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तीन तलाक पर फैसले का हर तबके ने किया स्वागत

देश की सर्वोच्च अदालत की एक संवैधानिक पीठ ने तीन तलाक को अंसवैधानिक बताते हुए छह महीने तक इस पर रोक लगा दी है. साथ ही केंद्र सरकार को इस पर नया कानून बनाने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का जहां कुछ लोगों ने जम कर स्वागत किया तो कुछ लोगों […]

देश की सर्वोच्च अदालत की एक संवैधानिक पीठ ने तीन तलाक को अंसवैधानिक बताते हुए छह महीने तक इस पर रोक लगा दी है. साथ ही केंद्र सरकार को इस पर नया कानून बनाने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का जहां कुछ लोगों ने जम कर स्वागत किया तो कुछ लोगों को इस फैसले में कमी नजर आ रही है. उधर, भाजपा प्रदेश मुख्यालय में जश्न का माहौल बन गया. भाजपा महिला मोर्चा की सदस्य और मुस्लिम महिला सदस्य बड़ी संख्या में जुट गयीं और गुलाल लगाकार एक दूसरे को बधाइयां देने लगीं. वहीं, तीन साल पहले टेलीफोन के जरिये दुबई से पति द्वारा तीन तालाक दिये जाने के बाद परित्यक्ता की जिंदगी गुजार रही हावड़ा की इशरत जहां के चेहरे फैसले ने खुशी बिखेर दी है.
भाजपा मुख्यालय में जश्न का माहौल उड़ाया गुलाल
कोलकाता: तीन तलाक के मुद्दे पर जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में जश्न का माहौल बन गया. भाजपा महिला मोर्चा की सदस्य और मुस्लिम महिला सदस्य बड़ी संख्या में जुट गयीं और गुलाल लगाकार एक दूसरे को बधाइयां
देने लगीं.
जहां लाॅकेट चटर्जी पार्टी मुख्यालय में आयीं मुस्लिम महिलाओं को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया, तो उत्साहित समर्थकों ने फूलों की बरसात की. फिर एकदूसरे को बधाई देते हुए मिठाइयां खिलायीं. मौके पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए महिला मोर्चा की अध्यक्ष लाॅकेट चटर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने वर्षों से दबे कुचले मुस्लिम समाज की महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिया है. साथ ही केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह छह महीने में इस दिशा में कानून बनाये और मुस्लिम महिलाओं की समानता के अधिकार को सुनिश्चि करे. इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित साह को भी बधाई दी है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विकास का नारा लगाते हुए तीन तलाक के मुद्दे पर समान कानून बनाने का भरोसा दिया था.
लाॅकेट चटर्जी ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की खिंचाई करते हुए कहा कि यहां कि मुख्यमंत्री महिला हैं, लेकिन यहीं पर महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं. उनकी सुरक्षा के लिए राज्य सरकार कोई प्रयास नहीं कर रही है. तीन तलाक के मुद्दे ममता बनर्जी शुरू से ही राजनीति कर रही है हैं. वह कभी भी तीन तलाक जैसे गलत काम का विरोध नहीं कर रही थीं. उन्हें डर था कि तीन तलाक के मुद्दे पर अगर वह पहल करती हैं, तो उनसे अल्पसंख्यक वोट बैंक नाराज हो जायेगा. लिहाजा वह चुप्पी साधे रहीं. अब सवाल उठता है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया, तो ममता बनर्जी का स्टैंड क्या है.
तीन तलाक की शिकार महिला के चेहरे पर फैसले ने बिखेरी खुशी
तीन साल पहले टेलीफोन के जरिये दुबई से पति ने कहा था-तीन तलाक
हावड़ा. तीन साल पहले अप्रैल, 2014 को टेलीफोन के जरिये दुबई से पति द्वारा तीन तालाक दिये जाने के बाद परित्यक्ता की जिंदगी गुजार रही हावड़ा की 31 वर्षीय इशरत जहां के चेहरे पर सर्वोच्च न्यायालय के तीन तलाक के फैसले ने खुशी बिखेर दी है. इशरत जहां ने कहा : मैं फैसले से बहुत ही खुश हूं. अदालत ने सही निर्देश जारी किया है. अब मैं आशा कर सकती हूं कि मुझे कानून लड़ाई में इंसाफ मिलेगा. मैं पिछले दो वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रही हूं. इशरत ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया जताते हुए हावड़ा में ये बातें कहीं.
इशरत तलाक के खिलाफ नहीं है, बल्कि चाहती हैं कि तलाक पूरी प्रक्रिया से साथ दी जाये. किसी को टेलीफोन, इमेल या वाट्सएप के जरिये तलाक देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. यदि कोई शरीयत कानून के तहत तलाक देना चाहता है, तो जिस तरह से निकाह एक प्रक्रिया होती है. उसी तरह से तलाक की भी अपनी प्रक्रिया हो. इशरत को अपने पति से तलाक का दिन याद नहीं है, क्योंकि उनके पति मुर्तजा ने उन्हें दुबई से ही टेलीफोन पर तलाक दे दिया था. उसके बाद से उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है. जीवन यापन के जिए उनके पास कोई साधन नहीं है. अपनी तीन बहनें और दो भाइयों की मदद से वह जीवन यापन कर रही हैं. उन्होंने कहा कि टेलीफोन पर उनके पति ने तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कहा था और उसके बाद टेलीफोन लाइन काट दी थी. अन्य दूसरी मध्यम वर्ग की महिलाओं की तरह ही इशरत ने पुलिस व अदालत का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन उन्हें ज्यादा मदद नहीं मिली. करीब एक वर्ष पहले वह अपने पति मुर्तजा के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कर पायी.
लगभग 15 वर्ष पहले उनकी मुर्तजा के साथ शादी हुई थी. वे लोग 2001 में बिहार से हावड़ा आये थे और तभी से हावड़ा में रह रहे थे. पति के साथ उनके संबंध उस समय खराब होने लगे, जब उन्होंने तीन पुत्रियों को जन्म दिया और पति पुत्र के लिए दूसरी शादी पर जोर देने लगा. हालांकि 2010 में उनके एक पुत्र भी हुआ, लेकिन उनके संबंध दिनों-दिन खराब होते गये और मुर्तजा दुबई चला गया और पांच वर्ष के बाद उसे टेलीफोन से इशरत को तलाक दे दिया. इशरत ने अपनी तीन बेटियों व एक बेटे को अपनी कस्टडी और खर्च के पैसे की मांग की. मुर्तजा ने दो बच्चों को लगभग एक वर्ष पहले भेज दिया. इशरत ने कहा कि लगभग एक वर्ष पहले उनकी एक बेटी व बेटा उनके पास आकर रह रहे हैं. उसके बाद से उनकी जिंदगी में खुशी लौट आयी है. हालांकि उनकी आर्थिक स्थिति में कोई भी सुधार नहीं हुअा है. उनकी ननद उनके साथ प्रत्येक दिन झगड़ा करती हैं और उनकी बिजली भी काट दी है, तब से वह अपने बच्चों के साथ बिना बिजली की रह रही हैं.
सजली खान : मुसलमान होने के नाते तीन तलाक के फैसले को गलत ठहरना इस्लाम के खिलाफ है.
कौशर खान : मुझे इस फैसले पर एतराज है. तीन तलाक को खत्म करना कहीं न कहीं इस्लाम के खिलाफ जाना है.
मोहम्मद मुश्ताक अंसारी : सुप्रीम कोर्ट का फैसला एतिहासिक आैर सही है. मुस्लिम कानून का नाजायज फायदा उठाने वालों के लिए यह फैसला कारगर साबित होगा.
जहांगीर खान : एक भारतीय होने के नाते मैं अदालत के फैसले को गलत नहीं कह सकता, लेकिन देश का कानून आैर मजहब का कानून अलग-अलग होता है. मजहब के कानून में दखलअंदाजी नहीं होनी चाहिए.
खुर्शिदा परवीन : तीन तलाक को बिल्कुल खत्म करना चाहिए. फैसला स्वागत योग्य है. भारत के सभी मुसलमानों‍ को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए.
साहित्य जगत से जुड़े सेराज खान बातिश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है. यह फैसला मुस्लिम महिलाओं के लिए न्यायपूर्ण है. सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद सलीम ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वह काफी खुश हैं.
ममता बनर्जी ने साधी चुप्पी
तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ममता बनर्जी ने चुप्पी साध रखी है. मंगलवार को नवान्न में ममता बनर्जी पत्रकारों को जीएनएलएफ की तरफ से पहाड़ मुद्दे पर पत्र देकर बैठक करने की अपील की जानकारी दे रही थीं. इस दौरान तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
अधीर ने किया स्वागत
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुरान के खिलाफ नहीं है. फैसले से मुस्लिम समाज के एक बड़े तबके के डर को दूर किया गया है. यह फैसला तलाक की लत में डूबे उन लोगों के लिए रुकावट होगी जो इसका इस्तेमाल बगैर किसी कारण के करते थे.
कानूनी रूप से देखने की जरूरत
माकपा सांसद मोहम्मद सलीम ने कहा है कि इसे धार्मिक व राजनीतिक रूप से नहीं बल्कि कानूनी रूप से देखना अहम है. अशिक्षा, जागरूकता के अभाव की वजह से तलाक को लेकर समस्याएं हुईं. इधर माकपा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया गया है. पार्टी की ओर से कहा गया है कि फैसले का विस्तृत अध्ययन के बाद माकपा की ओर से प्रतिक्रिया दी जायेगी.
अतहर अब्बास रिजवी (शिया धर्मगुरु) : अच्छा फैसला है, पर यह गलत है कि तीन तलाक खत्म हो गया. अदालत ने एक साथ तीन तलाक देने पर रोक लगायी है. एक साथ तीन तलाक का हम लोग भी विरोध करते हैं. इससे काफी मुसलिम महिलाआें की जिंदगी बर्बाद हो गयी. अब सरकार अगर कानून बनाती है तो उसके लिए मुसलिम धर्मगुरुआें व मुसलिम संगठनों के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श करे.
कांती देवी सिंह (गृहिणी) : पूरे विश्व में महिलाओं की स्थिति खराब है, लेकिन सामाजिक संगठन एवं सरकार के प्रयास से उनकी दशा-दिशा सुधर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक मुद्दे पर जो फैसला दिया दिया है वह स्वागतयोग्य है.
सीताराम सिंह : तीन तलाक ने हजारों मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी बर्बाद करके रख दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने असहाय मुस्लिम महिलाओं की सुन ही ली. कोर्ट के फैसले ने मुस्लिम महिलाओं को मर्दों की बराबरी का दर्जा प्राप्त होगा.
सिद्दिकुल्ला चौधरी (मंत्री) : सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर बुधवार को हम लोग एक बैठक कर विचार करेंगे. अदालत को शरीयत पर विचार करने का अधिकार नहीं है. अगर केंद्र सरकार अपनी मर्जी से कोई कानूून बनाती है तो हम उसे नहीं मानेंगे.

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