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Movie Review : कहानी गोल, मस्ती मालामाल

गौरव अगर आपने गोलमाल सीरिज की पिछली फिल्में देखी हैं तो ठीक, नहीं देखी हैं तो और भी ठीक. गोलमाल अगेन देखने के लिए ऐसी कोई बंदिश है भी नहीं. ठीक वैसे ही अगर आप गोलमाल अगेन को शुरू से देखें तो ठीक, अगर टुकड़ों-टुकड़ों में देखें तो भी बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. इंज्वाय […]

गौरव

अगर आपने गोलमाल सीरिज की पिछली फिल्में देखी हैं तो ठीक, नहीं देखी हैं तो और भी ठीक. गोलमाल अगेन देखने के लिए ऐसी कोई बंदिश है भी नहीं. ठीक वैसे ही अगर आप गोलमाल अगेन को शुरू से देखें तो ठीक, अगर टुकड़ों-टुकड़ों में देखें तो भी बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. इंज्वाय आप उतना ही करेंगे.

अमूमन रोहित शेट्टी की हास्य फिल्मों के साथ ऐसा ही होता है. ढेर सारे चुटकुले, वन लाइनर्स, सिचुएशनल कॉमिक और अनुभवी कलाकारों की भाव-भंगिमाएं पूरे वक्त आपको कुर्सी से उछालते रहेंगे. और गोलमाल अगेन में तो कलाकारों की फौज से वो मजा ओवरडोज में मिल जाता है. बस ख्याल रहे थिएटर में इंट्री के साथ आप दिमाग को स्लीपिंग मोड में डाल दें.

कहानी आपके चिर-परिचित गोपाल (अजय देवगन), माधव (अरशद वारसी), लकी (तुषार कपूर), लक्ष्मण 1 (श्रेयस तलपड़े) और लक्ष्मण 2 (कुणाल खेमु) की है. पांचों दोस्त ऊटी के सेठ जमनादास अनाथालय में पल-बढ़ कर शहर पहुंचे हैं.

अचानक हुए सेठ जमनादास की मौत के बाद उनकी तेरहवीं में शामिल होने पांचों वापस ऊटी जाते हैं. वहां जाने पर उन्हें पता चलता है बिल्डर वासू रेड्डी (प्रकाश राज) और उसके साथी अनाथालय और उसके आसपास की जमीन हथियाना चाहते हैं.

अनाथालय के पास वाली जमीन का मालिक कर्नल चौहान (सचिन केलकर) है, जिसकी बेटी की मौत भी कुछ ही दिनों पहले हुई थी. पांचों के वहां पहुंचने पर उनका सामना वहां कब्जा जमाये कुछ भूतों से भी होता है.

भूतों से निबटने के लिए वो अन्ना मैथ्यू (तब्बू) का सहारा लेते हैं, जो भूत-प्रेत से बात करने में माहिर है. पांचों किस तरह बिल्डर के साथ-साथ इन भूतों वाली स्थिति का सामना करते हैं इसका मुजायरा अगर आप थिएटर में करें तो बेहतर होगा.

फिल्म अपनी लंबाई की वजह से थोड़ी खलती है, जिसे एडिटिंग के जरिये दुरुस्त किया जा सकता था. कुछ गाने भी हास्य के फ्लो में खलल पैदा करते हैं. फिल्म का हॉरर एंगल भी इतना फनी है कि आपके चेहरे पर मुस्कान ला देगा.

अभिनय के लिहाज से हर कलाकार अपनी अलग पहचान का महारथी है. बात चाहे अजय, अरशद, तुषार, श्रेयस और कुणाल की हो या अन्य भूमिकाओं में प्रकाश राज, नील नितिन मुकेश, मुकेश तिवारी, जॉनी लीवर या फिर स्पेशल भूमिका में तब्बू की हो.

सबकी कॉमिक टाइमिंग और डॉयलॉग डिलीवरी का अंदाज मजेदार है. तो उम्दा कहानी वाली शर्त को परे रखकर किरदारों की बेवकूफियों, मस्ती भरी उटपटांग हरकतों और चुटीले संवादों के जरिये एक रिफ्रेशमेंट चाहते हों, तो एक बार थिएटर जाने में कोई बुराई नहीं है.

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