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आखिरी के 28 रन पर गिरे 7 विकेट, फैंस के हाथ लगी निराशा, वर्ल्डकप ले गयी इंग्लैंड की टीम

लंदन : भारतीय महिला क्रिकेट टीम का वर्ल्ड कप जीतने का सपना एक बार फिर टूट गया. मैच में एक ऐसा भी वक्त आया जब भारत पूरी तरह से इंग्लैंड पर हावी था लेकिन आखिरी के 7 ओवरों में मैच का रुख पलट गया और इंग्लैंड टीम ने एक बार फिर वर्ल्ड कप पर कब्जा […]

लंदन : भारतीय महिला क्रिकेट टीम का वर्ल्ड कप जीतने का सपना एक बार फिर टूट गया. मैच में एक ऐसा भी वक्त आया जब भारत पूरी तरह से इंग्लैंड पर हावी था लेकिन आखिरी के 7 ओवरों में मैच का रुख पलट गया और इंग्लैंड टीम ने एक बार फिर वर्ल्ड कप पर कब्जा करने में कामयाब रही. मध्यम गति की गेंदबाज अन्या श्रबसोले के कातिलाना स्पैल के सामने भारत ने रविवार को यहां अपने आखिरी सात विकेट 28 रन के अंदर गंवाये जिससे इंग्लैंड ने फाइनल में शानदार वापसी का बेजोड नमूना पेश किया और आखिर में नौ रन से जीत दर्ज करके चौथी बार आईसीसी वर्ल्ड कप कप जीता जिससे भारतीय फैंस के हाथ निराशा लगी.

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टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी के लिये उतरे इंग्लैंड ने लाड्र्स की धीमी पिच पर सजग शुरुआत की लेकिन बीच में उसने 16 रन के अंदर तीन विकेट गंवा दिये. सराह टेलर (45) और नताली सीवर (51) ने चौथे विकेट के लिये 83 रन जोडकर टीम को इन झटकों से उबारा लेकिन ऐसे मौके पर झूलन की शानदार गेंदबाजी से उसने फिर से 18 रन के अंदर तीन विकेट गंवाये. आखिर में कैथरीन ब्रंट (34) और जेनी गुन (नाबाद 25) के प्रयासों से इंग्लैंड सात विकेट पर 228 रन तक पहुंचने में सफल रहा. भारत ने पूनम राउत (115 गेंदों पर 86 रन) और सेमीफाइनल की नायिका हरमनप्रीत कौर (80 गेंदों पर 51 रन) ने तीसरे विकेट के लिये 95 रन की साझेदारी की. इसके बाद वेदा कृष्णमूर्ति (35) की उपयोगी पारी से भारत एक समय तेजी से जीत की तरफ बढ रहा था लेकिन श्रबसोले ने यहीं गेंद संभाली और मैच का पासा पलट दिया.

भारत का स्कोर 43 ओवर में तीन विकेट पर 191 रन था और उसे जीत के लिये 38 रन की दरकार थी लेकिन आखिर में उसकी पूरी टीम 48.4 ओवर में 219 रन पर ढेर हो गयी. श्रबसोले ने 46 रन देकर छह विकेट लिये जो उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. यह दूसरा अवसर है जबकि भारतीय महिला टीम विश्व कप के फाइनल में हारी. इससे पहले 2005 में आस्ट्रेलिया ने उसे विश्व चैंपियन बनने से रोका था. भारतीय गेंदबाजों ने हालांकि अच्छा प्रदर्शन किया. झूलन गोस्वामी ने दस ओवर में 23 रन के एवज में तीन विकेट लेकर इंग्लैंड का मध्यक्रम झकझोरा. लेग स्पिनर पूनम यादव ने शीर्ष क्रम को झकझोरने में अहम भूमिका निभायी. उन्होंने 36 रन देकर दो विकेट लिये. राजेश्वरी गायकवाड ने एक विकेट हासिल किया. लेकिन भारतीय बल्लेबाज अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी. स्मृति मंदाना (शून्य) लगातार सातवें मैच में नाकाम रही.

भारत को हालांकि करारा झटका कप्तान मिताली राज (17) के अपनी गलती से रन आउट होने से करारा झटका लगा जो राउत के साथ मिलकर टीम को शुरुआती झटके से उबारने में लगी थी. अब हरमनप्रीत क्रीज पर थी जो आस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 171 रन की धमाकेदार पारी के बाद भारतीय मीडिया की लाडली बनी हुई है. उन्होंने संभलकर बल्लेबाजी की लेकिन ढीली गेंदों पर शाट भी जमाये. बायें हाथ की स्पिनर अलेक्स हर्टले पर दो छक्के जड़कर उन्होंने दबाव कुछ कम किया लेकिन इसके बावजूद 25 ओवर तक भारतीय स्कोर दो विकेट पर 92 रन ही पहुंच पाया था. भारत ने 27वें ओवर में स्कोर तिहरे अंक में पहुंचाया. इन दोनों बल्लेबाजों में राउत ने पहले अर्धशतक पूरा किया जिसके लिये उन्होंने 75 गेंदें खेली. इसके कुछ देर बार हरमनप्रीत भी 78 गेंदें खेलकर इस मुकाम पर पहुंच गयी लेकिन इसके तुरंत बाद वह लंबा शाट खेलने के प्रयास में कैच टैमी ब्यूमोंट को कैच दे बैठी. उन्होंने अपनी पारी में तीन चौके और दो छक्के लगाये.

नई बल्लेबाज वेदा जब 14 रन पर थी तब विरोधी टीम की कप्तान हीथर नाइट ने उनका आसान कैच छोडा. भारत को आखिरी आठ ओवरों में 47 रन की दरकार थी और टीम पर दबाव बढ रहा था. ऐसे में वेदा ने श्रबसोले पर लगातार दो चौके जडकर भारतीय खेमे में जोश भरा. श्रबसोले के इसी ओवर में हालांकि राउत पगबाधा आउट हो गयी.उन्होंने अपनी 115 गेंद की पारी में चार चौके और एक छक्का लगाया.यहां से भारतीय पारी के पतन की कहानी शुरु हुई. हर्टले ने अगले ओवर में नयी बल्लेबाज सुषमा वर्मा को भी पवेलियन भेजकर इंग्लैंड के खेमे में उम्मीद जगायी. ऐसे अवसर पर वेदा भी श्रबसोले की गेंद हवा में लहरा गयी जबकि झूलन गोस्वामी की गिल्लियां बिखर गयी.

भारत का स्कोर 13 गेंद के अंदर तीन विकेट पर 191 रन से सात विकेट पर 201 रन हो गया। इसके बाद भी विकेट गिरने का क्रम नहीं थमा. श्रबसोले के अलावा इंग्लैंड की तरफ हर्टले ने भी दो विकेट लिये. इससे पहले लारेन विनफील्ड (24) और टैमी ब्यूमोंट (23) ने इंग्लैंड को अच्छी शुरुआत दिलायी और पहले विकेट के लिये 47 रन जोडे. लेकिन इसके बाद स्पिन आक्रमण के सामने उसकी बल्लेबाजी चरमरा गयी. मिताली ने आठवें ओवर में गायकवाड के रुप में स्पिन आक्रमण लगा दिया था. बायें हाथ की इस स्पिनर के दूसरे ओवर में ब्यूमोंट को विकेट के पीछे जीवनदान मिला लेकिन अगले ओवर में वह विनफील्ड का लेग स्टंप उखाडने में सफल रही.

मिताली ने गेंदबाजी में लगातार बदलाव किये और 15वें ओवर में नाटे कद की स्पिनर पूनम यादव को गेंद सौंप दी. पूनम ने अपनी तीसरी गेंद पर ही ब्यूमोंट को मिडविकेट सीमा रेखा पर आसान कैच देने के लिये मजबूर किया और अगले ओवर में कप्तान हीथर नाइट (एक) को पगबाधा आउट किया.

अंपायर ने अपील ठुकरा दी थी लेकिन मिताली का डीआरएस का फैसला कारगर साबित हुआ. टेलर और सीवर ने इसके बाद पारी संवारने का बीडा उठाया और बीच के ओवरों में स्ट्राइक रोटेट करने पर ध्यान दिया. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि टेलर ने अपनी पारी में 62 गेंदें खेली लेकिन उनकी 45 रन की पारी में एक भी बाउंड्री शामिल नहीं है. झूलन ने अपने दूसरे स्पैल में आकर यह साझेदारी तोडी. मध्यम गति की इस अनुभवी गेंदबाज ने टेलर को विकेट के पीछे कैच कराया और अगली गेंद यार्कर करके नई बल्लेबाज फ्रैंक विल्सन को पगबाधा आउट किया. उन्होंने अपनी बेहद सटीक लाइन से की गयी गेंद पर पगबाधा आउट करके इंग्लैंड के खेमे को चिंतातुर कर दिया.

अपनी पारी में पांच चौके लगाने वाली सीवर ने डीआरएस लिया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं मिला. अब ब्रंट और जेनी गुन पर दारोमदार था. गुन रन बनाने के लिये जूझ रही थी. ब्रंट ने स्कोर बोर्ड चलायमान रखा था लेकिन दीप्ति शर्मा ने सीधे थ्रो पर उन्हें रन आउट कर दिया. इसके बाद गुन ने अंतिम चार ओवरों में लौरा मार्श (नाबाद 14) के साथ मिलकर 32 रन जोडे.

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