विधानसभा चुनाव के नतीजे की घोषणा के बाद राज्य में लगभग छह सौ से ज्यादा माकपा कार्यालयों पर हमले हुए या उन पर जबरन कब्जा कर लिया गया. केवल माकपा ही नहीं, बल्कि अन्य वामपंथी दलों व विपक्षी दलों पर भी हमले हो रहे हैं. हिंसा व भय का ऐसा माहौल है कि कई वामपंथी कार्यकर्ता घर छोड़ने को भी मजबूर हैं.
यही वजह है कि राज्य में हिंसा और सांप्रदायिकता के खिलाफ आंदोलनों को वामपंथी, धर्मनिरपेक्ष व लोकतांत्रिक ताकतों को संयुक्त रूप से करने का आह्वान किया गया है. उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर इशारा किया है कि ऐसे आंदोलनों में कांग्रेस भी शामिल हो तो परहेज नहीं. इधर कश्मीर में हिंसक स्थिति के समाधान के लिए माकपा की ओर से उन्होंने राजनीतिक तरीके से समाधान निकाले जाने की बात कही है.