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आॅपरेशन की धीमी रफ्तार: हार्डकाेर नक्सली अरविंद व सुधाकरण के लातेहार की पहाड़ियों पर ही हाेने की सूचना

रांची: हार्डकोर नक्सली अरविंद और सुधाकरण के खिलाफ कई नक्सली अभियान चलाने के बाद भी अब तक पुलिस इन्हें नहीं पकड़ पायी है. अरविंद उर्फ देव कुमार सिंह झारखंड में भाकपा माओवादी का शीर्ष नक्सली और पोलित ब्यूरो सदस्य है. इसके बाद नंबर दो पर सुधाकरण का नाम आता है. खबर है कि आज भी […]

रांची: हार्डकोर नक्सली अरविंद और सुधाकरण के खिलाफ कई नक्सली अभियान चलाने के बाद भी अब तक पुलिस इन्हें नहीं पकड़ पायी है. अरविंद उर्फ देव कुमार सिंह झारखंड में भाकपा माओवादी का शीर्ष नक्सली और पोलित ब्यूरो सदस्य है. इसके बाद नंबर दो पर सुधाकरण का नाम आता है. खबर है कि आज भी अरविंद अपने विशेष दस्ता के साथ बूढ़ा पहाड़ पर डेरा जमाये हुए है. वहीं, सुधाकरण नेतरहाट और गारू के बीच जयगीर हेनार पहाड़ पर जमा हुआ है.

बोकारो और गिरिडीह क्षेत्र में आतंक का पर्याय रहा मिसिर बेसरा झारखंड के चाईबासा और ओड़िशा के सुंदरगढ़ इलाके में रह रहा है. इसकी पुष्टि वरीय पुलिस अधिकारी करते हैं. बावजूद इसके अरविंद और सुधाकरण काे दबोचने या मुठभेड़ में मार गिराने की जगह पुलिस दोनों के पहाड़ के ऊपरी हिस्से से नीचे आने का इंतजार कर रही है. अभी दोनों के ठिकाने वाले पहाड़ के निचले हिस्से में धीमी रफ्तार से अभियान जारी है. पुलिस को कहना है कि दोनों शीर्ष नक्सली आखिर कब तक छिपे रहेंगे. राशन-पानी का जब तक उनके पास स्टॉक है, तभी तक वे छिपे रह सकते हैं. राशन समाप्त होने के बाद वे नीचे आयेंगे, तब बच नहीं पायेंगे. अब यह देखने वाली बात होगी कि पुलिस की यह मुराद पूरी होती है या हमेशा की तरह दोनों शातिर हार्डकोर फरार होने में सफल रहते हैं. अभी सुधाकरण पर इनाम की राशि घोषित नहीं है. पुलिस मुख्यालय ने इसके ऊपर इनाम घोषित करने का प्रस्ताव छह माह पूर्व ही सरकार को भेजा था, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. सुधाकरण पर इनाम की राशि घोषित नहीं होने की मुख्य वजह थी कि उसके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं था. पूर्व में हुई नक्सली घटनाओं के अनुसंधान में उसको आरोपी बनाते हुए कुछ और मामलों में उसे नामजद कर फिर से प्रस्ताव भेजा गया है. इस पर निर्णय बाकी है.

पहाड़ के ऊपर जाने में खतरा
जानकार बताते हैं कि अरविंद और सुधाकरण पहाड़ के शीर्ष हिस्से में हैं. वहां पर पुलिस बलाें का पहुंचना आसान नहीं है, क्योंकि नीचे से पहाड़ के शीर्ष पर जानेवाले रास्ते में जगह-जगह पर लैंड माइंस बिछाये गये हैं. ऊपर जाने पर सुरक्षाबलों को भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. यही वजह है कि पुलिस खतरा मोल लेना नहीं चाहती. कुछ माह पूर्व बूढ़ा पहाड़ पर चलाये गये सर्च अभियान के दौरान लैंड माइंस विस्फोट होने से दो-तीन जवान घायल हो गये थे, जिन्हें बेहतर इलाज के लिए रांची लाया गया था.

तीन स्थानों पर ही चल रहा अभियान
फिलवक्त अभी पूरे प्रदेश में सिर्फ तीन स्थानों पर ही नक्सल अभियान चलाया जा रहा है. इनमें लातेहार के बूढ़ा पहाड़ और जयगीर हेनार पहाड़ के निचले हिस्से के अलावा पलामू और गया का बॉर्डर वाला इलाका शामिल है.

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