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जस्टिस भंडारी की जीत के मायने

कमर आगा विदेश मामलों के जानकार नीदरलैंड के हेग में अवस्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आइसीजे) में भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी को बतौर जज चुना गया है. जस्टिस भंडारी दूसरी बार आइसीजे के जज बने हैं. यह भारत के लिए बड़ी जीत तो है ही, साथ ही पूरे विकासशील देशों की भी जीत है. […]

कमर आगा

विदेश मामलों के जानकार

नीदरलैंड के हेग में अवस्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आइसीजे) में भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी को बतौर जज चुना गया है. जस्टिस भंडारी दूसरी बार आइसीजे के जज बने हैं. यह भारत के लिए बड़ी जीत तो है ही, साथ ही पूरे विकासशील देशों की भी जीत है.

इस जीत से सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों की बड़ी हार हुई है, क्योंकि इसके स्थायी सदस्य देश अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, सब मिलकर ब्रिटेन के उम्मीदवार जस्टिस क्रिस्टोफर ग्रीनवुड को समर्थन दे रहे थे. भारत को जनरल एसेंबली में दो-तिहाई मेजोरिटी मिल रही थी. सुरक्षा परिषद् से भारत को पांच सदस्य मिल रहे थे, जबकि उन्हें नौ सदस्य मिल रहे थे. इसकी वजह यह थी कि कुछ लोग डर के मारे सिक्रेट बैलेट में उनको वोट डाल दे रहे थे.

लेकिन, बाद में जब यह हुआ कि वायस वोट होना चाहिए, तब भारत को समर्थन मिल गया. यही कारण है कि ब्रिटेन ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी. अगर ब्रिटेन अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं लेता, तो उसकी हार के बाद उसका काफी बड़ा नुकसान होता. आइसीजे में कुल 15 जज होते हैं, जिनमें से 14 जजों को पहले चुना जा चुका था. आखिरी जज के रूप में जस्टिस दलवीर भंडारी का मुकाबला जस्टिस क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से था. लेकिन, जस्टिस भंडारी की बढ़त को देखते हुए जस्टिस क्रिस्टोफर ने उम्मीदवारी वापस लेना ही उचित समझा.

इस पूरी प्रक्रिया से यह समझ में आता है कि सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों और बाकी देशों के बीच कितना मतभेद है, क्योंकि जब भी स्थायी सदस्यों का कोई मसला आता है, तो वे सारे एकजुट होकर अमेरिका के साथ खड़े हो जाते हैं.

इन सब विडंबनाओं के चलते ही संयुक्त राष्ट्र में बदलाव नहीं हो पाता है, जिसकी चर्चा अक्सर होती रही है. वे जानते हैं कि अगर सुरक्षा परिषद् में भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका आदि सदस्य बनेंगे, तो ये विकासशील देशों का साथ देंगे.

हालांकि, इन देशों के पास वीटो पावर नहीं होगा, लेकिन इनके शामिल होने से सुरक्षा परिषद् में बदलाव तो आ ही जायेगा. यही वजह है कि सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्य कोई बदलाव नहीं चाहते हैं. आइसीजे में जजों के चुनावी मुकाबले बहुत दिलचस्प होते हैं. इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए सुरक्षा परिषद् और जनरल एसेंबली में भी जीतना जरूरी होता है. इस ऐतबार से दलवीर भंडारी का आइसीजे का जज बनना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. जाहिर है, इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय शाख मजबूत हुई है.

आइसीजे बहुत पुरानी अदालत है, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना से पहले इसे बनाया गया था. इसलिए इसका महत्व ज्यादा है. आइसीजे की जरूरत दुनिया के हर देश को इसलिए है, क्योंकि तमाम देशों के बीच में बहुत से विवादित मामले चलते रहते हैं. चाहे दो या तीन देशों से बहनेवाली नदियों के पानी का मामला हो, या उनके बीच कोई सीमा विवाद हों.

चाहे मानवाधिकारों का मामला हो या फिर कोई अन्य अंतरराष्ट्रीय मामला. दो देशों या कई देशों के बीच कई ऐसे मामले होते हैं, जिनको अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाये बिना कोई हल नहीं निकल पाता है. जैसे साउथ चाइना सी में दस देशों का विवाद चल रहा है.

जैसे भारत के कूलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने फांसी की सजा पर आइसीजे ने ही रोक लगायी थी. इसमें दलवीर भंडारी की महत्वपूर्ण भूमिका थी. इस वजह से भी उनकी स्थिति दमदार बनी थी, जिससे उनके जज बनने में काफी मदद मिली.

हालांकि, पाकिस्तान के साथ भारत के द्वपक्षीय मसले-समझौते हैं, इसलिए इसमें आइसीजे कुछ नहीं कर सकता. लेकिन, चूंकि ईरान से कुलभूषण जाधव को अगवा करके पाकिस्तान ले जाया गया, इसलिए भारत ने आइसीजे में गुहार लगायी और इसमें हमें कामयाबी मिली है. आइसीजे के जज अंतरराष्ट्रीय कानून के हिसाब से अपना फैसला देते हैं और चूंकि कुलभूषण मामले में अंतरराष्ट्रीय कानून भारत के पक्ष में जाता है, इसी कारण आइसीजे ने कुलभूषण की फांसी पर रोक लगायी थी.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सईद अकबरुद्दीन एक बेहतरीन और मंझे हुए डिप्लोमेट हैं. सुरक्षा परिषद् और जनरल एसेंबली में अन्य प्रतिनिधियों के साथ सकारात्मक पहल करनेवाले अकबरुद्दीन की दलवीर भंडारी के जज बनने में अच्छी भूमिका नजर आती है. दूसरी बात यह है कि शांति स्थापना में भारत का एक बड़ा योगदान रहता है.

बहुत से देशों में भारत के फौजी समस्याओं के समाधान के लिए तैनात किये जाते हैं. सिविल वॉर की स्थिति में या मानवाधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में भारत के फौजी उन देशों में जाकर अमन-चैन कायम करने में अपनी भूमिका निभाते हैं. इस बात की सराहना दुनिया के सारे देश करते हैं और सभी चाहते हैं कि भारत अपनी असरदार मौजूदगी बनाये रहे.

इसलिए अंतरराष्ट्रीय अदालत में भारतीय जज का होना महत्वपूर्ण ही नहीं, बल्कि हमारे लिए बहुत जरूरी है. दरअसल, आइसीजे बहुत पारदर्शी तरीके से अपने फैसले देता है, इसलिए इसमें हमारी मौजूदगी का महत्व बढ़ जाता है. भारत आज एक शक्तिशाली देश के रूप में उभर रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी छवि लगातार बेहतर होती जा रही है. भारत को ऐसी हर जीत की जरूरत है, जो उसकी अंतरराष्ट्रीय शाख मजबूत कर सके.

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