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मेरी किताब की भूमिका डॉ कलाम ने लिखी

नरेंद्र पाठक पटना : बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के अभिभाषणों को संपादित कर प्रकाशित करने का अवसर मुझे मिला था.14वीं बिहार विधानसभा के शुरुआती वर्षो में (2006 में) डॉ कलाम बिहार आये थे. बिहार विधानमंडल के संयुक्त तत्वावधान में बिहार के विकास के लिए 10 मार्गदर्शी सूत्रों को बताया था. […]

नरेंद्र पाठक
पटना : बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के अभिभाषणों को संपादित कर प्रकाशित करने का अवसर मुझे मिला था.14वीं बिहार विधानसभा के शुरुआती वर्षो में (2006 में) डॉ कलाम बिहार आये थे. बिहार विधानमंडल के संयुक्त तत्वावधान में बिहार के विकास के लिए 10 मार्गदर्शी सूत्रों को बताया था. बाद के दिनों में बिहार में सरकार के द्वारा जो भी निर्णय लिए गये उस पर डॉ कलाम के सुझावों की स्पष्ट छाप दिखाई दे रही थी.
उसका कारण यह था कि नीतीश कुमार एक व्यक्ति के रूप में डॉ कलाम से बहुत प्रभावित थे और उन्होंने जो सूत्र सामने रखे, उन सूत्रों को नीतीश कुमार ने एक मुख्यमंत्री के रूप में तमाम अवरोधों के बावजूद, अपने शासन के एजेंडे में प्रमुखता से लागू किया.
बिहार में पहली बार कोई मुख्यमंत्री शासन को जनता के पक्ष में निर्णय लेने के लिए उसके दरवाजे पर दस्तक दे रहा था, समाज के सबसे बेसहारा जातियों को अपने एजेंडे में प्राथमिकता दे रहा था और महिलाओं को स्थानीय शासन में 50 फीसदी हिस्सेदारी देकर सामाजिक परिवर्तन के नये युग में बिहार को ले जा रहा था.
गांव की लड़कियां स्कूल में आठवीं कक्षा तक जाते-जाते ठीठक जाती थीं. सामाजिक तानाबाना, यातायात के साधन और स्कूलों की दूरी जैसी प्रत्यक्ष-परोक्ष कारणों को पार करते हुए गांव ओर गलियों की सड़कों का निर्माण और 50 फीसदी महिला आरक्षण के साथ लड़कियों को साइकिल देकर तो जैसे एक युग को पंख लग गये.
मेरे गांव की लड़कियां भी समूह में और अकेले भी स्कूल जाने लगी-यह सब जो नीतीश कुमार कर रहे थे उसके संबंध में बिहार विधानसभा के समक्ष जो बात उन्होंने बतायी, उसे पुस्तकाकार देने के लिए विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सुझाव दिया. 2010 के अगस्त माह में मेरी संपादित पुस्तक तैयार हो गयी.
अब सबकी इच्छा थी कि इस पुस्तक की भूमिका डॉ कलाम से लिखवाया जाये और लोकार्पण भी वहीं करें.मेरी पहुंच राष्ट्रपति भवन और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम नहीं थी इसलिए मैं इतना भर कर सका कि उदय जी (विधानसभा अध्यक्ष) की इच्छा और भावना को प्रकाशक डॉ पीयूष कुमार तक पहुंचा दिया. पीयूष जी का कलाम साहब से बहुत करीबी संबंध है, इसे मैं जानता था.
हमारी भावना का आदर करते हुएवे डॉ कलाम से मिले और पुस्तक की विषय वस्तु बताते हुए भूमिका लिखने के साथ विमोचन के लिए आग्रह किया.
डॉ कलाम विमोचन के लिए समय नहीं दे सकते की बात कहीं किंतु भूमिका लिखने के आग्रह पर उन्होंने कहा कि ‘नीतीश कुमार जी योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए तो मैंने 2006 में ही भूमिका लिखा दी है. उसमें से जितने अंश की जरूरत हो रख लो.’ उन्होंने आगे कहा कि ‘मुझे बेहद खुशी होगी कि नीतीश कुमार जी के भाषणों के संपादित पुस्तक का भूमिका लेखक मैं बनूं.’
इस प्रकार मेरी किताब ‘विकसित बिहार की खोज’ का संपादक नाम मेरा था पर मेरे नाम के ऊपर मुखपृष्ठ पर ही भूमिका लेखक के रूप में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का नाम था.लेखक : नरेंद्र पाठक ‘विकसित बिहार की खोज नीतीश कुमार’ पुस्तक के लेखक हैं.

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