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श्रीनगर रक्षा भूमि घोटाला मामले में CBI जल्दी ही दायर करेगी अंतिम रिपोर्ट

नयी दिल्ली: सीबीआई उच्च सुरक्षा वाले श्रीनगर हवाईअड्डे के नजदीक स्थित जमीन की बिक्री में की गई कथित अनियमितताओं के मामले में अंतिम रिपोर्ट जल्दी ही दायर करेगी. तत्कालीन रक्षा संपदा अधिकारी अजय चौधरी एवं अन्य पर करोड़ों रुपए की कीमत वाली इस जमीन को बेचने का आरोप है. सीबीआई के सूत्रों ने यहां कहा […]

नयी दिल्ली: सीबीआई उच्च सुरक्षा वाले श्रीनगर हवाईअड्डे के नजदीक स्थित जमीन की बिक्री में की गई कथित अनियमितताओं के मामले में अंतिम रिपोर्ट जल्दी ही दायर करेगी. तत्कालीन रक्षा संपदा अधिकारी अजय चौधरी एवं अन्य पर करोड़ों रुपए की कीमत वाली इस जमीन को बेचने का आरोप है.

सीबीआई के सूत्रों ने यहां कहा कि एजेंसी ने इस मामले में अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है. इस मामले में नियम-कायदों का गंभीर उल्लंघन पाया गया है और इसे अंतिम रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा. चौधरी पर अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने में भारी अनियमितता बरतने का आरोप है.
सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट को विधि विभाग की सलाह के अनुरुप एक आरोप पत्र या अंतिम रिपोर्ट के रुप में एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों और विशेष अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा.
सीबीआई प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने कहा कि ऐसा बताया गया है कि उक्त अधिकारी और अन्य के खिलाफ जांच अपने अंतिम चरण में है.
एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ने चौधरी, उसके सहायक कमांडर विजय कुमार और इसी विभाग की एक महिला अधिकारी के खिलाफ जम्मू एवं कश्मीर भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की विभिन्न धाराओं और रणबीर पीनल कोड के तहत आपराधिक षडयंत्र एवं धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है.
चौधरी वर्ष 1997 के बैच के रक्षा संपदा अधिकारी हैं और एजेंसी द्वारा उनके खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के बाद से वह निलंबित हैं.
प्रवक्ता ने कहा कि सीबीआई ने सेवा में उनकी बहाली के लिए कोई अनुमति नहीं दी है और उसे बहाली की अनुमति मांगने वाला कोई अनुरोध भी नहीं मिला है. सीबीआई के अनुसार, ऐसा आरोप था कि श्रीनगर में एक संवेदनशील क्षेत्र के पास एक बडे इलाके में फैली रक्षा मंत्रालय की जमीन को जम्मू-कश्मीर राजस्व विभाग एवं रक्षा संपत्ति महानिदेशालय (डीजीडीई) के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से कुछ निजी लोगों ने ले लिया है.
सूत्रों ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के स्वामित्व या अधिग्रहण वाली जमीन की खरीद या बिक्री करने के लिए कथित तौर पर डीजीडीई द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है.
नियमों के अनुसार, रक्षा भूमि को पूर्व मंजूरी के बिना किसी को भी नहीं सौंपा जा सकता लेकिन आरोपी अधिकारियों ने अज्ञात लोगों के साथ मिलकर कथित तौर पर आपराधिक साजिश रची और 12.25 एकड़ रक्षा भूमि की बिक्री या खरीद के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिए.
रक्षा मंत्रालय की प्रारंभिक जांच में पाया गया था कि श्रीनगर में रक्षा संपदा विभाग ने पिछले चार वर्षों में 70 से भी ज्यादा अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी कर दिए थे. निजी पक्षों को जारी किए गए ये अनापत्ति प्रमाणपत्र श्रीनगर में उच्च सुरक्षा वाले सैन्य प्रतिष्ठानों के पास 200 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदने से जुडे़ थे.
सीबीआई ने कहा कि रक्षा संपदा कार्यालय की ओर से अनाधिकृत रूप से जारी किए गए इन अनापत्ति प्रमाणपत्रों के आधार पर कुछ लोगों ने बेईमानी और धोखाधड़ी के साथ रक्षा भूमि की बिक्री और परिवर्तन के सत्यापन के काम को अंजाम दे दिया.
सीबीआई ने कहा कि कुछ लोगों ने रक्षा भूमि की इस बिक्री और दाखिल खारिज के सत्यापन के आधार पर बडगाम के उपायुक्त और अदालत से मुआवजे की मांग करते हुए संपर्क किया था.
एजेंसी ने इस मामले में पिछले साल एक प्रारंभिक जांच की थी और इसमें दावा किया था कि उसे इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि जमीन के इस महत्वपूर्ण एवं रणनीतिक हिस्से के लिए लोगों को मनमाने ढंग से अनापत्ति प्रमाणपत्र दिए गए थे.
रक्षा संपदा महानिदेशालय सैन्य प्रशिक्षण, रेंज, डिपो, एयरफील्ड, क्वार्टर बनाने, सैन्य गतिविधियों के लिए शिविर लगाने या कार्यालय आदि बनाने के लिए भूमि की देखभाल करता है.
रक्षा मंत्रालय के पास 17.53 लाख एकड जमीन है. इसमें से लगभग 1.57 लाख एकड जमीन 62 अधिसूचित छावनियों के तहत आती है और लगभग 15.96 लाख एकड़ इन छावनियों के बाहर है.

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