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मीडिया की नजर में हम गंवार : मांझी

गया: गया गोशाला के कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, आप सभी जानते हैं कि मैं कैसा हूं और कितना पढ़ा-लिखा हूं. पर, मीडियावालों का हाल देखिए. उनकी नजरों में हम निठाह गंवार हैं. किसी से मतभेद नहीं, सब ठीकमुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को कहा कि नीतीश कुमार के साथ मेरा चोली-दामन […]

गया: गया गोशाला के कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, आप सभी जानते हैं कि मैं कैसा हूं और कितना पढ़ा-लिखा हूं. पर, मीडियावालों का हाल देखिए. उनकी नजरों में हम निठाह गंवार हैं.

किसी से मतभेद नहीं, सब ठीक
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को कहा कि नीतीश कुमार के साथ मेरा चोली-दामन का संबंध है. दोनों के बीच कहीं कोई मनभेद या मतभेद नहीं है. हाल-फिलहाल मीडिया में जो बातें सामने आयी हैं, सब फिजुल की हैं. किसी का कोई आधार नहीं है. वे दोनों (सीएम व नीतीश) अपने-अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं. नीतीश कुमार पार्टी को सशक्त बनाने में लगे हैं. पार्टी ने मुङो सरकार चलाने का दायित्व सौंपा है. मैं अपना काम कर रहा हूं.

सवालिया लहजे में श्री मांझी ने कहा कि इसमें ऐसा क्या है, जो इतनी बातें चलायी जा रही हैं? मानपुर स्थित गौरक्षणी गया गोशाला द्वारा आयोजित गोपाष्टमी महोत्व के उद्घाटन के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि भाजपा में मेरे जाने का सवाल ही नहीं उठता. श्री मांझी ने भाजपा ज्वाइन करने के पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर द्वारा दिये गये आमंत्रण पर कहा कि सीपी ठाकुर पहले अपने बारे में सोचें. यह देखें कि उनकी पार्टी में उन्हें कितनी तरजीह मिल रही है. जदयू नेतृत्व ने तो मुङो मुख्यमंत्री तक बना दिया. भाजपा को सांप्रदायिक दल करार देते हुए श्री मांझी ने कहा कि उस पार्टी में जिन्हें खुद का ठिकाना नहीं पता है, वे दूसरे को न्योता दे रहे हैं. जदयू को धर्मनिरपेक्ष दल बताते हुए सीएम ने कहा कि आजकल नित्य नयी-नयी बातें उछाली जा रही हैं, जो ठीक नहीं हैं.

भारतीय संस्कृति में है वैज्ञानिकता
कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि छठ में लोग डूबते सूर्य को अर्घ देते हैं. इसका हमारी संस्कृति से गहरा रिश्ता है. माता-पिता बच्चों का भरण-पोषण करते हैं. लालन-पालन कर बड़ा करते हैं. फिर वे जब वृद्ध हो जाते हैं, तो हम उन्हें वृद्धाश्रम भेज देते हैं. तब, जब हमें उनका सम्मान करना चाहिए, उनकी सेवा करनी चाहिए. कैसा जमाना आ गया है? हमारी भारतीय संस्कृति पुरातन है. डूबते सूर्य को अर्घ देने से सीख लेने की जरूरत है. जो सूरज हमें दिनभर रोशनी देता है, ऊर्जावान बनाये रखता है, जब वह अस्त होने लगता है, तो हम उसके प्रति आभार जताते हैं, सम्मान में नतमस्तक होते हैं. यह बात अपने माता-पिता के साथ क्यों नहीं लागू करते? उन्होंने लोगों से अपनी अपील में कहा कि भारतीय संस्कृति से दूर जाना ठीक नहीं. इसमें वैज्ञानिकता है.

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