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प्रभात खबर ने खोज निकाला लड़ाई के वक्त के कमांडर ओपी कोहली को, उन्होंने कहा अगरतला में अंतिम संस्कार हुआ था अलबर्ट एक्का का

परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के समाधि स्थल की खोज और पवित्र मिट्टी को झारखंड लाने की उनकी पत्नी बलमदीना एक्का की इच्छा को पूरा करने में कुछ सफलता मिली है. प्रभात खबर ने उस सैन्य अधिकारी को खोज निकाला है, जिनकी अगुवाई में शहीद होने के पहले अलबर्ट एक्का लड़ाई लड़ रहे थे. […]

परमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के समाधि स्थल की खोज और पवित्र मिट्टी को झारखंड लाने की उनकी पत्नी बलमदीना एक्का की इच्छा को पूरा करने में कुछ सफलता मिली है. प्रभात खबर ने उस सैन्य अधिकारी को खोज निकाला है, जिनकी अगुवाई में शहीद होने के पहले अलबर्ट एक्का लड़ाई लड़ रहे थे. उनका नाम है कर्नल ओपी कोहली. अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. लड़ाई के समय वे ही कमांडर थे. अभी दिल्ली में हैं. उन्होंने प्रभात खबर के समक्ष खुलासा किया है कि अलबर्ट एक्का के शव का अंतिम संस्कार अगरतला (त्रिपुरा) में किया गया था. अगरतला में वास्तविक स्थल की तलाश जारी है. त्रिपुरा के राज्यपाल ने शुक्रवार को प्रभात खबर को आश्वासन दिया कि वे बलमदीना एक्का की इच्छा को पूरा करने में मदद करेंगे. इसके लिए वे सेना की सहायता लेंगे. अब सिर्फ इतना पता लगाना है कि अगरतला में किस जगह पर अलबर्ट एक्का का अंतिम संस्कार किया गया था. झारखंड सरकार की टीम भी इस खोज में लग गयी है.
ओपी कोहली
अजय विद्यार्थी, कोलकाता
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ‘बैटल ऑफ हिली’ में अदम्य साहस का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का का त्रिपुरा के अगरतला में अंतिम संस्कार किया गया था. बैटल ऑफ हिली के कंपनी कमांडर कर्नल (अब सेवानिवृत्त) ओपी कोहली ने इसका खुलासा किया है़ कर्नल ओपी काेहली इस्टर्न फ्रंट के गंगासागर रेलवे स्टेशन (फिलहाल बांग्लादेश में) के पास दो दिसंबर की रात व तीन दिसंबर की सुबह (1971) लड़े गये युद्ध में कंपनी कमांडर थे. उनके नेतृत्व में ही लड़ाई लड़ी गयी थी़ अलबर्ट एक्का ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अपनी जान की परवाह किये बिना घायल होने के बावजूद गंगासागर रेलवे स्टेशन केबिन पर कब्जा जमाने में सफल रहे थे. कई दुश्मनों को मारने के बाद खुद भी वीरगति को प्राप्त हुए थे.
फिलहाल नयी दिल्ली में सेक्यूरिट्रान इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के दिल्ली व एनसीआर में क्षेत्रीय प्रबंधक (एटीएम) के पद पर कार्यरत कर्नल ओपी कोहली ने बताते हैं : यह लड़ाई दो दिसंबर की रात लगभग ढाई बजे शुरू हुई थी. गंगासागर रेलवे स्टेशन का वह इलाका काफी दलदली व निचला था. रेलवे ट्रैक लगभग आठ से दस फीट ऊंचाई पर बनी हुई थी. ‘ब्रेभो’ कंपनी के लांस नायक अलबर्ट एक्का और ‘अल्फा’ कंपनी के लांस नायक गुलाब सिंह को रेलवे ट्रैक की ओर आगे बढ़ने का निर्देश दिया गया, ताकि इन दो गाइडों के निर्देशानुसार कंपनी उनके पीछे आगे बढ़ सके. जब हम पाकिस्तानियों के सबसे करीबी बंकर से लगभग 40 गज दूर थे कि अचानक रेलवे ट्रैक पर लगाया गया ‘ट्रिप फ्लेयर’ लांस नायक अलबर्ट एक्का और लांस नायक गुलाब सिंह के आगे बढ़ने से आये व्यवधान के कारण जल उठा और पूरा इलाका रोशनी से जगमगा उठा. रोशनी के कारण लांस नायक अलबर्ट एक्का को एलएमजी बंकर में तैनात पाकिस्तानी सैनिकों ने देख लिया. पाकिस्तानी सैनिक ने जोर से आवाज लगायी ‘कौन है वहां.’ अलबर्ट एक्का ने पाकिस्तानी सैनिक को बेयोनेट से भोंकते हुए पलट कर जवाब दिया : ‘तुम्हारा बाप.’ इस बीच, पाकिस्तानी सेना ने ‘इल्युमिनेशन’ फायर किया. इससे पूरा इलाका जगमगा उठा. एमलएमजी और एमएमजी से लगातार फायरिंग की जाने लगी.

यंग बटालियन की दोनों कंपनी ‘ए’ और ‘बी’, जिसमें ऑफिसर्स, जेसीओ और ओरएस आदि शामिल थे, अदम्य साहस, सर्वोत्तम बलिदान व अदम्य शक्ति की मिसाल स्थापित की. उस समय दोनों कंपनियों के जवानों का एक ही मोटो था, दुश्मनों को ‘मारो और खत्म करो.’ कंपनी कमांडर ट्रूप्स को दुश्मनों से बंकर खाली कराने के लिए प्रेरित कर रहे थे, लेकिन अचानक हमले से घबराये पाकिस्तानी सैनिकों ने रक्षात्मक रुख अपनाते हुए एमएमजी, एलएमजी व अारसीएल राइफल्स से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी.
उसी समय बायीं ओर से कंपनी के साथ आगे बढ़ रहे लांस नायक अलबर्ट एक्का ने अदम्य साहस का परिचय दिया और रेजिमेंट व वीरता के इतिहास में अपना नाम अंकित कर गये. वह अपनी जान की परवाह किये बिना दुश्मनों के बंकरों में घुस गये. ग्रेनेड फेंक कर दुश्मनों का तबाह करने के साथ-साथ बेयोनेट से दुश्मनों को मारते हुए आगे बढ़े. इस बीच तालाब के किनारे पहले बंकर पर कब्जा करने के दौरान अलबर्ट एक्का को पेट में गहरी चोट लगी, लेकिन वह दुश्मनों की लाइट मशीन गन पर कब्जा करने में कामयाब रहे और दो दुश्मन सैनिकों को बेयोनेट भोंक कर मार गिराया. इस बीच उन्होंने देखा कि रेलवे स्टेशन की उत्तरी दिशा की ओर स्थित केबिन के दूसरे तल्ले से लाइट मशीन गन से है‍वी फायरिंग हो रही है.

इससे सैनिकों को काफी नुकसान हो रहा था. गहरे रूप से घायल होने के बावजूद अलबर्ट एक्का फिर अदम्य साहस का परिचय देते हुए पीछे से रेंगते हुए बिल्डिंग की ओर आगे बढ़े और ग्रेनेड फेंक कर एक दुश्मन को मार गिराया. अदम्य इच्छा शक्ति का परिचय देते हुए अपनी सुरक्षा की परवाह किये बिना लांस नायक अलबर्ट एक्का केबिन के पीछे की सीढ़ी से ऊपर चढ़ गये़ फायर कर रहे दुश्मन को बयोनेट भोंक कर मार डाला और रेलवे केबिन पर कब्जा कर लिया. इससे मशीन गन की फायरिंग बंद हो गयी और उन्होंने भारतीय सैनिकों को घायल होने से बचा लिया़ लेकिन इस बीच वह बुरी तरह घायल हो गये थे. केबिन की सीढ़ी से उतरते समय गोली से जख्मी होने के कारण गिर पड़े और शहीद हो गये. इस प्रकार उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया.

त्रिपुरा के राज्यपाल ने दिया मदद का आश्वासन
त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय ने अलबर्ट एक्का की अस्थि की खोज के संबंध में हर संभव मदद का आश्वासन दिया है. उन्होंने प्रभात खबर से बातचीत में कहा : अलबर्ट एक्का ने 1971 के युद्ध में अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया था. शहीद अलबर्ट एक्का की विधवा बलमदीना एक्का यदि चाहती हैं कि अलबर्ट एक्का की अस्थि त्रिपुरा से झारखंड (जारी गांव, गुमला) ले जायें, तो वह सरकार की ओर से आश्वास्त करते हैं कि इस महती कार्य में पूरा सहयोग करेंगे. इस संबंध में वरिष्ठ सेना के अधिकारियों से भी बात करेंगे और यह जानकारी हासिल करेंगे कि शहीद अलबर्ट एक्का को कहां दफनाया गया था.

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