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काश! हर साल हो ऐसी तैयारी

छठ पर्व के साथ ही पटना जिला प्रशासन का बड़ा अनुष्ठान भी संपन्न हुआ है. रावणवध की भगदड़ में 33 लोगों की मौत के एक महीने के अंदर इतना बड़ा आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न कराना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. वह भी तब जब डिवीजनल कमिश्नर से लेकर जिले का डीएम-एसएसपी बिल्कुल नया हो […]

छठ पर्व के साथ ही पटना जिला प्रशासन का बड़ा अनुष्ठान भी संपन्न हुआ है. रावणवध की भगदड़ में 33 लोगों की मौत के एक महीने के अंदर इतना बड़ा आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न कराना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. वह भी तब जब डिवीजनल कमिश्नर से लेकर जिले का डीएम-एसएसपी बिल्कुल नया हो और इसी छठ पूजा में भगदड़ से मौत का कलंक लग चुका हो. गुरुवार की सुबह अर्घ के बाद भीड़ छंटते ही जिला प्रशासन ने चैन की सांस ली. गंगा घाटों पर पहुंचे लोगों का कहना था कि काश! ऐसी तैयारी हर साल हो. अगर दो साल पहले भी ऐसा हुआ होता तो शायद ..

दिखे कई नये फैसले : दशहरा में रावण वध हादसे के बाद दबाव में काम कर रहे प्रशासन ने छठ को बेहतर और शांतिपूर्ण पूरा करने की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली. इस बार छठ में पटना वासियों को प्रशासन के कई नए फैसले देखने को मिले. इससे लोगों को ना केवल ज्यादा सुविधा बल्कि बेहतर सुरक्षा व्यवस्था मिली, बल्कि यह भी बताया कि प्रशासन यदि चाहे तो आम लोगों को कोई समस्या नहीं होगी. पहली बार छठ पूजा कोषांग बनाया गया. फंड एलॉट किया गया, ताकि पूजा को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सके. दो महीने पहले ही 18 दंडाधिकारियों को घाटों का निरीक्षण कर रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी अलग-अलग सौंपी गई. डिवीजनल कमिश्नर के लगातार घाटों पर एक्टिव रहने से साफ-सफाई भी ज्यादा बेहतर रही और चौबीसों घंटे मजिस्ट्रेट तैनात रहे.

व्रतियों और श्रद्धालुओं को मिली ज्यादा सुविधा : प्रशासन का प्रयास था कि इस बार व्रतियों और श्रद्धालुओं को ज्यादा सुविधा प्रदान की जाये. इसके कारण घाटों पर रोशनी, पंडाल, शौचालय, चेंजिंग रूम आदि की व्यवस्था की गयी और एक अलग अधिकारी इसकी जिम्मेदारी के लिए रखे गये. सभी अधिकारी लगातार अपनी ड्यूटी में मुस्तैद रहे.

जमीन से पानी तक रही नजर : छठ पूजा कोषांग के पदाधिकारियों ने जमीन से लेकर पानी तक सुरक्षा के दृष्टिकोण से नजर बनाये रखी. पुलिस अधिकारियों को मजिस्ट्रेट निर्देश देते रहे और सभी सुरक्षा को लेकर चौकस रहे.

शाम के अर्घ के बाद भी हुई सफाई : छठ की पहले अर्घ के बाद भी इस बार सफाई करायी गयी. नगर निगम को कमिश्नर ने निर्देश दिया था कि शाम के अर्घ के बाद सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए सफाई कर्मचारी सभी घाटों और उसके पहुंच पथ की गंदगी को रात में ही हटाएं.

मजिस्ट्रेट ने किया दो शिफ्ट में काम : प्रशासनिक दृष्टिकोण से मजिस्ट्रेटों ने पहली बार दो शिफ्ट में काम किया, ताकि 24 घंटे दंडाधिकारी तैनात रह कर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकें.

एक शिफ्ट में काम करने वाले मजिस्ट्रेट केवल शाम की जिम्मेदारी संभाली वहीं दूसरे शिफ्ट में सुबह में अलग मजिस्ट्रेटों की तैनाती की गयी. इससे ज्यादा बेहतर तरीके से निगरानी की जा सकी.

खुद की समझ से आसान हुए रास्ते
बुधवार का दिन. छठ पूजा की तैयारी. राजधानी की सड़कों पर सन्नाटा. गाड़ियों के कान फाडू हॉर्न, जाम और आगे बढ़ने की जद्दोजहद से मुक्त सड़कें. सुबह से खालीपन, यूं तो सड़कों पर गाड़ियां नहीं हैं, कुछ लोग पूजा सामग्री इकट्ठा करने बाइक व कार से निकले हैं, सड़कें खाली हैं इसलिए बिल्कुल स्वतंत्र ड्राइव हो रही है. दिन के 11 बजे तक फलों व पूजा सामग्री वाली दुकानों पर भीड़-भाड़ मौजूद है. लेकिन एक घंटे बाद नजारा बदल गया. मुख्य चौराहों पर ट्रैफिक की जिम्मेदारी संभालने वाले सिपाहियों की फौज छठ पूजा के लिए तैयार हुए प्लान के हिसाब ड्यूटी पर जुट गये.
भगवान भास्कर जब ढलान की तरफ बढ़ने लगे तो छठ व्रती पटना के नदी घाटों की तरफ निकले. सधे हुए कदम, सिर पर दऊरा, छठ मइया के गीत, सड़कों के किनारे सजावट, बहुरंगी पताके से भक्तिमय माहौल तैयार हो रहा है. नदी घाटों को जाने वाले मार्ग के सभी मोड़ पर पुलिस की सतर्क नजरें. हर दो मिनट पर सिटी. बंद रास्ते की तरफ जाने से रोका जा रहा है. पुलिस के संकेत के बाद दो पहिया व प्राइवेट चार पहिया वाहन आगे बढ़ रहे हैं. कुर्जी मोड़ से आगे बढ़ने पर एलसीटी घाट, राजापुर पुल, बांस घाट, गांधी मैदान, एक्जीविशन रोड, कदमकुआं, खजांची मोड़, पीएमसीएच गेट, पटना कॉलेज, साइंस कॉलेज सभी जगह ट्रैफिक व सिविल पुलिस की मुस्तैदी. लोग खुद से भी सतर्क दिखे, दिन में सड़कों का सूनापन अब व्रतियों के अपार भीड़ से पट रहा है. तिल रखने तक की जगह नहीं.
पुलिस के ट्रैफिक संकेत को लोग स्वीकार करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. घाटों के गेट पर व्रतियों के हुजूम को पुलिस व्यवस्थित कर रही है. घाट पर मौजूद स्वयं सेवक दल लाउडस्पीकर से लोगों को सतर्क कर रहा है. घाटों के पास लगायी गयी महिला पुलिस सजग और सक्रिय रहीं. व्रती महिलाओं के लिए रास्ता बनाती रहीं.
एसएसपी,सिटी एसपी व यातायात एसपी लेते रहे जायजा
इस बार जिला या पुलिस प्रशासन की सक्रियता देखते बन रही थी. हर घाट पर बने वाच टावर से लोगों को लाइन से चलने, जल्दबाजी नहीं करने, अफवाह पर ध्यान न देने की घोषणा की जा रही थी. खास बात यह है कि एसएसपी जितेंद्र राणा, सिटी एसपी सत्यवीर सिंह, ट्रैफिक एसपी प्रांतोष कुमार दास लगातार एक घाट से दूसरे घाट सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे थे. और वहां पुलिसकर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दे रहे थे.
सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही ट्रैफिक पुलिस द्वारा पार्किग के लिए की गयी व्यवस्था में ही लोगों को गाड़ी लगवा दिया गया. एक-दो लोग अपनी गाड़ी को लेकर अशोक राजपथ में प्रवेश करने का प्रयास करने लगे, लेकिन उन लोगों को कारगिल चौक से आगे नहीं बढ़ने दिया गया. अशोक राजपथ पर गांधी मैदान व पूरब दिशा से भी वाहनों को आगे नहीं बढ़ने दिया गया. सभी वाहनों को बनाये गये पार्किग में ही लगवाया गया. सारी व्यवस्था को देखने के लिए हर पार्किग स्थल पर पुलिस के जवान तैनात थे. साथ ही कोई वाहन अशोक राजपथ पर किसी गली के माध्यम से न पहुंच जाये. इसका भी ध्यान रखा गया था और इसके लिए हर गली मसलन गोविंद मित्र रोड, खजांची रोड, मखनियां कुआ रोड आदि के अशोक राजपथ मुहाने पर पुलिस जवानों की तैनाती की गयी थी.
गांधी मैदान बना पार्किग स्थल
व्रतियों की सुविधा के लिए पटना पुलिस ने वाहनों के लिए कारगिल चौक से ही नो इंट्री लगा रखी थी. छठ पूजा के लिए तीन पहिया व चार पहिया वाहन लेकर पहुंचे लोगों को गांधी मैदान में ही पार्किग करनी पड़ी.
वन-वे होने से गांधी सेतु पर भी लोग आसानी से निकले : गांधी सेतु को दो बजे के बाद से वन वे कर दिया गया. इससे छठ व्रतियों के लिए घाट पर पहुंचना आसान हो गया. कहीं जाम की शिकायत नहीं मिली. लोग आसानी से पूजा सामग्री के साथ पूजा स्थल पर पहुंचे. दोबारा जब व्रतियों के वापसी का समय हुआ तो फिर से पुल को वन-वे कर दिया गया. अंधेरा होने तक लोग आसानी से निकलते रहे.
32 मोटर बोट से हुई पैट्रोलिंग
छठ घाट पर बेहतर व्यवस्था के लिए प्रशासन ने 32 मोटर बोट लगाया था. किसी भी अनहोनी से निबटने के लिए सभी मोटरबोट लगातार पैट्रोलिंग में लगी रही. जिला प्रशासन की ओर से इस बार दुर्घटना की संभावना पर लगाम लगाने के लिए यह पहल की गयी थी. सदर एसडीओ ने बताया कि सभी मोटर बोट पर गोताखोर भी तैनात थे, जो नजर बनाये हुए थे. इधर, प्राइवेट नाव चलाने पर सख्ती पूरी तरह से लागू थी. पटाखा चलाने वालों पर भी पुलिस की नजर लगातार बनी रही.
घुड़सवार दस्ते से भी हुई निगरानी . शहर में विधि-व्यवस्था की कही दिक्कत नहीं हो. इसे लेकर पटना पुलिस ने घुड़सवार दस्ते को भी संवेदनशील हिस्सों में तैनात किया था. घोड़े पर सवार प्रशिक्षित पुलिसकर्मी लगातार गांधी मैदान से दानापुर वाले रोड पर गश्त करते रहे. लोग प्रशासन की चौकस गतिविधियों को देख कर तारीफ भी करते दिखाई दिये.
खतरनाक घाटों पर भी पूजा
प्रशासन ने कई घाटों को खतरनाक घोषित किया था, लेकिन वहां भी छठ हुआ. हालांकि, प्रशासन की ओर से वहां भी अच्छी व्यवस्था की गयी थी. प्रशासन की ओर से मजिस्ट्रेट लगातार यह बता रहे थे कि यह घाट खतरनाक है. सदर एसडीओ अमित कुमार ने बताया कि दंडाधिकारियों को निर्देश दिया गया था. पटना जिले में 60 घाट खतरनाक घोषित किये गये थे. सबसे ज्यादा 18 खतरनाक घाट बाढ़ अनुमंडल में थे. वहीं सदर और सिटी अनुमंडल में 15-15 घाट खतरनाक घोषित किये गये थे. और सबसे कम 12 घाट दानापुर अनुमंडल में थे. दानापुर अनुमंडल में ही भट्ठी घाट और गोला घाट को दलदली घाट के रूप में भी चिह्न्ति किया गया था. बाद में पटना सदर अनुमंडल प्रशासन ने कुर्जी के दो और घाटों को खतरनाक घोषित कर दिया था. वहां के गेट नंबर 74 और गेट नंबर 80 पर छठ पूजा करने पर रोक लगा दी गयी थी.

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