बेतिया :राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में रविवार को पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद द्वारा देश में लगायी गयी ‘इमरजेंसी’ पर दिये गये बयान पर जदयू के वरिष्ठ नेता शैलेंद्र प्रताप सिंह ने पलटवार करते हुए कहा है कि ”लोकतंत्र में विश्वास रखनेवाला कोई भी व्यक्ति ऐसी घटना का समर्थन नहीं कर सकता. इंदिरा गांधी के वक्त हजारों-लाखों बेकसूर लोगों को अनावश्यक परेशान किया गया. इंदिरा गांधी के करीबी रहे कुलदीप नैय्यर जैसे वरिष्ठ पत्रकार को भी जेल में बिना वजह ठूंस दिया गया. लालू जी बताएं कि क्या वही थी मीडिया की स्वतंत्रता? लालू प्रसाद द्वारा इमरजेंसी जैसी त्रासदी पर ऐसा बयान देना राष्ट्रीय जनता दल के तानाशाही सोच का सबूत है.
लालू प्रसाद की तानाशाही से राजद ग्रस्त है और अब लालू जी अपने बेटे को भी पार्टी पर थोपने का प्रयास कर रहे हैं. बिहार हो या राष्ट्रीय स्तर पर, मीडिया पर अंकुश कहीं नहीं है. लेकिन, एनडीए सरकार की सफलताएं लालू यादव जी से पच नहीं रही है. जनता के हित में काम करने के लिए लालू प्रसाद जी कभी नहीं जाने जाते हैं. बिहार का कबाड़ा निकाल दिया. जनता त्राहिमाम करती रही, लालू जी अपने परिवार के साथ चारा और अलकतरा घोटाला कर तहखाने भरते रहे।.
शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मीडिया आज भी घोटाले ढूंढ़ रही है और सामने ला भी रही है. माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो पिछले लोकसंवाद में मीडियाकर्मियों को प्रोत्साहित भी किया कि जो गड़बड़ी कर रहे हैं, उनका पर्दाफाश मीडिया करे. लेकिन, लालू जी जैसे लोगों को मीडिया का काम अभी इसलिए पसंद नहीं आ रहा है, क्योंकि जो घोटाले लालू जी ने किये हैं, सब मीडिया ने निकाल दिया. बीआई-ईडी भी लालू जी को नागवार गुजर रही हैं, क्योंकि हजारों करोड़ की लालू परिवार की अवैध संपत्ति इन दोनों एजेंसियों ने जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की है.
शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि लालू प्रसाद मीडिया की स्वतंत्रता या किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता के पक्षधर कभी नहीं रहे हैं. यह बात बिहार का हर शख्स जानता है. चूंकि हमेशा से लालू जी की भूमिका अनर्गल बयान देकर न्यूज में बने रहने की है, आज भी वो वही कर रहे हैं. लालू जी तो इमरजेंसी के वक्त रहे हैं और इतने वर्षों बाद इमरजेंसी के दौर की सराहना करना, हजारों-लाखों देशभक्तों का अपमान है.