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Friday, March 29, 2024

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प्रभु करेंगे कायाकल्प

जनता की मांगों के दबाव और राजनीति चमकाने की ललक को अलग रख, पहली बार किसी रेल मंत्री ने अपने बजट में सच का सामना करने का साहस दिखाया है. सुरेश प्रभु ने न नयी रेलगाड़ियों का एलान किया और न यात्री किराये में कटौती का. साथ ही बुनियादी जरूरत की चीजों पर मालभाड़ा बढ़ाने […]

जनता की मांगों के दबाव और राजनीति चमकाने की ललक को अलग रख, पहली बार किसी रेल मंत्री ने अपने बजट में सच का सामना करने का साहस दिखाया है. सुरेश प्रभु ने न नयी रेलगाड़ियों का एलान किया और न यात्री किराये में कटौती का. साथ ही बुनियादी जरूरत की चीजों पर मालभाड़ा बढ़ाने का कठोर कदम उठाया है जिससे कि भविष्य की रेल का सपना गढ़ने के लिए धन जुटाया जा सके.चुनाव के दौरान बहुप्रचारित बुलेट ट्रेन को आगे के लिए टाल कर सरकार ने यह साफ कर दिया है कि उसने हवाई सपनों में विचरना छोड़ दिया है और अब उसके पैर हकीकत की ठोस जमीन पर हैं. सरकार की इस बदली समझ का नतीजा है कि बजट में रफ्तार से ज्यादा जोर यात्री सुविधाओं के साथ साफ-सुथरी रेल पर है. रेलवे का बुनियादी ढांचा मजबूत करने व विद्युतीकरण पर है. हादसों को रोकने पर है.

सेंट्रल डेस्क

नयी रेलगाड़ियां और न यात्री किराये में बढ़ोतरी, कुछ श्रेणियों के माल भाड़े में वृद्धि, चार लक्ष्य, पांच उत्प्रेरक (ड्राइवर्स) और 11 क्षेत्रों पर जोर- ये अहम खूबियां रहीं गुरुवार को पेश 2015-16 के रेल बजट की. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने पहले रेल बजट में सबसे ज्यादा जोर रेलवे के बुनियादी ढांचे और यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने पर दिया. इसके लिए उन्होंने अगले पांच सालों में 8.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की रूपरेखा पेश की और कहा कि इस अवधि में रेलवे को कायांतरण से गुजरना होगा.

आनेवाले वित्तीय वर्ष के लिए प्रभु ने योजना आकार में 52 फीसदी की बढ़ोतरी करते हुए इसे 1.11 लाख करोड़ का कर दिया है. इसमें वित्त मंत्रलय द्वारा दी जानेवाली बजटीय सहायता 40,000 करोड़ रुपये है. रेल मंत्री ने यात्री किराये की दर भले नहीं बढ़ायी है, पर इस मद में आमदनी में 16.7 फीसदी की वृद्धि कर इसे 50,175 करोड़ रुपये पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. वहीं माल भाड़े से आमदनी को 1.06 लाख करोड़ से बढ़ा कर 1.21 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य है. चालू वित्तीय वर्ष में रेलवे को एक रुपये कमाने के लिए 91.8 पैसे खर्च करने पड़े. रेल मंत्री ने कहा कि नये वित्तीय वर्ष में वह इसे 88.5 पैसे करना चाहते हैं. संचालन खर्च और आमदनी का यह अनुपात रेलवे की कार्यकुशलता का एक अहम पैमाना होता है. उन्होंने कहा, ‘यह रेल बजट सुधार की लंबी और कठिन राह के लिए दिशा तय करेगा.’

रेलवे में निवेश के लिए जो भारीभरकम लक्ष्य रखा गया है, उसके लिए बाजार से मोटी रकम उधार ली जायेगी. नये वित्तीय वर्ष के लिए यह लक्ष्य 50 हजार से एक लाख करोड़ रुपये का है. इसके अलावा रेलवे की संपत्तियों से भी पैसा बनाने की बात कही गयी है. हालांकि इसके साथ प्रभु ने यह भी कहा कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जायेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और सुधारों के पैरोकार माने जानेवाले प्रभु के रेल बजट पर नकारात्मक रवैया दिखाया. रेलवे के लिए सामान बनानेवाली कंपनियों के शेयर गिर कर बंद हुए. सेंसेक्स में 261 अंकों की गिरावट रही. उद्योगों की ठंडी प्रतिक्रिया की वजह रेल बजट में यूरिया, कोयला, लोहा और इस्पात, सीमेंट जैसी बुनियादी चीजों के माल भाड़े में 0.8 से 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी की घोषणा को माना जा रहा है.

बजट में यात्रियों से संबंधित सभी जरूरतों का ध्यान रखा गया है. बजट यात्रियों को समर्पित है. बजट में जितनी भी योजनाएं तैयार की गयी हैं. वे यात्रियों के हित में हैं. इससे रेलवे के आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी.

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

भारतीय रेलवे को एक भेंट मिलनी चाहिए कि परिस्थिति बदल सकती है, रास्ते खोजे जा सकते हैं, इतना बडा देश, इतना बडा नेटवर्क, इतने सारे संसाधन, इतनी विशाल मानव शक्ति, इतनी ‘स्ट्रांग पोलिटिकल विल’, तो फिर क्यों नहीं हो सकता, रेलवे का पुनर्जन्म.

सुरेश प्रभु, रेल मंत्री

फिर भी महंगाई बढ़ा गये प्रभु

अनाज व दालों की ढुलाई 10 फीसदी महंगी.

असर: आने वाले दिनों में खाद्य महंगाई बढ़ने की संभावना

एलपीजी की ढुलाई 0.8 फीसदी बढ़ा.

असर: सिलिंडर के भाव बढ़ सकते हैं.

आयरन ओर और स्टील की ढुलाई 0.8 फीसदी महंगी

असर : मेटल कंपनियों के मुनाफे पर पड़ेगा दबाव. सरिया की कीमतें बढ़ेंगी.

केरोसिन के फ्रेट रेट में 0.8 फीसदी का इजाफा. यूरिया की ढुलाई 10 फीसदी महंगी

असर: खेती की लागत बढ़ने के साथ खाद्य महंगाई बढ़ने का खतरा.

कोयले की 6.3 और सीमेंट की ढुलाई 2.7 फीसदी महंगी

असर: सीमेंट, पावर, और कोयला कंपनियों के मुनाफे पर बढ़ेगा दबाव

बदलेगी तसवीर

1. 1.11 लाख करोड़ रुपये का योजना बजट प्रस्तावित. पिछली बार की तुलना में करीब दोगुना

2. स्टेशन व ट्रेनों को निजी कंपनियों से पैसे लेकर नाम दिये जा सकेंगे

3. अगले पांच साल में पटरियों की लंबाई में 20} बढ़ोतरी, कुल लंबाई 1.38 लाख किमी होगी

4. बीएचयू में मालवीय जी के नाम

से रेल तकनीक पर रिसर्च

केंद्र बनेगा

5. देश में चार नये अनुसंधान केंद्र खुलेंगे. नयी यूनिवर्सिटी बनेगी

6. सेना के जवानों के लिए समाप्त

होगा वारंट सिस्टम

7. ऑनलाइन आवेदन प्रणाली के जरिये होगी भरती, ई-प्रोक्योरमेंट

8. अतुल्य भारत अभियान के लिए अतुल्य ट्रेन शुरू

9. कमोडिटी के आधार पर ढुलाई के लिए बनेंगे स्पेशल डिब्बे

10.किसानों के लिए किसानयात्रा की योजना

11. आइआरसीटीसी की साइट कई भाषाओं में

12. मुंबई में चलेंगी एसी लोकल ट्रेनें

एक्सपर्ट कमेंट: संतुलित बजट, सुधरेगी रेलवे की सेहत

इस बार का रेलवे बजट बेहद संतुलित है. खास बात यह भी है कि यात्रियों पर बोझ नहीं डाला गया है और नुकसान के रास्ते बंद करने की कोशिश की गयी है. इस बार किराया नहीं बढ़ने की बड़ी वजह डीजल की कीमतों में आयी कमी है, जबकि पहले जरूरी होने पर भी किराया नहीं बढ़ाये जाते थे. हालांकि कुछ घोषणाओं को पिछले फैसलों का ही विस्तार कहा जा सकता है, लेकिन रेलवे के विस्तार की रूपरेखा भी इस बजट में है. हर रेल बजट में बिना सोचे-समङो नयी ट्रेनों की घोषणा कर दी जाती थी, जबकि ट्रैकों के विस्तार पर जोर नहीं रहता था.

अच्छी बात है कि इस बार रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने समीक्षा करने के बाद नयी ट्रेनों की घोषणा करने की बात कही है. मौजूदा समय में डिमांड और सप्लाई में काफी अंतर है. क्षमता विस्तार किये बिना इसे नहीं पाटा जा सकता है.

बजट में एकल ट्रैकों के दोहरीकरण करने और जहां दोहरीकरण के बाद भी दबाव है, उसे बढ़ाने की बात कही गयी है, क्योंकि मौजूदा ट्रैकों पर ट्रेनों की संख्या इतनी अधिक हो गयी है कि अब इन पर और ट्रेनों का चलाना सुरक्षा से समझौता करना होगा. भारतीय रेल कई मायनों में अनूठी है.

रेलवे का जो प्लान है, उस पर कभी नुकसान नहीं हुआ है. रेलवे सरकार को डिविडेंड देता है. रेलवे की सबसे बड़ी समस्या रही है कि इंफ्रास्ट्रर का अपेक्षित विस्तार नहीं हो पाया. अब रेल मंत्री ने इंफ्रास्ट्रर बढ़ाने पर फोकस किया है. भारतीय रेल का आधुनिकीकरण विदेशी निवेश से नहीं हो सकता है. भारतीय रेल की मौजूदा तकनीक किसी यूरोपीय देश की तकनीक से कम नहीं है, लेकिन साल-दर-साल यहां की ट्रैकों पर अन्य देशों की तुलना में दबाव ज्यादा बढ़ता गया है. रेल मंत्री ने आधुनिकीकरण के लिए मेक इन इंडिया की बात कही है. उनका यह प्रयास स्वागतयोग्य है.

पहली बार रेलवे में बेसिक बदलाव की बात कही गयी है. सुरक्षा, सुविधा और सफाई पर खासा जोर दिया गया है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ ही मानव रहित रेलवे फाटकों पर अलार्म लगाने की बात कही है. सफाई के लिए वैक्यूम शौचालय लगाने के अलावा ट्रेन डिब्बों में डस्टबिन लगाने जैसी बात कही गयी है. यही नहीं, सफाई के लिए एक अलग संस्था का गठन किया जायेगा. संसाधन जुटाने के लिए निजी कंपनियों द्वारा अपने नाम पर स्टेशन रखने की बात कही गयी है. इन सकारात्मक कदमों से रेलवे को अतिरिक्त आय होना तय है.

पर्यटन स्थलों को ट्रेन सेवा से जोड़ने का लाभ भी रेलवे को मिलेगा. बजट में माल ढुलाई से आय बढ़ाने के लिए तय सीमा में डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर के निर्माण की बात अच्छी है. पीपीपी मॉडल पर योजनाओं को चलाने के लिए पारदर्शी व्यवस्था बनाने के साथ ही रेलवे के कामकाज को पटरी पर लाने के लिए विकेंद्रीकृत व्यवस्था अपनाने जैसे प्रयास रेलवे का कायाकल्प कर सकते हैं. बजट में कुछ लाइनों पर हाइस्पीड ट्रेन चलाने का फैसला भी सही है. रेल मंत्री ने 77 नयी परियोजनाओं की घोषणा की है, लेकिन उन्हें पहले से चली आ रही योजनाओं पर भी गौर करना होगा.

बजट में रेल मंत्री ने संसाधन जुटाने के उपाय भी सुझाये हैं. अगर इन पर काम सुचारु तौर से हो पाया तो रेलवे की स्थिति अगले पांच साल में काफी सुधर जायेगी. सशक्त रेल नेटवर्क देश की आर्थिक तरक्की में काफी सहयोग कर सकता है. रेल मंत्री ने रेलवे नेटवर्क का विस्तार कश्मीर से लेकर उत्तर-पूर्व तक करने की बात कही है. यह आम लोगों के हित में होने के साथ ही देश के लिए आर्थिक तौर भी फायदेमंद साबित होगा.

कुल मिला कर ऐसा लगता है कि भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह रेल बजट बनाया गया है. आम लोगों की बेहतर सुविधा प्रदान करने के साथ ही रेलवे की सेहत सुधारने की कवायद भी इस बजट में की गयी है.

(विनय तिवारी से बातचीत पर आधारित)

केसी जेना

पूर्व चेयरमैन रेलवे बोर्ड

दिशाहीन बजट, कोई कार्ययोजना नहीं

रेल बजट में कुछ भी नया नहीं है. डीजल के दाम में कमी आयी है, इसे देखते हुए यात्री किराये में कमी आनी चाहिए. काम का इरादा तो जताया गया है. लेकिन कोई कार्य योजना नहीं है. बिहार की रेल परियोजनाओं को पूरा करने की व्यवस्था हो. नीतीश कुमार, पूर्व रेल मंत्री

लीक से हट कर यात्री सुविधा पर बल

रेल बजट लीक से हटकर है. घोषणाओं के बजाय व्यवस्था सुधारने पर बल दिया गया है. रेल मंत्री का विशेष बल यात्रियों की सुविधा एवं सुरक्षा पर है. यात्री किराया में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं कर आमजनों को राहत देने का प्रयास किया गया है.

रघुवर दास, मुख्यमंत्री झारखंड

रेल परियोजनाओं के लिए झारखंड को 1022 करोड़

नयी दिल्ली: रेल बजट में पुरानी परियोजनाओं को पूरा करने पर विशेष ध्यान दिया गया है. ट्रैक के डबलिंग, ट्रिपलिंग जोर दिया गया है. बजट में झारखंड को 1022 करोड़, बिहार को 1725 करोड़, पश्चिम बंगाल को 2556 करोड़, उत्तर प्रदेश को 2003 करोड़, मध्य प्रदेश को 3376 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया गया है.

झारखंड में रांची-पतरातू के लिए 290 करोड़, बंडामुंडा-रांची के लिए 1660 करोड़, रामनगर-सिंगरौली के लिए 1600 करोड़, धनबाद-सोननगर के लिए 4500 करोड़ रुपये दिये जायेंगे. राउरकेला-झरमुंगम, खड़गपुर- आदित्यपुर, चक्रधरपर-गोल के लिए भी बजट का प्रावधान किया गया है. बिहार की कई लाइनों का दोहरीकरण करना है. इनमें दरभंगा-समस्तीपुर, गया-क्यूल, मुजफ्फरपुर-बछवारा शामिल हैं. इसके साथ ही मोकामा में राजेंद्र पुल को बनाने का प्रावधान है. कई नयी रेल लाइन के सर्वे का भी प्रस्ताव है.

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