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सेना प्रमुख की टिप्पणी पर चीन ने जतायी आपत्ति, पूछा-क्या यह भारत का आधिकारिक बयान है

बीजिंग : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के उस बयान कि देश को दो मोर्चों पर लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि चीन ने ‘आंख दिखाना’ शुरू कर दिया है, जबकि पाकिस्तान के साथ सुलह की भी कोई गुंजाइश नजर नहीं आती, पर चीन ने कड़ी आपत्ति जतातेहुए कहा कि भारत चीन के धैर्य […]

बीजिंग : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के उस बयान कि देश को दो मोर्चों पर लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि चीन ने ‘आंख दिखाना’ शुरू कर दिया है, जबकि पाकिस्तान के साथ सुलह की भी कोई गुंजाइश नजर नहीं आती, पर चीन ने कड़ी आपत्ति जतातेहुए कहा कि भारत चीन के धैर्य की परीक्षा ले रहा है. उनके इस बयान पर आपत्ति जताते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि उन्होंने जनरल का बयान देखा है और यह भी जानते हैं कि भारतीय प्रेस ने भी इसकी आलोचना की है. चीन का कहना है कि जनरल की यह टिप्पणी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन केदौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक में द्विपक्षीय रिश्तों को बेहतर बनाने पर जतायी गयी सहमति के खिलाफ है. जनरल रावत ने बुधवार को नयी दिल्ली में सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज के एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत को दो मोर्चों पर युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए.

ढाई महीने तक चले डोकलाम गतिरोध के बाद मोदी-जिनपिंग मुलाकात का जिक्र करते हुए गेंग ने जनरल रावत के बयान जारी करने के अधिकार पर भी सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि क्या रावत का बयान भारत का आधिकारिक बयान है. गेंग ने कहा कि भारत और चीन महत्वपूर्ण पड़ोसी हैं और रिश्तों को लगातार मजबूती देना दोनों देशों के बुनियादी हितों के लिए जरूरी है. दो दिन पहले जिनपिंग ने मोदी से कहा है कि भारत के लिए चीन खतरा नहीं, बल्कि अवसर है. मोदी ने भी जिनपिंग से द्विपक्षीय संबंधों को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने की बात कही है. उम्मीद है कि जनरल रावत रिश्तों के इस रुझान को समझेंगे और दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने में योगदान करेंगे.

डोकलाम में 73 दिनों तक चले टकराव का जिक्र करते हुए सेना प्रमुख ने चेतावनी दी थी कि उत्तरी सीमा पर यह स्थिति धीरे-धीरे एक बड़े संघर्ष का रूप ले सकती है. उन्होंने कहा था कि ऐसी संभावना है कि ये संघर्ष एक स्थान और समय तक सीमित रहे या ऐसा भी हो सकता है कि ये पूरे सीमा क्षेत्र में एक पूरे युद्ध का रूप ले ले. ऐसे में पाकिस्तान इस स्थिति का फायदा उठाने की फिराक में रहेगा.

जनरल रावत ने कहा, हमें तैयार रहना होगा. हमारे संदर्भ में, युद्ध जैसी स्थिति हकीकत के दायरे में है. जनरल रावत ने कहा था कि बाहरी सुरक्षा खतरों का सफलतापूर्वक मुकाबला करने के लिए तीनों सेवाओं में सेना की सर्वोच्चता बनी रहनी चाहिए. जनरल रावत ने कहा कि भारत चीन के खिलाफ अपनी चौकसी कम करने का जोखिम नहीं ले सकता. उन्होंने कहा कि जहां तक उत्तर की बात है, तो आंख दिखाना शुरू हो गया है. हमें उन स्थितियों के लिए तैयार रहना होगा, जो धीरे-धीरे संघर्ष में तब्दील हो सकती हैं.

सेना प्रमुख ने डोकालम टकराव के दौरान भारत के विरुद्ध मीडिया और सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से मनोवैज्ञानिक युद्धोन्माद में चीन के उतर जाने के बारे में भी चर्चा की. उन्होंने इस धारणा को खारिज कर दिया कि भरोसेमंद प्रतिरोधक से युद्ध रुक सकता है और उन्होंने सशस्त्रबलों के लिए उपयुक्त बजटीय आवंटन पर बल दिया.

पाकिस्तान के बारे में उन्होंने कहा कि जहां तक पश्चिमी दुश्मन की बात है, तो हमें सुलह की कोई गुजाइंश नजर नहीं आती, क्योंकि उसकी सेना, राजसत्ता और उस देश के लोगों के मन में यह बात बिठा दी गयी है कि भारत दुश्मन है और वह उनके देश को टुकड़ों में तोड़ने के लिए बेताब है. जनरल रावत ने इस बात पर अचरज प्रकट किया कि देश कब तक पाकिस्तान के छद्म युद्ध को बर्दाश्त करता रहेगा और कब वह इस निष्कर्ष पर पहुंचेगा कि पाकिस्तान हद पार कर गया है.

उन्होंने कहा कि संभावित संघर्ष के दायरे का अनुमान लगाना कठिन है. इस मुद्दे पर राजनीतिक नेतृत्व को निर्णय लेना है. भरोसेमंद प्रतिरोधक के बारे में सेना प्रमुख का कहना था कि परमाणु हथियार प्रतिरोध के हथियार हैं. हां, वे प्रतिरोध के हथियार हैं, लेकिन यह कहना कि वे युद्ध रोक देंगे या वे देशों को लड़ने नहीं देंगे, हमारे संदर्भ में सही नहीं हो सकता.

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