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Thursday, March 28, 2024

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कांग्रेस-सपा गंठबंधन में फंस गया पेंच ? जानें किन-किन सीटों पर है विवाद

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन के तमाम कयासों के बीच सत्तारुढ समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच रिश्‍तों में खटास पड़ती नजर आ रही है. सपा ने आज कांग्रेस को कडा संदेश देते हुए कहा है कि इस पार्टी ने चुनावी तालमेल को लेकर अब तक कोई सकारात्मक बात नहीं […]

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन के तमाम कयासों के बीच सत्तारुढ समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच रिश्‍तों में खटास पड़ती नजर आ रही है. सपा ने आज कांग्रेस को कडा संदेश देते हुए कहा है कि इस पार्टी ने चुनावी तालमेल को लेकर अब तक कोई सकारात्मक बात नहीं की है और सपा उसे कुल 403 में से केवल 85 सीटें ही दे सकती है.

इधर, सपा ने 191 सीटों पर आज अपने उम्मीदवार उतार दिए है. सपा की ओर से जारी लिस्ट में खास बात यह है कि पार्टी ने कुछ उन सीटों पर भी अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं जहां से कांग्रेस अपने उम्मीदवार को उतारना चहती थी. ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच रिश्‍ते कुछ ठीक नहीं नजर आ रहे हैं. आइए एक नजर डालते हैं कहां फंसा होगा पेंच….

क्या मानना है अखिलेश का

सूबे के मुख्‍यमंत्री और सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव का मानना है कि यदि कांग्रेस के साथ उनकी पार्टी का गंठबंधन होता है तो कांग्रेस महज 56 सीटें ही जीत पाएगी. वहीं ग्राउंड रिपोर्ट पर एक नजर डालें तो दोनों पार्टियों के गंठबंधन की स्थिति में कांग्रेस को 10 सीटों का फायदा हो सकता है. आपको बता दें कि कांग्रेस ने पिछली बार 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि उसने 355 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.

क्या है कांग्रेस का तर्क

कांग्रेस गंठबंधन करके 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है लेकिन सपा उसे 85 सीट देकर ही संतुष्‍ट रहने की सलाह दे रही है. जानकारों की माने तो कांग्रेस तर्क दे सकती है कि उसकी पार्टी पिछले चुनाव में 32 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी जबकि 5 सीटें ऐसी थी जहां उसके उम्मीदवार की 500 से भी कम वोटों से हारे थे. 18 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार के हार का अंतर 5 हजार से 15 हजार था. इस हिसाब से इन सीटों पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारने का प्लान बना रही है.

रायबरेली और अमेठी का क्या है हाल

जैसा की सब जानते हैं कि रायबरेली और अमेठी क्रमश: सोनिया गांधी और राहुल गांधी का गढ है. इसलिए यहां की 12 में से 9 सीटें कांग्रेस मांग रही है जबकि बात यह है कि यहां कि 12 में से 9 सीटों पर सपा ने पिछली बार जीत दर्ज की थी. गंठबंधन में एक पेंच यह भी हो सकता है कि जो सीटें कांग्रेस मांग रही है उनमें से 35 सीटें ऐसी है जहां से या तो सपा का विधायक है या वहां पिछली बार सपा दूसरे स्थान पर रही थी.

लखनऊ कैंट का मामला

कांग्रेस और सपा के बीच लखनऊ कैंट को लेकर भी मामला फंसता नजर आ रहा है क्योंकि पिछली बार यहां से कांग्रेस उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी जीती थीं. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि रीता बहुगुणा जोशी ने कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है. एक बात और है कि इस सीट से मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक की पत्‍नी अपर्णा यादव लड़ना चाहतीं हैं. इसके लिए अपर्णा यहां कई दिनों से कैंप किए हुए है और पार्टी का प्रचार कर रहीं हैं.

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