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”आने वाली वित्तीय बाधाओं को दूर करने के लिए समयबद्ध योजना बनाये रेल मंत्रालय”

नयी दिल्ली : रेल मालाभाडा लदान की वृद्धि दर में कमी आने और यात्री बुकिंग में भी कोई आशावादी प्रवृति नहीं होने को रेखांकित हुए संसद की एक समिति ने इस बात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इसमें चालू वर्ष के दौरान कोई सुधार नहीं हो पाएगा, सातवें वेतन आयोग के भार […]

नयी दिल्ली : रेल मालाभाडा लदान की वृद्धि दर में कमी आने और यात्री बुकिंग में भी कोई आशावादी प्रवृति नहीं होने को रेखांकित हुए संसद की एक समिति ने इस बात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इसमें चालू वर्ष के दौरान कोई सुधार नहीं हो पाएगा, सातवें वेतन आयोग के भार को देखते हुए खर्च बढेगा. ऐसे में आने वाली वित्तीय बाधाओं को दूर करने के लिए रेल मंत्रालय एक समयबद्ध योजना तैयार करे.

रेल मंत्रालय की 2016-17 की अनुदान की मांगों पर स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे को नागरिकों को क्षमता अवरोधों तथा अकुशलता से मुक्त रेल प्रणाली प्रदान करना होगा तथा यह प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो अपनी वित्तीय और अन्य आवश्यकताओं को स्वयं पूरा कर सके. रेल बजट 2016-17 का जोर चुनौतियों पर विजय प्राप्त करना है जिसमें भारतीय रेल का पुनर्गठन, इसकी पुनर्सरचना और उसमें नयी जान डालना है.

रेल मंत्री ने इसमें नव अर्जन, नव मानक एवं नव संरचना पर जोर दिया है और सहयोग, साझीदारी, सृजनशीलता, पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया को रेखांकित किया है. समिति यह देखते हुए कि मालभाडा लदान में वृद्धि दर में कमी की प्रवृति है और यात्री बुकिंग में भी कोई आशावादी प्रवृति नहीं है, समिति इस बारे में मंत्रालय की बाध्यताओं को स्वीकार करती है कि वह 2016-17 के दौरान अपनी प्राप्तियों के लिए संयत लक्ष्य निर्धारित कर सकेगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे बडी चिंता की बात यह है कि 2015-16 में वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारणों में चालू वर्ष के दौरान कोई सुधार नहीं हो पायेगा और खर्च बढेगा विशेष तौर पर सातवें वेतन आयोग से बढने वाले भार को देखते हुए. ‘इन स्थितियों में समिति मंत्रालय से अनुरोध करती है कि वह आने वाली वित्तीय बाधाओं को दूर करने के लिए एक समयबद्ध योजना तैयार करे.’

समिति चाहती है कि प्राकृतिक आपदाओं को छोडकर यात्री यातायात घटने के लिए जिम्मेदारी अन्य कारणों पर विचार करके तत्काल उससे निपटा जाना चाहिए ताकि ऐसी बाधाओं से भविष्य में रेल यातायात पर बुरा प्रभाव नहीं पडे. रिपोर्ट के अनुसार, समिति चाहती है कि मंत्रालय उन कारणों की भी जांच करे जिनमें वर्तमान सुविधाओं और सेवाओं, गाडी में मिलने वाली सेवाओं, स्वास्थ्य, स्वच्छता, खानपान व्यवस्था और तत्परता के मामले में असंतुष्टी शामिल हैं और इनका प्रभावी ढंग से निराकरण करे.

समिति इस बात पर बल देती है कि रेलवे को चाहिए कि वह कम दूरी और मध्यम दूरी की यात्रियों को आकृष्ठ करने के लिए यात्रा के अंतिम मील तक सम्पर्क बनाये रखने पर ध्यान दें क्योंकि इससे यात्रियों की आवाजाही बढेगी और परिणामस्वरुप यात्रियों से होने वाली आय भी बढेगी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रेल में आरक्षित वर्ग के यात्रियों की जरुरतों को पूरा करने के माध्यम से राजस्व बढाने के अपने प्रयासों में अनारक्षित वर्ग के 94 प्रतिशत यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं को अनदेखा न किया जाए बल्कि रेलवे यात्रियों के इस बडे भाग को उचित सेवा प्रदान करने में भी बेहतर काम करे जिससे न केवल यात्री संतोष बढेगा बल्कि बेहतर सेवाएं लेने के लिए उन्हें प्रेरित भी करेगा.

समिति पाती है कि 2012-13, 2013-2014 और 2014-15 के दौरान रेलवे सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के संदर्भ में लक्ष्य प्राप्त करने में विफल रहा था. इन वर्षो में उपलब्धियां शून्य रही थी जबकि लक्ष्य क्रमश: 1050 करोड रुपये, 6000 करोड रुपये और 6005 करोड रुपये रखे गये थे.

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