नयी दिल्ली: रिजर्व बैंक के नये गवर्नर की नियुक्ति अगले महीने संसद के मानसून सत्र की शुरूआत से पहले हो सकती है और इस मामले में रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन प्रमुख संभावित उम्मीदवार बनकर उभर रहे हैं.वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार रघुराम राजन के उत्तराधिकारी का चुनाव करने के करीब है. राजन ने पिछले सप्ताह घोषणा की कि वह चार सितंबर को अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद दूसरा कार्यकाल स्वीकार नहीं करेंगे. सूत्रों के अनुसार नये गवर्नर के नाम की घोषणा जुलाई मध्य तक हो सकती है.
RBI के नये गर्वनर की घोषणा संसद के मानसून सत्र से पहले, मोहन राकेश संभावित उम्मीदवार
नयी दिल्ली: रिजर्व बैंक के नये गवर्नर की नियुक्ति अगले महीने संसद के मानसून सत्र की शुरूआत से पहले हो सकती है और इस मामले में रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन प्रमुख संभावित उम्मीदवार बनकर उभर रहे हैं.वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार रघुराम राजन के उत्तराधिकारी का चुनाव करने […]
राकेश मोहन इस समय वाशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में भारत के कार्यकारी निदेशक हैं. सरकारी खेमे में आरबीआई प्रमुख के पद की दौड़ में उन्हें अग्रणी संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है.रिजर्व बैंक का प्रमुख पद प्राप्त करने की दौड़ में सबसे आगे चल रहे अन्य संभावित उम्मीदवारों में स्टेट बैंक प्रमुख अरूंधती भट्टाचार्य, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास शामिल हैं.
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के नाम पर भी विचार किए जाने की खबर है. मोहन ने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन विश्वविद्यालय के इंपीरियल कालेज और येल यूनिवर्सिटी से पढाई की है. उन्होंने प्रिंस्टन से अर्थशास्त्र में पीएचडी किया है. वह नौ सितंबर 2002 से 31 अक्तूबर 2004 और दो जुलाई 2005 से 10 जून 2009 के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर रहे.
इसके अलावा 31 अक्तूबर 2004 से दो जुलाई 2005 के बीच वह वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव थे. वह 2001-02 के दौरान वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार भी थे. सूत्रों ने बताया कि रिजर्व बैंक प्रमुख की नियुक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली के परामर्श से होगी. अपने उपर लगातार हो रहे राजनीतिक हमले के बीच राजन ने शनिवार को घोषणा की कि चार सितंबर का अपना कार्यकाल समाप्त होने पर पठन-पाठन के क्षेत्र में वापस लौटेंगे. इस तरह उन्होंने हर तरह की अटकलों पर विराम लगा दिया.
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