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पंजाब चुनाव : राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर केजरीवाल का उभार

आशुतोष चतुर्वेदी पंजाब में मतदान हो गया है और नतीजे वोटिंग मशीन में बंद हैं. लेकिन, जो सूचनाएं आ रही हैं, वे अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी के लिए उत्साहजनक हैं. माना जा रहा है कि ‘आप नेता’ केजरीवाल अब ‘सरदार’ अरविंद केजरीवाल होने जा रहे हैं. पंजाब के चुनावी नतीजों को उत्तर प्रदेश से […]

आशुतोष चतुर्वेदी
पंजाब में मतदान हो गया है और नतीजे वोटिंग मशीन में बंद हैं. लेकिन, जो सूचनाएं आ रही हैं, वे अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी के लिए उत्साहजनक हैं. माना जा रहा है कि ‘आप नेता’ केजरीवाल अब ‘सरदार’ अरविंद केजरीवाल होने जा रहे हैं. पंजाब के चुनावी नतीजों को उत्तर प्रदेश से कम आंकने की गलती न करें. यदि अरविंद केजरीवाल की पार्टी पंजाब में परचम लहरा देती है, तो राष्ट्रीय परिदृश्य पर उनके उभार को कोई नहीं रोक पायेगा.
पंजाब फतह की स्थिति का तो आप मीडिया में उनके कवरेज से भी अनुमान लगा सकते हैं. वैसे भी वह शुरू से एक रणनीति के तहत हमेशा खुद को प्रधानमंत्री मोदी के समकक्ष रखते आये हैं. इस जीत के बाद तो 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान मोदी के मुकाबले जब भी विपक्षी उम्मीदवार का नाम चलेगा, तो उसमें उनका नाम अवश्य होगा. उन पर थोड़ा ब्रेक तभी लग सकता है, यदि अखिलेश की समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गंठबंधन यूपी में जीत दर्ज कर लेता है.
चुनाव के नतीजों का आकलन बेहद जोखिम भरा काम है. भारत में तो बड़े-बड़े धुरंधर गलत साबित हो चुके हैं. यहां की तो छोड़िए, अमेरिका में ट्रंप को सभी पोल सर्वेक्षण हरवा रहे थे, लेकिन नतीजा क्या निकला, यह जगजाहिर है. ट्रंप गाजे-बाजे के साथ जीते और सर्वेक्षण गलत साबित हुए. लेकिन, पंजाब में मतदान के बाद जो हवा बह कर आयी है, उसके अनुसार एक बात तो तय है कि अकाली दल और भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है और माना जा रहा है कि यह गंठबंधन दहाई में आने के लिए संघर्ष कर रहा है. इस गंठबंधन के कुछ बड़े विकेट गिर जायें, तो कोई आश्चर्य न करें.
मैदान में बचे दो दल कांग्रेस और आप. राजनीतिज्ञ और विश्लेषक सभी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि पंजाब के मालवा इलाके में आप का दबदबा है. 117 सदस्यों वाली पंजाब विधानसभा में यदि आप पार्टी 50 सीटें इस क्षेत्र से जीत जाती है तो पंजाब में सरकार उसकी है. लेकिन, यहां पार्टी की हवा थी या आंधी, सारा गणित इस पर निर्भर करता है. हवा है तो आप पार्टी सीटें 40 से 45 सीटें जीतेगी और सरकार नहीं बना पायेगी और अगर उसके पक्ष में आंधी चली तो आंकड़ा 50-55 को पार कर जायेगा और सरकार पक्की. इस इलाके में दो से तीन फीसदी वोटों के स्विंग से अरविंद केजरीवाल की पार्टी को 10 से 20 सीटों का फायदा हो जायेगा. इसको लेकर लोगों के अलग-अलग आकलन हैं. सच्चाई यह है कि ऐसा थर्मामीटर बड़े-बड़े विश्लेषकों के पास भी नहीं है कि आप को समर्थन का बुखार 100 डिग्री था अथवा 102 डिग्री, इसका आकलन कर पायें.
दूसरी ओर पंजाब के माझा और दुआबा क्षेत्रों में कांग्रेस का जोर रहा. ऐसी सूचनाएं हैं कि भाजपा का समर्थन करने वाले हिंदू वोटर कांग्रेस की तरफ गये हैं. चुनाव के दौरान ऐसी खबरें आयीं कि पंजाब के सिख कट्टरपंथी केजरीवाल का समर्थन कर रहे हैं, उसके बाद शहरी हिंदुओं में घबराहट फैल गयी. नतीजतन अंतिम क्षणों में कमजोर अकाली-भाजपा के बजाये हिंदुओं ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया. दिलचस्प तथ्य यह है, ऐसा पहली बार होगा कि कांग्रेस के जाट सिख नेता अमरिंदर सिंह को हिंदुओं ने जम कर वोट दिया और हिंदू अरविंद केजरीवाल के पक्ष में जाट सिखों ने भारी संख्या में मतदान किया. लेकिन, इतना तो तय है कि केजरीवाल पंजाब में सरकार नहीं बना पाये, तो भी राष्ट्रीय राजनीतिक पटल पर उनके उभार को रोकना मुश्किल होगा.

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