नयी दिल्ली : हंसल मेहता और सुधीर मिश्रा जैसे फिल्म निर्देशकों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश किए गए बजट पर निराशा जतायी है. मेहता ने बजट की आलोचना करते हुए कहा, मनोरंजन कर से टिकट महंगे हो जाते हैं जबकि सेवा कर से लागत बढ जाती है. फिल्में लाभ नहीं कमा रही हैं. स्पष्ट है कि सरकार ने ध्यान नहीं दिया.
उन्होंने कहा, हम अपनी फिल्मों में जो कहते या दिखाते हैं, उसके लिए वे हमें नियंत्रित करना चाहते हैं. लेकिन वे जो पैसे हमसे एकत्र करते हैं, उससे हमारे लिए कुछ नहीं करते. अच्छे दिन आ गए… सेंसर बोर्ड के सदस्य अशोक पंडित ने बजट में फिल्म उद्योग की अनदेखी पर निराशा जतायी.
उन्होंने ट्वीट किया कि जैसी उम्मीद थी कि बजट में फिल्म उद्योग का कोई जिक्र नहीं है, यह अफसोसजनक है. उन्होंने कहा कि सरकार सितारों का उपयोग अपने राज्यों और अपने कार्यक्रमों के प्रचार के लिए करती है लेकिन 2015 के बजट में इसे जिक्र करने योग्य नहीं समझती.
उन्होंने कहा कि मनोरंजन उद्योग मनबहलाव के अलावा देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है और सरकार इसे अस्तित्वहीन समझती है. फिल्म निर्माता सुधीर मिश्रा ने भी पंडित और मेहता जैसी ही राय व्यक्त की और कहा कि सिनेमा को कर अवकाश दिया जाना चाहिए. निर्देशक सुपर्ण वर्मा ने ट्वीट किया कि पहले की तरह फिल्म उद्योग के लिए कुछ नहीं किया गया.