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छठ में परदेस से घर आना मुश्किल किसी भी ट्रेन में नहीं मिल रहा रिजर्वेशन

दरभंगा : लोक आस्था का महापर्व छठ परदेसियों के दीदार के लिए साल भर इंतजार करने वालों के लिए मानो तोहफा के रूप में आता है. बूढ़ी आंखे अपने बेटे के साथ ही पोता-पोती को देखने के लिए साल भर प्यासी रहती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह प्यास बूझ नहीं पा रही. लंबी […]

दरभंगा : लोक आस्था का महापर्व छठ परदेसियों के दीदार के लिए साल भर इंतजार करने वालों के लिए मानो तोहफा के रूप में आता है. बूढ़ी आंखे अपने बेटे के साथ ही पोता-पोती को देखने के लिए साल भर प्यासी रहती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह प्यास बूझ नहीं पा रही. लंबी दूरी की आवक गाड़ियों में आरक्षण नहीं मिल रहा.फलत: हजारों की संख्या में लोग इस वर्ष छठ पर नहीं आ पा रहे. जो पहुंच रहे हैं, रास्ते की परेशानी के कारण अगले बार इस मौके पर आने से तौबा कर रहे हैं.

ट्रेन पहुंचते ही उमड़ पड़ती है यात्रियों की भीड़ : दरभंगा जंकशन पर महानगरों से पहुंचने वाली तमाम ट्रेनें ठसमठस आ रही है. जंकशन पर गाड़ी के रूकते ही मानो यात्रियों का सैलाब सा उमड़ पड़ता है. इस ठंड के मौसम में भी पसीने से लथपथ बदहबाश उतरने वाले यात्री सुकून की सांस लेते हैं. कारण बर्थ की बात तो दूर,
फर्श पर भी बैठने की जगह उन्हें नहीं मिल पा रही. बुधवार को दिल्ली से आये मधुबनी के बिरसाइर निवासी प्रसन्न कुमार ने बताया कि इस बार की यात्रा तो नरक से भी ज्यादा कठिन लगा. खुद को किसी तरह शौचालय के गेट के पास खड़े होकर आ गये, लेकिन परिवार व बच्चों की परेशानी देखकर तय कर लिया अगले बार से कम से कम इस मौके पर नहीं आऊंगा. यह स्थिति किसी एक यात्री की नहीं थी. तमाम यात्रियों का हाल कमोबेश ऐसा ही नजर आया.
परिजन कर रहे उनका इंतजार : मिथिला का शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा, जिसके कोई न कोई सदस्य बाहर नहीं रहते हों. तात्पर्य सभी परिवार से रोजी-रोटी अथवा अध्ययन के लिए लोग बाहर हैं. होली तथा छठ ऐसा अवसर होता है, जिसमें सभी घर आते हैं. यह पर्व एक-दूसरे के मिलन का मौका भी होता है. लिहाजा वीरान पड़ी गांव की गलियां गुलजार हो जाती हैं. चौक-चौराहों की रौनक बढ़ जाती है. लेकिन समय के साथ यह कड़ी टूटती जा रही है.
नियमित गाड़ियों में वेटिंग भी उपलब्ध नहीं
रेलवे ने यात्रियों की भीड़ को देखते हुए स्पेशल ट्रेन तो दे रखी है, लेकिन आलम यह है कि ट्रेन घोषणा के बाद रेलवे के सिस्टम में फीड होते ही चंद मिनट में सारे बर्थ फुल हो जाते हैं. नियमित गाड़ी की तो बात ही बेमानी है. छठ के मौके पर संपर्क क्रांति, स्वतंत्रता सेनानी, गरीब रथ, पवन एक्सप्रेस, बागमती, ज्ञानगंगा, शहीद, सरयू-यमुना आदि ट्रेनों में त्योहार के निकट के दिन में तो वेटिंग टिकट भी नहीं मिल रहा. मजबूरन जेनरल बोगी में यात्रियों को सफर करना पड़ रहा है. कारण जुर्माना भरने के बाद भी स्लीपर क्लास में पांव रखने तक की जगह नहीं मिलती.

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