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बिहार : दरके घरों की जांच करेंगे इंजीनियर

पटना: दो दिनों तक भूकंप के कई झटकों के बाद सोमवार को लोग दिन भर सुकून से रहे, लेकिन शाम छह बज कर पांच मिनट पर आये झटके से एक बार फिर सहम गये. इसकी तीव्रता 5.1 थी और केंद्र नेपाल-बंगाल सीमा पर था. मौसम विभाग का कहना है कि यह ऑफ्टर शॉक है. 1934 […]

पटना: दो दिनों तक भूकंप के कई झटकों के बाद सोमवार को लोग दिन भर सुकून से रहे, लेकिन शाम छह बज कर पांच मिनट पर आये झटके से एक बार फिर सहम गये. इसकी तीव्रता 5.1 थी और केंद्र नेपाल-बंगाल सीमा पर था. मौसम विभाग का कहना है कि यह ऑफ्टर शॉक है. 1934 में आये भूकंप के बाद भी कई दिनों तक ऐसे ही क्रमश: हल्के ऑफ्टर शॉक आते रहे थे.

इधर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस आपदा में बिहार के जो लोग नेपाल में हताहत हुए होंगे या फिर नेपाल के जो लोग बिहार में पीड़ित हुए होंगे, उन्हें मुआवजा दिया जायेगा. साथ ही भूकंप के झटकों से मकानों में आयी दरारों की जांच करने के लिए सिविल इंजीनियरों को जिलों में भेजने का आदेश दिया गया है. मुख्यमंत्री मंगलवार को पूर्वी चंपारण के रक्सौल जायेंगे. वहां वह भूकंप पीड़ितों के लिए बनाये गये बेस कैंप का जायजा लेने के साथ ही राहत कार्यो की समीक्षा भी करेंगे. वह नेपाल से आनेवाले पीड़ित लोगों से मुलाकात करेंगे और वहां के हालात के बारे में उनसे जानकारी लेंगे. सोमवार की शाम तक 10 हजार लोग रक्सौल पहुंच चुके थे.

दिन भर मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी, आपदा प्रबंधन विभाग के आलाधिकारियों से मंथन करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा सभी जिलों के इंजीनियरों की टीम बना कर ट्रेनिंग करायी जा रही है. इसके लिए सभी डीएम को को निर्देश भेज दिये गये हैं. संवाददाताओं को आपदा प्रबंधन से संबंधित बैठक में लिये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने क्षतिग्रस्त मकानों के लिए जी-1 से जी-5 के पांच ग्रेड जारी किये गये हैं. वैसे मकान, जिनमें भूकंप से दरारें आ गयी हैं या फिर क्षतिग्रस्त हो गयी है, उनकी जांच करायी जायेगी. इसके लिए पटना समेत सभी जिलों में इंजीनियर तैनात किये गये हैं. सभी इंजीनियरों को इसकी ट्रेनिंग भी दी जा रही है. लोग अपने जिलों के डीएम या फिर आपदा प्रबंधन विभाग के कंट्रोल रूम के नंबर पर सूचित कर स्थिति बता सकते हैं और जांच करवा सकते हैं. इंजीनियर उन्हें भूकंप के दृष्टिकोण से मकानों की ग्रेडिंग की समीक्षा करेंगे और क्या करना है, उसका परामर्श भी देंगे. उन्होंने कहा, मुख्य भूकंप के बाद 48 घंटे तक उसके हल्के झटके आने की आशंका रहती है. ऐसे में लोग अब आगे के लिए भी सचेत रहें. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलों के प्रभारी मंत्री वहां कैंप कर रहे हैं और प्रभारी सचिव भी जा रह रहे हैं. वैसे जिले, जहां इसका प्रभाव नहीं पड़ा है, वहां भी मंत्री व सचिव को कैंप कराया गया है. ये सभी फरवरी में शीतलहरी, मार्च-अप्रैल में बारिश व ओलावृष्टि के साथ तूफान व भूकंप राहत मुस्तैदी व पारदर्शिता से बांटने की मॉनीटरिंग करेंगे.
10 बसें गयी पोखरा, 30 बसें जायेंगी काठमांडू
मुख्यमंत्री ने कहा कि नेपाल में फंसे लोगों को लाने का काम शुरू हो गया है. रक्सौल से पोखरा (नेपाल) के लिए 10 बसें भेज दी गयी हैं. मुंगले (नेपाल) के पास भू-स्खलन होने के कारण इसमें देरी हुई, लेकिन वहां बसें रवाना कर दी गयी हैं. अब काठमांडू के लिए 30 बसें भेजने की तैयारी की जा रही है. परिवहन विभाग के प्रधान सचिव इसका कॉर्डिनेशन कर रहे हैं. रक्सौल में राहत कैंप रविवार से काम कर रहा है. आपदा प्रबंधन के मुताबिक सोमवार को रक्सौल कैंप में पोखरा से 310 लोग पहुंचे, जिनमें 272 बिहार के हैं, जबकि 38 दूसरे राज्यों के हैं. कुछ लोग कैंप से चले गये हैं. शेष के लिए भोजन व चिकित्सा का इंतजाम किया गया है. दिल्ली स्थित बिहार भवन से बताया गया है कि 66 लोगों को पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और मगध एक्सप्रेस से घर भेजा गया है.
सीएम ने कहा कि रेडी यू इट के पैकेट भी तैयार हैं और हर दिन 10-15 हजार पैकेट भेजे जा रहे हैं. नेपाल में बिहार का सिंचाई विभाग का ऑफिस है. वहां के अधिकारी भी भारतीय दूतावास के साथ बिहार से जो मदद दी जा रही है, उसमें सहयोग कर रहे हैं. डॉक्टरों की टीम भी मुस्तैद है. मुख्यमंत्री ने कहा कि नेपाल में बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए केंद्र सरकार से परामर्श कर रहे हैं. रक्सौल की तरफ से यह मदद दी जा सकती है. इंजीनियर, तार, कंडक्टर, पोल, ट्रांसफॉर्मर समेत ह्यूमन रिसोर्स तैयार है. हर सहायता नेपाल पहुंचाने के लिए हम तैयार हैं. बस केंद्र सरकार की सहमति का इंतजार है.
मृतकों की संख्या बढ़ी
आपदा प्रबंधन विभाग के नियंत्रण कक्ष (इओसी) के अधिकारी ने बताया कि भूकंप से मरनेवालों की संख्या 54 लोगों की मौत हो चुकी है. 175 घायलों को विभिन्न अस्पतालों में इलाज हो रहा है. दूसरी ओर छुट्टी के बावजूद आपदा प्रबंधन विभाग का कार्यालय तीसरे दिन खुला. विभागीय प्रधान सचिव व्यास जी और ओएसडी संदीप कुमार जिलों को अनुदान मद की राशि देने के लिए गणना में जुटे रहे. कई जिलों को आवश्यकतानुसार राशि भेजी गयी.
विनय कुमार बनाये गये पूर्णिया के एसएसपी
काल वैशाखी तूफान का सबसे अधिक पीड़ित पूर्णिया के लिए विशेष डीएम की नियुक्ति के बाद अब स्पेशल एसएसपी को नियुक्त किया गया है. सीनियर आइपीएस ऑफिसर विनय कुमार को इस पद पर नियुक्त किया गया है. गृह विभाग के सूत्र ने बताया कि पूर्णिया में तूफान पीड़ितों की समस्या को देखते हुए सरकार ने विशेष एसएसपी नियुक्त करने का निर्णय किया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने दरभंगा में पदस्थापित अशोक कुमार झा को 10 दिनों तक पूर्णिया में पदस्थापित किया है.
क्षतिग्रस्त भवनों को बांटा गया पांच ग्रेडों में
ग्रेड 1 ( हल्की क्षति) : एक या अधिक दीवार पर बारीक दरार, केवल प्लास्टर के छोटे टुकड़ों का गिरना, कुछ जगहों पर भवनों के ऊपरी हिस्सों से ढीले-ढाले अंशों का गिरना
ग्रेड-2 (मध्यम क्षति) : बहुत दीवारों में दरार, आरसीसी स्लैब या एस्बेस्ट्स शीट में बारीक दरार, प्लास्टर के बड़े-बड़े टुकड़ों का गिरना, छतों पर धुआं व चिमनियों का हल्का टूटना, मुंडेर और छज्जों को क्षति करीब 10 प्रतिशत छत की टाइल्स का बिखरना और ढलाई छतों की अंदरुनी संरचना को मामूली क्षति
ग्रेड -3 ( भारी क्षति) : अधिकतर दीवारों में बड़ी दरार और पीलर में बड़ी दरारें. छत टाइल्स का अलग हो जाना, छत पर चिमनियों का जड़ से टूटना.
ग्रेड -4 (बहुत भारी क्षति) : दीवारों की गंभीर विफलता, दीवारों के बीच गैप, अंदरुनी दीवारों का ढहना, फर्शो व छतों की आंशिक विफलता.
ग्रेड -5 ( विनाश) कुल या तकनीक पूर्ण रूप से भवन का ढहना.
भूकंप के ये झटके कब तक आयेंगे, कोई कह नहीं सकता है. ये 10-15 दिन या एक माह तक आ सकते हैं. पर, मुख्य झटके के बाद के झटके कमजोर होंगे. 1934 में आये भूकंप के बाद एक माह तक झटके आते रहे, पर वे कम तीव्रता के होते थे. बाद के झटके धरती के अंदर के प्लेट्स या रॉक के दुबारा व्यवस्थित होने के दौरान आता है. यह धीरे- धीरे व्यवस्थित हो जाता है. ऐसे में घबराएं नहीं, सतर्क रहें.
प्रो आनंद स्वरूप आर्या, आइआइटी के पूर्व शिक्षक व भूकंप के विशेषज्ञ

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