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सदन में एलान : फिलहाल विशेष दर्जा नहीं, पैकेज संभव

बिहार को विशेष दर्जे का प्रस्ताव नहीं, पैकेज संभव : मंत्री रघुराम राजन कमेटी ने बिहार को माना था सबसे पिछड़ा राज्य नयी दिल्ली : कुछ राजनीतिक दलों और प्रदेश सरकार की लंबे समय से चली आ रही मांग को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि बिहार को विशेष राज्य का […]

बिहार को विशेष दर्जे का प्रस्ताव नहीं, पैकेज संभव : मंत्री
रघुराम राजन कमेटी ने बिहार को माना था सबसे पिछड़ा राज्य
नयी दिल्ली : कुछ राजनीतिक दलों और प्रदेश सरकार की लंबे समय से चली आ रही मांग को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जायेगा.
केंद्रीय योजना राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के सवाल के जवाब में बताया, फिलहाल किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने का कोई प्रस्ताव नहीं है. विशेष सहायता पर विचार किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि योजना आयोग के दिशानिर्देश के अनुसार केंद्र सरकार अन्य किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे सकता है. वह प्रश्नकाल के दौरान मधेपुरा से सांसद राजेश रंजन द्वारा पूछे गये सवाल का जवाब दे रहे थे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी लंबे समय से राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं. पूर्व में जदयू , भाजपा की बिहार ईकाई, राजद
और लोजपा भी इस मांग का समर्थन कर चुकी है. एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए सिंह ने कहा कि यदि राजस्थान सरकार विशेष पैकेज की मांग को लेकर कोई प्रस्ताव भेजती है, तो सरकार उस पर विचार कर सकती है. केवल विशेष श्रेणी वाले राज्यों को ही वर्ष 2014 -15 तक परियोजनाओं विशेष योजना सहायता (90 फीसदी) और विशेष केंद्रीय सहायता अनुदान (100 फीसदी) मुहैया कराया गया है.
बिहार को क्यों जरूरी है विशेष राज्य का दर्जा
बिहार में आधी से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे (53.5}) जो राष्ट्रीय औसत (29.8}) से काफी अधिक है. इस मामले में विशेष दर्जा प्राप्त 11 राज्यों में नौ की स्थिति राष्ट्रीय औसत से बेहतर है
बिहार में प्रति व्यक्ति आय (13,632) राष्ट्रीय औसत से (35,993) से काफी कम है. इस मामले में भी विशेष दर्जा वाले राज्यों में हिमाचल प्रदेश (47,106), सिक्किम (47,655), त्रिपुरा (37,216) व मिजोरम (36,732) राष्ट्रीय औसत से आगे हैं. (स्नेत : सीएसओ का डाटा, 2011)
राज्य के बंटवारे के बाद अधिकतर औद्योगिक इकाइयां झारखंड चली गयीं. अभी बिहार में 0.4} मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां हैं. हिमाचल, उत्तराखंड, असम, जम्मू एवं कश्मीर जैसे राज्य इस मामले में बिहार से काफी आगे हैं, जबकि बिहार की तुलना में उनकी आबादी काफी कम है
नेपाल से निकलनेवाली नदियों की बाढ़ से बिहार में हर साल जान-माल को होता है भारी नुकसान
लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा
सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व
11 राज्यों को है विशेष दर्जा
जम्म-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, असम, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड.
केंद्रीय अनुदान में तरजीह
इन राज्यों में उद्योग लगाने पर उत्पाद शुल्क में छूट
केंद्रीय सकल बजट की 30 प्रतिशत राशि विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को जाती है
केंद्र प्रायोजित योजनाओं में मात्र 10} राज्यांश देना पड़ता है. अन्य राज्यों को 30 से 50} राज्यांश देना पड़ता है
कर्ज राहत स्कीम का भी मिलता है फायदा
भाजपा और पीएम का बिहार से रिश्ता सिर्फ वोट का रह गया है. लोस चुनाव में मोदी ने कहा था कि बिहार को विशेष दर्जा, पैकेज व अटेंशन भी देंगे. पर अब वे वादों से मुकर रहे हैं.
केसी त्यागी, जदयू महासचिव
केंद्र सरकार बिहार को विशेष दर्जे से अधिक दे रही है और आगे भी देगी. प्रधानमंत्री घोषणा कर चुके हैं कि बिहार को 50 हजार करोड़ से अधिक का पैकेज मिलेगा.
सुशील कुमार मोदी, भाजपा
भाजपा के चेहरे से नकाब उतर गया है. जब तेलंगाना बन रहा था, तो भाजपा ने आंध्र को विशेष दर्जा देने का समर्थन किया था, पर बिहार के संदर्भ में उसका चरित्र बदल रहा है.
वशिष्ठ नारायण सिंह, जदयू प्रदेश अध्यक्ष

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