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Friday, March 29, 2024

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10 उग्रवादियों का आत्मसमर्पण, कहा डरा-धमका कर संगठन में शामिल कराया

लोहरदगा : जिले में आत्मसमर्पण करनेवाले 10 उग्रवादियों में सभी गरीब, मजदूर किसान परिवार के हैं. माओवादियों ने इन्हें भय दिखा कर संगठन में शामिल किया था. समर्पण करने के बाद इन लोगों में भय के साथ-साथ खुशी भी देखी गयी. 26 वर्षीय विशाल खेरवार उर्फ रामधनी खेरवार एक गरीब मजदूर किसान परिवार का लड़का […]

लोहरदगा : जिले में आत्मसमर्पण करनेवाले 10 उग्रवादियों में सभी गरीब, मजदूर किसान परिवार के हैं. माओवादियों ने इन्हें भय दिखा कर संगठन में शामिल किया था. समर्पण करने के बाद इन लोगों में भय के साथ-साथ खुशी भी देखी गयी.
26 वर्षीय विशाल खेरवार उर्फ रामधनी खेरवार एक गरीब मजदूर किसान परिवार का लड़का है. गरीबी और अशिक्षा के कारण यह जंगल से लकड़ी काट कर बेचने का काम करता था. बाद में ये कमाने के लिए वर्ष 2012 में गुजरात गया़ किंतु कुछ दिनों के बाद वहां से वापस आ गया. इसी दौरान डरा-धमका कर माओवादियों ने इसे वर्ष 2014 में नक्सली संगठन में जबरदस्ती शामिल कर लिया. इसकी गिरफ्तारी पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित है.
कलेश्वर खेरवार उम्र 19 वर्ष : कलेश्वर खेरवार उम्र 19 वर्ष पेशरार के बुलबुल गांव का रहनेवाला है. वर्ष 2013 में माओवादियों ने इसके माता-पिता को धमका कर इसे जबरदस्ती नक्सली संगठन में शामिल कर लिया. पुलिस की लगातार छापामारी, बढ़ते दबाव और सरकार की सार्थक आत्मसमर्पण नीति नयी दिशा से प्रभावित होकर इसने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया. इसके गिरफ्तारी पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित है.
23 वर्षीय चंद्रेश्वर उर्फ चंद्रू : 23 वर्षीय चंद्रेश्वर उर्फ चंद्रू बगड़ू पेशरार के रोरद गांव का रहनेवाला है. इसे माओवादियों ने वर्ष 2013 में इसके घर से जबरन उठा कर नक्सली संगठन में शामिल कर लिया. इसने सरकार के आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया.
जितेंद्र गंझू उर्फ जीवन गंझू: जितेंद्र गंझू उर्फ जीवन गंझू अति गरीब परिवार से है. वर्ष 2015 में जंगल में लकड़ी काटने के क्रम में ही इसकी मुलाकात भाकपा माओवादी के दस्ता कमांडर रवींद्र गंझू से हुई. उसने प्रलोभन देकर संगठन में शामिल कर लिया तथा प्रशिक्षण देकर इसे एसएलआर रायफल देकर सशस्त्र दस्ता का सदस्य बना दिया.
हरेंद्र उरांव उर्फ हरिविलास उर्फ हरिलाल उरांव: हरेंद्र उरांव उर्फ हरिविलास उर्फ हरिलाल उरांव गुमला जिले के विशुनपुर थाना अंतर्गत कुमारी गांव निवासी है. इसके गांव में माओवादियों का भ्रमण बराबर होता था. इसी क्रम में वर्ष 2013 में इसके माता-पिता को डरा-धमका कर नक्सलियों ने इसे अपने पार्टी में शामिल कर लिया. माओवादियों के गलत नीतियों व शोषण से तंग आकर इसने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया.
सुखराम खेरवार : सुखराम खेरवार पेशरार के अति दुर्गम क्षेत्र बुलबुल का निवासी है. यह जंगल से लकड़ी काट कर बेचने और खेतीबारी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था. इसी क्रम में वर्ष 2013 में नकुल यादव अपने दस्ते के साथ गांव में आया तथा इस पर जंगल उजाड़ने का आरोप लगाते हुए इस पर दबाव डाल कर नक्सली दस्ता में शामिल कर लिया.
सुशांति उरांव : सुशांति उरांव पेशरार के ग्राम होन्हे की रहनेवाली है. यह लोहरदगा में रह कर पढ़ाई करती थी. इसी क्रम में वर्ष 2014 में यह अपने गांव चावल और पैसा लाने गयी थी तभी नक्सली इसके गांव में आये़ उन्होंने सुशांति के माता-पिता को धमका कर उसे दस्ते में शामिल कर लिया़ यह करीब ढाई वर्ष तक नकुल यादव के दस्ता में रही.
35 वर्षीय सीमा उरांव : 35 वर्षीय सीमा उरांव अपने पति की मृत्यु के पश्चात वर्ष 2010 में जोगी यादव के दस्ता ने शामिल हुई़ उसे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई कराने का प्रलोभन िदया गया था़ वह सात वर्षों से नकुल यादव के साथ दस्ता में चल थी. दस्ते के लिए खाना बनाने का काम करती थी़
सुखलाल नगेसिया : सुखलाल नगेसिया गरीब परिवार से है. वर्ष 2012 में माओवादियों ने जबरदस्ती पार्टी में शामिल कर लिया. हाल में ही इसे प्रशिक्षण देकर 315 बोर का रायफल दिया गया था.
मीना उरांव उर्फ कविता उरांव : मीना उरांव उर्फ कविता उरांव को वर्ष 2013 में डरा-धमका कर माओवादी कमांडर बलराम उर्फ संजीवन द्वारा दस्ता में शामिल किया गया था. बाद में नकुल यादव के साथ यह रहने लगी तथा उसकी निजी सेवा यथा खाना, कपड़ा आदि कागंझु से इंतजाम करती थी. इस दौरान यह कई मुठभेड़ में शामिल रही़
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