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चिट फंड कंपनियों से लाखों लोग परेशान, दर्ज कराएं एफआइआर

पटना : वित्तीय स्वर्ग दिखाने के बाद लोगों की गाढ़ी कमाई लेकर फरार होनेवाली नॉन बैंकिंग कंपनी (एनबीसी) या चिट फंड कंपनियों से राज्य में लाखों लोग पीडि़त हैं. ऐसी कंपनियों के खिलाफ बड़ी संख्या में लोगों ने आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की हेल्पलाइन में शिकायत की. मंगलवार को शुरू हुई इस हेल्पलाइन में पहले […]

पटना : वित्तीय स्वर्ग दिखाने के बाद लोगों की गाढ़ी कमाई लेकर फरार होनेवाली नॉन बैंकिंग कंपनी (एनबीसी) या चिट फंड कंपनियों से राज्य में लाखों लोग पीडि़त हैं. ऐसी कंपनियों के खिलाफ बड़ी संख्या में लोगों ने आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की हेल्पलाइन में शिकायत की.

मंगलवार को शुरू हुई इस हेल्पलाइन में पहले दिन राज्य भर से देर शाम तक करीब 900 लोगों ने विभिन्न कंपनियों के बारे में शिकायतें कीं. इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें कलकत्ता बियर इंडस्ट्री लिमिटेड के बारे में आयीं. कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्हें ह्यप्रभात खबरह्ण में फरार व लापता एनबीसी की सूची छपने के बाद इसके बारे में जानकारी हुई. इओयू ने पीडि़त निवेशकों से धोखाधड़ी करनेवाली कंपनियों के खिलाफ संबंधित थाने में एफआइआर दर्ज कराने को कहा है.
इओयू में फोन करनेवाले लोगों में बड़ी संख्या उनकी भी थी, जो किसी एनबीसी के बारे में जानकारी लेना चाहते थे या वर्तमान में चल रही किसी चिट फंड कंपनी की सत्यता से संबंधित जानकारी हासिल करना चाहते थे. इओयू ने धोखाधड़ी के शिकार हुए लोगों को कार्रवाई करने से संबंधित उचित सुझाव दिये. साथ ही ऐसे मामलों में लोगों को सजग रहने के लिए भी कहा. कई लोग रियल एस्टेट या एनबीसी के तहत नहीं आनेवाली कंपनियों के बारे में भी जानकारी मांग रहे थे. बड़ी संख्या में झारखंड के धनबाद, बोकारो, चाईबासा समेत अन्य शहरों से भी फोन आ रहे थे. अधिकतर पीडि़तों की जिज्ञासा सबसे ज्यादा यह जानने में थी कि डूबा पैसा कैसे निकलेगा?
* इस तरह की आयीं शिकायतें
शिकायत करनेवालों में अधिकतर ने बताया कि कंपनियां तरह-तरह का झांसा देकर लोगों से पैसा ठग लेती हैं. चालू खाता या फिक्स डिपोजिट लेकर फरार होने के मामले सबसे ज्यादा है. किशनगंज से मो मुस्तफा ने बताया कि पहले चिट फंड कंपनी ने कम अंतराल में थोड़ी रकम को ज्यादा करके लौटाया. इसके बाद विश्वास जम गया. जब मोटी रकम जमा की, तो कहा कि इसमें थोड़ा समय लगेगा. समय पूरा होने से पहले ही कंपनी फरार हो गयी. बांका से राजीव कुमार ने बताया कि एक परिचित के एजेंट के कहने पर तीन साल में दोगुना करने की योजना में रुपये निवेश किये. कंपनी डेढ़ साल में ही भाग गयी. कटिहार से रमेश, गोपालगंज से मुनमुन कुमार, पटना के रॉकी, पप्पू समेत ऐसे तमाम लोगों ने भी ऐसी ही समस्या सुनायी.
* कई कंपनियां ले रहीं बड़े नामों का सहारा
धोखाधड़ी करके भागनेवाली कई कंपनियों ने कुछ बड़ी कंपनियों के नाम का सहारा लेकर अपना नाम रखा लिया है. कुछ ने नामचीन कंपनियों से मिलते-जुलते नाम भी रख लिये हैं. मसलन बेगूसराय से फरार होनेवाली एक एनबीसी का नाम ह्यसहारा इंडिया शाखाह्ण है. एक बारगी यह जरूर लगता है कि यह कंपनी सहारा इंडिया की ही शाखा है, लेकिन ऐसा नहीं है. इसका वास्तविक सहारा इंडिया परिवार से कोई लेना-देना नहीं है. इसने अपना नाम जान-बूझ कर ऐसा रखा था, ताकि लोग आसानी से ठगे जा सकें. कंपनी के इस धोखे में कई लोग आ भी गये और कंपनी लोगों का पैसा लेकर फरार हो गयी. वर्तमान में इसके खिलाफ इओयू में मामला दर्ज है. इसी तरह गयी कंपनियों के नाम भी कुछ अन्य कंपनियों से मिलते-जुलते हैं.
* पहली बार हुई यह व्यवस्था
– वित्त विभाग ने को-ऑपरेटिव रजिस्ट्रार को चिट फंड रजिस्ट्रार, को-ऑपरेटिव अपर निबंधक को अपर निबंधक, चिट्स के अलावा सभी अनुमंडलों में तैनात को-ऑपरेटिव के सहायक निबंधक को सहायक निबंधक, चिट्स नियुक्त किया है
– अब राज्य में काम करने से पहले किसी एनबीसी या चिट फंड कंपनी को राज्य सरकार के नियुक्त चिट फंड रजिस्ट्रार से भी निबंधन करना होगा.
– पहले निबंधन का प्रावधान राज्य स्तर पर नहीं होने से कितनी कंपनियां यहां काम कर रहीं, इनका पता नहीं चल पाता था.
* आप ऐसे करें शिकायत
* जो कंपनी आपका पैसा लेकर फरार हो गयी, उसके खिलाफ सबसे पहले संबंधित थाने में मामला दर्ज कराएं
* सभी जिलों में डीएम कार्यालय में एक एनबीसी कोषांग गठित है, यहां भी आवेदन करके इसकी शिकायत कर सकते हैं
* सभी जिलों में एक एडीएम को ऐसे मामलों पर कार्रवाई करने के लिए सक्षम पदाधिकारी नियुक्त किया गया है, उनके पास जाये
* अगर डीएम या एडीएम को किसी एनबीसी के बारे में शिकायत मिलती है, तो वे इसकी छानबीन कर सकते हैं
त्र किसी मौजूदा एनबीसी की सत्यता के बारे में जानकारी लेनी है, तो आरबीआइ या सिक्यूरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (एसइबीआइ ) से संपर्क कर सकते हैं
* कंपनियों को डीएम को देनी होगी जानकारी
राज्य में काम करनेवाली सभी एनबीसी को संबंधित जिले में डीएम के पास अपनी पूरी जानकारी देनी होगी. अगर डीएम या एडीएम को किसी कंपनी के बारे में शिकायत मिलती है, तो जांच कर उस पर उचित कार्रवाई कर सकते हैं.
जीतेंद्र सिंह गंगवार आइजी, इओयू

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