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पांच घंटे तक रुक-रुक कर दोनों ओर से फायरिंग मोर्टार के गोले दागे, तो भाग निकले अपहरणकर्ता

दहशत की वे पांच रातें. महिलाएं देती थीं नशे का इंजेक्शन, होती थी पिटाई, खाने में बस चूड़ा पटना : पटना एयरपोर्ट से अगवा दिल्ली के मार्बल व्यवसायी बाबूलाल शर्मा के ठेकेदार पुत्र सुरेश शर्मा एवं कपिल शर्मा को बुधवार की अहले सुबह नक्सल प्रभावित लखीसराय जिले के कजरा पहाड़ से मुक्त कराया गया. इसके […]

दहशत की वे पांच रातें. महिलाएं देती थीं नशे का इंजेक्शन, होती थी पिटाई, खाने में बस चूड़ा
पटना : पटना एयरपोर्ट से अगवा दिल्ली के मार्बल व्यवसायी बाबूलाल शर्मा के ठेकेदार पुत्र सुरेश शर्मा एवं कपिल शर्मा को बुधवार की अहले सुबह नक्सल प्रभावित लखीसराय जिले के कजरा पहाड़ से मुक्त कराया गया. इसके लिए पुलिस ने व्यापक रणनीति बनायी थी. लखीसराय के कजरा में पुलिस ने शाम सात बजे के बाद ऑपरेशन शुरू किया. इस दौरान एसएसपी मनु महाराज के नेतृत्व में लखीसराय व सीआरपीएफ 31 की टीम दुर्गम रास्तों से होते हुए कजरा के बीहड़ जंगल व पहाड़ों के बीच पहुंची. जहां मार्बल व्यवसायी बंधुओं के होने के अनुमान के बाद गुब्बारा उड़ा कर प्रकाश फैलाया गया और यहीं पर पुलिस को सफलता मिली. अपराधियों को यह अनुमान हो गया कि वे लोग अब पुलिस के निशाने पर हैं और फिर फायरिंग शुरू कर दी.
इसके बाद पुलिस टीम ने भी फायरिंग की. इसके बाद अपराधियों की स्थिति की थोड़ी जानकारी हो गयी थी. अपराधी भी पुलिस पर रूक-रूक कर फायरिंग करते रहे और दोनों अपहृतों को अपने साथ लेकर आगे बढ़ते रहे. पुलिस समझ चुकी थी कि अपराधी भी धीरे-धीरे वहां से निकल रहे हैं. इसके बाद पुलिस ने घेराबंदी को और मजबूत की और फिर एक बार मोर्टार का गोला दागा. आखिरकार पांच घंटे की मेहनत के बाद अपराधियों की कमर टूट गयी और वे अपहृत को छोड़ कर भागने के लिए सोचने लगे.
इस दौरान अपराधियों ने व्यवसायी बंधुओं को गोली मारने का भी प्रयास किया, लेकिन उन दोनों ने हो-हल्ला मचा दिया. इसके बाद एक के सिर पर पिस्तौल के बट से प्रहार किया और उन दोनों को छोड़ कर भागने लगे. इस दौरान तीन को पुलिस ने पकड़ लिया, लेकिन पांच अन्य फरार होने में सफल रहे. करीब पांच घंटे तक हुई मुठभेड़ के बाद बुधवार की सुबह पांच बजे व्यवसायी बंधु सुरेश व कपिल को सकुशल बरामद कर लिया. इसके साथ ही दो पिस्टल भी बरामद की गयी.
गुपचुप चला ऑपरेशन: यह ऑपरेशन पूरी तरह गुपचुप रूप से चलाया गया. एसएसपी मनु महाराज मंगलवार को दिन में ही लखीसराय इलाके में पहुंच गये थे. वहां शाम में लखीसराय एसपी भी पहुंचे. इसके बाद लखीसराय एसपी को भी बताया गया कि उन्हें किस इलाके में ऑपरेशन करना है.
चूंकि जिस इलाके में छापेमारी करनी थी, वह पूरी तरह नक्सल प्रभावित इलाका है और रास्ता काफी संकरा और पथरीला है. शाम होते ही पुलिस टीम और सीआरपीएफ की टीम पूरी तैयारी के साथ हाइवे से नीचे संकरे व पथरीले रास्ते से पैदल ही आगे बढ़ गयी. सीआरपीएफ के साथ लैंडमाइंस डिटेक्ट करने वाली मशीन भी थी. क्योंकि उन लोगों को शक था कि हो सकता है रास्ते में लैंडमाइंस भी बिछाया गया हो. हालांकि कहीं भी लैंडमाइंस नहीं मिला और टीम करीब 15 किलोमीटर आगे पहुंची तो उस समय रात 11 बज चुके थे और फिर मुठभेड़ हुई. अपराधी पहाड़ के ऊपर थे और पुलिस नीचे थे, जिसके कारण थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा. पुलिस ने इस ऑपरेशन को इतना गुप्त रखा था कि किसी को भी भनक नहीं लगी थी. इसके कारण अपराधियों को आशा भी नहीं थी कि रात में पुलिस इतनी हिम्मत जुटा कर ऑपरेशन करेगी. पुलिस ने रात में ऑपरेशन शुरू किया और नक्सलियों को भी जानकारी नहीं हो पायी. इसके कारण अपराधी अलग-थलग पड़ गये और नक्सलियों की ओर से कोई मदद नहीं मिल पायी.
अगर नक्सलियों से मदद मिल जाती तो फिर पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ती.हमेशा होती है मुठभेड़: लखीसराय का कजरा इलाका पूरी तरह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. यहां हमेशा पुलिस व नक्सलियों के बीच गोलीबारी होती है. वर्ष 2010 में भी कजरा का इलाका काफी चर्चित हुआ था. यह इलाका लखीसराय, मुंगेर व जमुई का बाॅर्डर है. नक्सलियों के जमावड़ा की सूचना के बाद सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन व एटीएफ ने ऑपरेशन चलाया था, जिसमें कई घंटे गोलीबारी हुई थी और इसमें तीन-चार पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी थी. इसके साथ ही कजरा इलाके में पुलिस बल बिना सीआरपीएफ के जाने से भी कतराती है, क्योंकि उस इलाके में पूरी तरह नक्सलियों का दबदबा है.
अपराधी करते हैं अपहरण, नक्सली देते हैं संरक्षण : कजरा इलाके में बिना नक्सलियों के कुछ नहीं हो सकता है.रंजीत डॉन ने नक्सलियों से सांठ-गांठ कर रखा है और वह अपहरण की कई वारदातों को अंजाम दे चुका है. हरियाणा के व्यवसायी को भी उसने कजरा इलाके में ही रखा था. सूत्रों का कहना है कि नक्सली पुलिस से बचने के लिए संरक्षण देते है और फिरौती की रकम से कमीशन लेते है. इलाहाबाद के व्यवसायी नारायण यादव को भी इसी तरह से प्रलोभन देकर बुलाया गया था और उसे भी कजरा के जंगल में कैद कर दिया गया था, लेकिन नारायण यादव व उसका भतीजा निकल भागने में सफल रहा था.
कजरा थाने में प्राथमिकी दर्ज : लखीसराय. व्यवसायियों को छुड़ाने के दौरान अपराधियों के द्वारा पुलिस पर की गयी फायरिंग एवं अपराधियों के पास बरामद हथियारों को लेकर ऑपरेशन में शामिल जवान के बयान पर कजरा थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है़
चंगुल से छूटते ही एसएसपी से लिपट कर रो पड़े व्यवसायी
बुधवार की अहले सुबह पुलिस द्वारा अपराधियों के चंगुल से व्यवसायी भाइयों को छुड़ाये जाने के बाद दोनों भाई एसएसपी मनु महाराज, एसपी अशोक कुमार व अन्य पुलिस वालों से लिपट कर रोने लगे. जिसके बाद दोनों भाइयों ने कहा कि आज इनकी वजह से वे दोनों मौत के चंगुल से बच कर निकले हैं. व्यवसायी बंधु जब रिहा होकर एसएसपी कार्यालय पहुंचे और उन्होंने अपहरणकर्ताओं के बीच रहे पांच दिनों की कहानी बतायी, तो सभी के रोंगटे खड़े हो गये. सुरेश व कपिल ने बताया कि अपहरण के बाद हर दिन उनकी पिटाई की जाती थी. उन्हें खाने के लिए केवल चूड़ा व जिंदा रहने के लिए पानी दिया जाता था. उस गिरोह में दो-तीन महिलाएं भी थीं, जो प्रतिदिन सुबह व शाम में उन्हें नशे का इंजेक्शन देती थीं. इसके बाद वे बेहोश हो जाते थे. अपहरण के बाद दो दिन तक घर में रखा और जब जंगल में ले गये, तो वे हमेशा ठिकाना बदलते रहे और उन्हें भी पैदल चलाते थे.
आंख पर पट्टी बांध दी थी और हाथ के साथ ही मुंह बांध दिया था. पुलिस जब पहुंची तो उन्होंने हमें मारने का भी प्रयास किया. एक अपराधी ने सुरेश के सिर पर पिस्टल से प्रहार किया. एसएसपी कार्यालय में दोनों ने पिटाई से शरीर के कई हिस्सों में बने निशान को दिखाया. बिहार आने के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि वे बिहार क्या कहीं नहीं जायेंगे, जब तक पुष्टि नहीं कर लेंगे कि मामला सही है या कुछ और है.
इलाहाबाद के नारायण पुलिस के बने ‘नारायण’ अपहरणकर्ताओं तक पहुंचने का दिखाया रास्ता
पटना : पटना पुलिस के लिए इलाहाबाद का नारायण यादव तुरूप का पत्ता साबित हुआ. नारायण यादव के माध्यम से ही पुलिस की टीम कजरा के जंगल में पहुंच पायी और मार्बल व्यवसायी बंधुओं को बरामद कर लिया. नारायण यादव वाटर प्रूफिंग के कांट्रेक्टर है.
उसे भी अक्तूबर के पहले सप्ताह में रंजीत ने फोन कर बताया था कि लखीसराय में एक भवन की वाटर प्रुफिंग करनी है. इसके बाद वे अपने भतीजे शिवपाल के साथ साइट देखने के लिए लखीसराय आया था, जहां उन दोनों को अगवा कर लिया गया और कजरा के जंगल ले जाया गया, जहां उनके साथ मारपीट की गयी और फिरौती की रकम मांगी गयी. लेकिन, अपहरणकर्ताओं की चूक के कारण दोनों वहां से भाग गये और फिर प्राथमिकी भी दर्ज करायी थी. यह घटना इसी माह में आठ अक्तूबर को घटित हुई थी. इधर पुलिस ने जब पटना एयरपोर्ट से अनुसंधान शुरू किया और एयरपोर्ट व उसके इर्द-गिर्द का सीसीटीवी कैमरे निकाले, तो कुछ जानकारी नहीं मिली. क्योंकि, जिस सफारी गाड़ी से उन दोनों को ले जाया गया था, उसमें नंबर ही नहीं था. इसके बाद पुलिस की टीम ने लखीसराय में हुए घटनाओं की जानकारी ली, तो पता चला कि नारायण यादव नाम के शख्स ने भी इसी तरह की प्राथमिकी दर्ज करायी थी कि काम दिलाने के नाम पर उन लोगों को बुला कर अपहरण कर लिया गया.
एसएसपी मनु महाराज ने तुरंत इलाहाबाद एसपी से संपर्क साधा और वहां के एसपी ने नारायण यादव को उपलब्ध करा दिया. पुलिस ने नारायण यादव से वह मोबाइल नंबर जान लिया, जिससे उसे फोन आया था. इसके बाद उस फोन का कॉल डिटेल निकाला, तो उसमें दिल्ली के मार्बल व्यवसायी अयूब का नाम भी सामने आया. पटना पुलिस की सूचना पर दिल्ली पुलिस ने अयूब को पकड़ लिया और पूछताछ की. उसने बताया कि उसे भी कुछ इसी तरह का ऑफर आया था और उसने मना कर दिया था. इसके साथ ही मोबाइल नंबर की भी पुष्टि हो गयी. क्योंकि, नारायण यादव को किये गये कॉल का मोबाइल नंबर भी अयूब का कॉल किया नंबर ही था. इसके बाद पुलिस ने नारायण यादव को पटना लाया और फिर उससे लोकेशन लिया गया. इसमें उसने अंदाज के आधार पर लखीसराय के कजरा इलाके का लोकेशन बताया.
अयूब था पहला टारगेट : रंजीत ने पहला टारगेट मार्बल व्यवसायी अयूब को बनाने का प्रयास किया था. लेकिन, उसने जब इनकार कर दिया, तो उसने मार्बल व्यवसायी बंधु को प्रलोभन दिया गया और पटना बुलाया गया.
रंजीत रेप केस में जा चुका है जेल रंजीत ने फेक आइडी से कई मोबाइल नंबर ले रखे थे. इसमें दो नंबर पश्चिम बंगाल का, एक नंबर दिल्ली का और एक नंबर यूपी का था. जिसके कारण पुलिस उस तक नहीं पहुंच पा रही थी. पुलिस जहां भी पहुंच रही थी, वहां उसे सफलता नहीं मिल रही थी. रंजीत डॉन काफी शातिर अपराधी है और यह रेप केस में भी जेल जा चूका है. वह कुछ दिन पहले ही जमानत पर छूटा था.
रंजीत डॉन नक्सलियों से भी रखता है संबंध
लखीसराय. जिले के रामगढ़ चौक थाना अंतर्गत बोधनगर निवासी शिवदानी मंडल के पुत्र कुख्यात रंजीत मंडल उर्फ रंजीत डॉन के अपराध का सेफ्टी जोन चानन के जंगल, कजरा व पीरी बाजार का पहाड़ माना जाता है. जिले के स्थानीय इलाका छोड़ कर अंतरजिला ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी अपराध की घटना को अंजाम देकर रंजीत चानन या कजरा में ही अपना ठिकाना बनाता है. इसके लिए उसे स्थानीय लोगों का भी सहयोग प्राप्त है. रंजीत का संपर्क नक्सलियों से भी बताया जाता है. कभी-कभी नक्सली भी रंजीत को शरण देता है. इसके लिए नक्सली को इसके द्वारा मोटी रकम भी दी जाती है. इसका मुख्य धंधा फिरौती के लिए अपहरण करना है. इसके तार हरियाणा के गुड़गांव व दिल्ली के कई इलाकों से जुड़े हैं. ह पूर्व में भी हरियाणा के एक मंत्री के रिश्तेदार का अपहरण कर लिया था लेकिन पुलिस ने फिरौती लेने से पूर्व ही उसे पकड़ लिया था. तीन चार साल पूर्व ही रंजीत की संपत्ति प्रशासन द्वारा जब्त की गयी थी.
तीन करोड़ की डिलिंग ?
संभावना है कि तीन करोड़ रुपये फिरौती की रमक देने के बाद ही दोनों भाइयों को मुक्त किया. जिस पहाड़ से दोनों को मुक्त कराया गया वह क्षेत्र पूरी तरह से नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. जहां दिन के उजाले में ही पुलिस कार्रवाई कर सकती है. लेकिन अहले सुबह अंधेरे में दोनों भाइयों की बरामदगी की गयी.
पुलिस को मिली सफलता
1 : नेपाल के उद्योगपति सुरेश केडिया का मोतिहारी इलाके से मई माह में अपहरण का लिया गया था. अपहरणकर्ताओं ने सौ करोड़ की फिरौती भी मांगी थी. लेकिन पुलिस की दबिश के बाद अपहरणकर्ताओं ने सुरेश केडिया को मोतिहारी इलाके में ही छोड़ दिया था.
2 : महाराष्ट्र के थाणे के रियल एस्टेट व्यवसायी खालिद कादरी का भी अपहरण अगस्त में पटना एयरपोर्ट के बाहर कर लिया गया था. अपहरणकर्ताओं ने उनके परिजनों से तीस लाख की फिरौती मांगी थी. महाराष्ट्र पुलिस व बिहार पुलिस ने संयुक्त रूप से दबिश दी और तीन अपहरणकर्ताओं को पकड़ लिया. उन लोगों ने व्यवसायी को रक्सौल रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया.
3 : कटिहार के कुरसेला इलाके से बिजनेस मैन भानू अग्रवाल की छह साल की बेटी का अगस्त में अपहरण कर लिया गया था. स्कूल से लौटने के क्रम में यह घटना हुई थी. लेकिन पुलिस ने एक अपहरणकर्ता को पकड़ लिया.

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