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जलपाईगुड़ी : सर्किट बेंच का मामला फिर गरमाया

जलपाईगुड़ी : जलपाईगुड़ी में कलकत्ता हाइकोर्ट की सर्किट बेंच जल्द चालू करने की मांग को लेकर जिला वाम मोरचा ने सड़क पर उतरने का फैसला किया है. आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए शनिवार को जिला वाम मोरचा ने अधिवेशन बुलाया है. यह स्पष्ट है कि वाम मोरचा के इस अधिवेशन में कांग्रेस व […]

जलपाईगुड़ी : जलपाईगुड़ी में कलकत्ता हाइकोर्ट की सर्किट बेंच जल्द चालू करने की मांग को लेकर जिला वाम मोरचा ने सड़क पर उतरने का फैसला किया है. आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए शनिवार को जिला वाम मोरचा ने अधिवेशन बुलाया है. यह स्पष्ट है कि वाम मोरचा के इस अधिवेशन में कांग्रेस व तृणमूल शामिल नहीं होगी.
वही, जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच व सार्विक दावी अदाय विकास कमेटी ने भी सर्किट बेंच को लेकर वाम मोरचा के अधिवेशन में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया है. सर्किट बेंच के अलावा चाय नीलाम केंद्र को दुरुस्त करने व कई सरकारी विभागों को दूसरी जगह स्थानांतरित किये जाने के खिलाफ भी वाम मोरचा ने यह अधिवेशन बुलाया है. माकपा, आरएसपी, सीपीआइ, सीपीआइ लिबरेशन व एसयूसीआइ को लेकर ग्रेटर जिला वाम मोरचा का गठन किया गया है. संगठन की ओर से जितेन दास ने कहा कि 1960 के दशक से ही सर्किट बेंच को लेकर आंदोलन शुरू हुआ है.
वाम शासनकाल में जिला परिषद के डाक बंगले में अस्थायी रूप से सर्किट बेंच चालू करने की योजना बनायी गयी थी. राजबाड़ीपाड़ा में सर्किट बेंच के स्थायी भवन के निर्माण के लिए वाम शासनकाल में 40 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था.
राज्य की वर्तमान मुख्यमंत्री व कलकत्ता हाइकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने सर्किट बेंच के स्थायी भवन के निर्माण कार्य का शुभारंभ किया था. वर्ष 2007-08 में सर्किट बेंच की शाखा स्थापित करने की मांग में किये गये आंदोलन के दौरान गिरफ्तार आंदोलनकारियों को हाइकोर्ट में मामला के बाद जमानत पर रिहा किया गया था, लेकिन आज भी जलपाईगुड़ी में सर्किट बेंच की शुरुआत नहीं हुई, इसलिए वाम मोरचा सभी राजनीतिक दल व विभिन्न गैर राजनीतिक संगठनों को लेकर गैर राजनीतिक मंच बना कर अधिवेशन का आयोजन कर रहा है.
सर्किट बेंच दावी अदाय समन्वय कमेटी के सचिव कमलकृष्ण बनर्जी ने बताया कि जलपाईगुड़ी में सर्किट बेंच चालू करने का मुद्दा उत्तर बंगालवासियों की भावनाओं के साथ जुड़ा हुआ है. इस मांग को पूरा करने के लिए अराजनीतिक तरीके से आंदोलन करने के लिए सहकारिता कमेटी का गठन किया गया था. उन्होंने बताया कि वाम मोरचा राजनीतिक दल है. सहकारिता कमेटी में भी सभी राजनीतिक दल शामिल हैं. इसलिए किसी राजनीतिक दल द्वारा आयोजित कन्वेंशन में सहकारिता कमेटी शामिल नहीं होगी.
इस बारे में जलपाईगुड़ी टाउन ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष पिनाकी सेनगुप्ता ने बताया कि वाम शासनकाल में सर्किट बेंच ही नहीं बल्कि चाय नीलाम केंद्र की हालत भी जजर्र हो गयी थी.
इसलिए वामो के कान्वेंशन आयोतिज करने का कोइ औचित्य नहीं है. दूसरी ओर, प्रदेश तृणमूल कांग्रेस के महासचिव कल्याण चक्रवर्ती ने भी वामो के इस आंदोलन पर सवालिया निशान खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 में जब सहकारिता कमेटी ने आंदोलन शुरू की थी तब माकपा ने उस आंदोलन को गलत करार दिया था और माकपा आंदोलन में शामिल नहीं हुई थी.
वर्तमान राज्य सरकार ने सर्किट बेंच के स्थायी भवन को बनाने की पहल शुरू कर दी है. हाल ही में हाईकोर्ट के न्यायाधीश दीपंकर दत्त कामकाज का जायजा लेकर गये हैं. इसलिए तृणमूल कांग्रेस इस तरह के आंदोलन में शामिल नहीं होगी.
तृणमूल कांग्रेस समेत सहकारिता कमेटी व अन्य कोई भी राजनीतिक पार्टी वाम मोरचा के आंदोलन का समर्थन नहीं कर रही है.

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