के कारण पानी नहीं निकलता. शहर का कोई भी ऐसा नाला नहीं है, जो कि हमेशा भरा न रहे. नाले की सफाई भी नहीं होती.
ड्रेनेज सिस्टम
हालांकि इसके लिए
मास्टर प्लान बना डीपीआर निर्माण की स्थिति तक मामला पहुंचा. मुख्यमंत्री ने खुद शीघ्र कार्य होने की यहां घोषणा भी की, लेकिन धरातल पर काम नहीं हो सका. स्थिति बदतर है.

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