27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

ममता मेरे मामले में वाममोरचा से ज्यादा कठोर : तसलीमा

कोलकाता. विवादित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन का कहना है कि 2011 में ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल में अपनी वापसी के लिए स्थिति सुधरने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें लगता है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो इस मामले में वाममोरचा की सरकार से ज्यादा कठोर हैं. तस्लीमा ने फोन पर नयी […]

कोलकाता. विवादित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन का कहना है कि 2011 में ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल में अपनी वापसी के लिए स्थिति सुधरने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें लगता है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो इस मामले में वाममोरचा की सरकार से ज्यादा कठोर हैं. तस्लीमा ने फोन पर नयी दिल्ली में अपने अज्ञात आवास से बताया : मुझे उम्मीद थी कि ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद पश्चिम बंगाल की स्थिति सुधरेगी, लेकिन मैं गलत थी. मुझे वह वाम मोर्चा सरकार से कहीं ज्यादा कठोर लगीं.
निर्वासित लेखिका ने कहा कि वह वोटबैंक की राजनीति की शिकार हैं और राजनीतिज्ञ चाहे किसी भी दल के हों, उनके बारे में सबका यही नजरिया है. उन्होंने कहा : अगर मेरी बात हो तो सभी राजनीतिज्ञों का नजरिया समान ही है. मेरे विचार से इसका कारण उनकी यह सोच है कि यदि वह मुसलिम कट्टरपंथियों को संतुष्ट कर सकते हैं, तो उन्हें ज्यादा मत मिलेंगे. मेरा मानना है कि मैं वोटबैंक की राजनीति की शिकार हूं. इससे यह भी पता चलता है कि लोकतंत्र कितना कमजोर है और राजनीतिज्ञ एक लेखक को प्रतिबंधित करके वोट जुटाते हैं.
तस्लीमा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में यही हो रहा है. राज्य में उनकी वापसी के बारे में राज्य सरकार का विरोध एक खतरनाक विरोध है.
तस्लीमा ने कहा : हालांकि मैं वहां नहीं रह रही हूं, लेकिन फिर भी ममता बनर्जी ने मेरी किताब निर्वासन को छपने की अनुमति नहीं दी. इसके अलावा मुस्लिम कट्टपंथियों के विरोध के बाद उन्होंने मेरी स्क्रिप्ट पर आधारित एक टीवी सीरियल को भी प्रसारित होने से रोक दिया. उन्होंने मुझे राज्य में घुसने की अनुमति भी नहीं दी. यह एक खतरनाक विरोध है.
उल्लेखनीय है कि जान से मारने की धमकियां मिलने के बाद वर्ष 1994 से बांग्लोदशी लेखिका निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही है. यूरोप में रहने के बाद तस्लीमा ने वर्ष 2004 में भारत में शरण ली और कोलकाता में रहीं, लेकिन साल 2007 में उनके लेखन को लेकर मुसलमानों के हिंसक प्रदर्शन के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल से निकाल दिया गया. फिर कुछ दिन तक वह नई दिल्ली में अज्ञात स्थान पर रहने के बाद वह स्वीडन चली गयीं. बाद में वह भारत लौट आयीं और इस समय नई दिल्ली में रह रही हैं. कोलकाता लौटने के लिए ममता बनर्जी से संपर्क कर उनसे मदद मांगे जाने के बारे में पूछे जाने पर तस्लीमा ने कहा : उन्होंने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक इसका जवाब नहीं मिला है. मैंने एक लोकप्रिय बांग्ला दैनिक में एक आलेख लिखा था और उम्मीद थी कि वह इसका संज्ञान लेंगी और मेरी मदद करेंगी, हालांकि यह ममता बनर्जी पर बहुत ही सकारात्मक आलेख था, लेकिन कुछ भी नहीं बदला.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें