बीजिंग/नयी दिल्ली : चीन ने पाकिस्तान आधारित जैश-ए-मोहम्मद (जेइएम) प्रमुख और पठानकोट आतंकी हमले के साजिशकर्ता मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की भारत, अमेरिका और अन्य देशों की कोशिश में गुरुवारको चौथी बार अवरोध पैदा किया और कहा कि चयन समिति के सदस्यों में इस बाबत कोई आम राय नहीं बनी है.
चीन के इस कदम पर निराशा जताते हुए नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत पुरजोर तरीके से यह मानता है कि दोहरे मानदंड से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संकल्प को सिर्फ झटका ही लगेगा. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि इस बात को समझा जायेगा कि संकीर्ण उद्देश्यों के लिए आतंकवाद को आश्रय देना अदूरदर्शिता पूर्ण होगा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो शक्ति रखनेवाले और परिषद के स्थायी सदस्य चीन ने जैश-ए-मोहम्मद सरगना को परिषद की अल-कायदा पाबंदी समिति के तहत प्रतिबंधित कराने के भारत के कदम को बार-बार बाधित किया है. हालांकि, जेइएम पहले से ही संरा की प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की सूची में है. चीन ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन समर्थित प्रस्ताव पर अपनी तकनीकी रोक को अगस्त महीने में तीन महीने के लिए बढ़ा दिया था. उसने इस साल फरवरी में इस कदम को बाधित किया था.
गुरुवारको न्यू यॉर्क स्थित सैन्य मुख्यालय में शाम तीन बजे की समयसीमा से कुछ घंटे पहले चीन की ओर से यह कदम उठाया गया. गौरतलब है कि अजहर को सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकवादी घोषित कराने का विरोध करनेवाला चीन एकमात्र देश है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से अन्य सभी 14 सदस्य अमेरिका और फ्रांस के कदम का समर्थन कर रहे हैं. अगर चीन ने इस संबंध में प्रस्ताव में अड़चन नहीं पैदा की होती तो इसे अपना लिया जाता. आधिकारिक सूत्रों ने यह बताते हुए कहा कि यह बिल्कुल उसी प्रक्रिया की तरह रही जिसमें पहले बीजिंग ने भारतीय प्रस्ताव को अपनाकर इसमें अधिकतम संभावित समय तक देरी की और फिर इसे रोक दिया. अधिकारी ने कहा, उन्होंने अभी के लिए अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के स्थायी मिशन ने इस संबंध में प्रश्न का तत्काल कोई उत्तर नहीं दिया. भारत और अमेरिका को अब अगले कदम के बारे में विचार-विमर्श करना होगा. दोनों देशों के पास इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सर्वोच्च स्तर के परामर्श की एक नयी प्रक्रिया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन की तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी.
बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय में मौजूद सूत्रों ने बताया, चीन ने इस कदम को खारिज कर दिया क्योंकि आमराय नहीं है. अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा अजहर को एक वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध कराने के प्रस्ताव पर चीन की तकनीकी रोक निष्प्रभावी हो गयी. जिसके मद्देनजर यह टिप्पणी आयी है. आधिकारिक टिप्पणी में संकेत मिलता है कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 कमेटी के समक्ष आवेदन पर वीटो का इस्तेमाल किया, ताकि यह निष्प्रभावी हो जाये. यह लगातार दूसरा साल है जब चीन ने प्रस्ताव को बाधित किया है. पिछले साल चीन ने इसी कमेटी के समक्ष भारत की अर्जी रोकने के लिए यही काम किया था.
इससे पहले, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुया चुनयिंग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, हमने एक तकनीकी रोक लगायीहै ताकि कमेटी को और अधिक वक्त मिल सके और इसके सदस्य इस विषय पर चर्चा कर सकें. लेकिन, इस विषय पर अब तक आमराय नहीं है. चीन की निरंतर तकनीकी रोक का बचाव करते हुए हुआ ने कहा, हम कमेटी के आदेश और इसकी नियमावली का पालन करना जारी रखेंगे तथा कमेटी के सदस्यों के साथ लगातार संवाद एवं समन्वय रखेंगे. कुछ अन्य सवालों के जवाब देते हुए हुआ ने कहा कि कमेटी के अपने नियम हैं. कमेटी अभी आमराय पर नहीं पहुंची है. पिछले साल मार्च में चीन 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में एकमात्र ऐसा देश था जिसने भारत की अर्जी को बाधित किया था. वहीं, परिषद के 14 सदस्य देशों ने अजहर को प्रतिबंधित करने के भारत के कदम का समर्थन किया था.