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टाटा ने बंगाल में निवेश की इच्छा जतायी

कोलकाता : लगता है टाटा व तृणमूल कांग्रेस के बीच की कड़वाहट कम होने लगी है. पश्चिम बंगाल से नैनो की विदाई से रिश्तों में आयी खटास अब दूर होने लगी है, तभी तो देश के इस अग्रणी आैद्योगिक घराने ने फिर से पश्चिम बंगाल में निवेश की इच्छा जतायी है. लेकिन टाटा समूह के […]

कोलकाता : लगता है टाटा व तृणमूल कांग्रेस के बीच की कड़वाहट कम होने लगी है. पश्चिम बंगाल से नैनो की विदाई से रिश्तों में आयी खटास अब दूर होने लगी है, तभी तो देश के इस अग्रणी आैद्योगिक घराने ने फिर से पश्चिम बंगाल में निवेश की इच्छा जतायी है. लेकिन टाटा समूह के चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने राज्य को यहां निवेश के उपयुक्त अ‍वसर उपलब्ध कराने की स्थिति को साबित करने के लिए कहा है. चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने टाटा समूह की कंपनी टाटा ग्लोबल बेवरेजेज की गुरुवार को वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में भाग लेने के लिए महानगर आये हुए हैं. इस अवसर पर बंगाल में निवेश की टाटा समूह की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर श्री मिस्त्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल को खुद यह दिखाना होगा कि यहां निवेश के उपयुक्त अ‍वसर उपलब्ध हैं. जब अवसर दिखायी देंगे, तो हम यहां निवेश करेंगे, बेशक राजनीतिक सत्ता किसी की भी हो.
टाटा समूह के चेयरमैन ने कहा कि व्यवसाय में हम लोगों ने हमेशा एक गैर राजनीतिक रुख लिया है. बंगाल का हमारे दिल व इतिहास में एक खास मुकाम है. हम पश्चिम बंगाल को एक विकसित इलाके के रूप में देखेंगे. गौरतलब है कि टाटा मोटर्स द्वारा 2008 में राज्य के हुगली जिला के सिंगूर में नैनो परियोजना से हटने के बाद टाटा समूह और उस समय की मुख्य विरोधी दल तृणमूल कांग्रेस के बीच रिश्ताें में कड़वाहट आ गयी थी.
तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी नैनाे परियोजना के लिए कृषि भूमि के अधिग्रहण का जबरदस्त विरोध किया था. उन्होंने इस परियोजना के खिलाफ 26 दिनों तक लगातार भूख हड़ताल भी की थी. उनकी व उनके दल की मांग थी कि सिंगूर में नैनो परियोजना के लिए किसानाें से ली गयी एक हजार एकड़ जमीन में से 400 एकड़ जमीन लौटा दी जाये. तृणमूल कांग्रेस के जबरदस्त विरोध के कारण टाटा समूह ने नैनो परियोजना को पश्चिम बंगाल से हटा कर गुजरात ले जाने का फैसला लिया था. मामला अदालत में है. इस बारे में उच्चतम न्यायालय का फैसला अभी आना बाकी है.
जीएसटी व ब्रेक्जिट से प्रभावित होगा उद्योग जगत
कोलकाता : टाटा समूह के चेयरमैन साइरस मिस्त्री का मानना है कि जीएसटी तथा ब्रेक्जिट का कंपनी और उसके उत्पादों विशेषकर चाय व्यवसाय पर मुद्रास्फीतिकारी दबाव पड़ेगा. श्री मिस्त्री गुरुवार को महानगर में आयोजित टाटा समूह की कंपनी टाटा ग्लोबल बेवरेजज लिमिटेड (टीजीबीएल) की वार्षिक आम बैठक में हिस्सा लेने आये थे. बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक स्तर पर जीएसटी के कार्यान्वयन का समूचे उद्योग पर महत्वपूर्ण असर होगा. श्री मिस्त्री ने शेयरधारकों से कहा कि जब जीएसटी कार्यान्वित होगा, तो उसका चाय कारोबार पर मुद्रास्फीतिक असर होगा. उन्होंने कहा कि हम इस बारे में सरकार के साथ काम कर रहे हैं. चाय ऐसा उत्पाद है, जिस पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है.
कुछ अल्पकालिक असर होंगे, लेकिन दीर्घकालिक असर समूचे उद्योग पर महत्वपूर्ण होगा. ब्रेक्जिट पर टाटा समूह के चेयरमैन ने कहा कि यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने से व्यापार के लिए कुछ जोखिम हैं और इसका हमारे कारोबार पर कुछ मुद्रास्फीतिकारी असर पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि चाय का 65 प्रतिशत राजस्व वैश्विक परिचालन से आता है, जहां वृद्धि भारत जितनी अच्छी नहीं है.

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