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धरोहर: 72 साल से तराशी जा रही प्रतिभाएं

देवघर: संगीत के क्षेत्र में देवघर के वैद्यनाथ संगीतालय का गौरवमयी इतिहास रहा है. पांच जून 1942 को स्थापित इस संगीतालय ने 72 वर्ष के अंतराल में कई ऐसी संगीत प्रतिभा को निखारा है जिसने ना केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संगीत को नयी ऊंचाई प्रदान की है. यहां आर्थिक परेशानियों के बावजूद […]

देवघर: संगीत के क्षेत्र में देवघर के वैद्यनाथ संगीतालय का गौरवमयी इतिहास रहा है. पांच जून 1942 को स्थापित इस संगीतालय ने 72 वर्ष के अंतराल में कई ऐसी संगीत प्रतिभा को निखारा है जिसने ना केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संगीत को नयी ऊंचाई प्रदान की है.

यहां आर्थिक परेशानियों के बावजूद संगीतालय समिति के सदस्यों की देखरेख में संगीत की शिक्षा प्रदान की जा रही है. यहां के गुरुओं व शिष्यों ने अपनी मेहनत व लगन से भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य व वादन में अपनी प्रतिभा से देवघर का नाम रोशन किया है. वर्तमान में यहां लगभग 100 शिष्य संगीत की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

राज्य से नहीं मिला सहयोग

इस संगीतालय से जुड़े सदस्यों का कहना है राज्य गठन के बाद उम्मीद थी कि कला व संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए यहां आर्थिक व नैतिक सहयोग मिलेगा. कला व संस्कृति के लिए अलग से विभाग बनने के बाद भी जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि स्तर तक किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिला. समिति सदस्यों द्वारा संगीतालय के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आरंभ की जा रही है. सचिव मोतीलाल द्वारी ने बताया कि निगम के महापौर राजनारायण खवाड़े के प्रयास से पर्यटन विभाग से 11 लाख रुपये जीर्णोद्धार की राशि मिली है.

कलाकारों ने बनायी पहचान

सुप्रसिद्ध नर्तक पं बमशंकर मिश्र, महान तबला वादक पं प्रियनाथ खवाड़े, गायक पं बम बलियासे व पं फुच्चुमणि फलाहारी, शहनाई वादक चुन्नू खां व लल्लु खां, बांसुरी वादक नर नारायण फलाहारी व जयनारायण खवाड़े समेत कई कलाकार हैं जिनका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है और वे सभी वैद्यनाथ संगीतालय से जुड़े रहे.

वैद्यनाथ संगीतालय: एक परिचय

स्थापना : पांच जून, 1942

संस्थापक : जयनारायण खवाड़े, चतुरमणि नरौने, रामराज्य जजवाड़े, चंद्रदत्त द्वारी व नरेश प्रसाद झा

उद्देश्य : भारतीय शास्त्रीय संगीत गायन, वादन व नृत्य की शिक्षा

वर्तमान शिक्षक : विजय झा (शास्त्रीय गायन), राजकुमार विश्वकर्मा (कत्थक नृत्य), शंकर झा , अशोक सिन्हा व सुनील विश्वकर्मा (तबला), नंदेश्वर दत्त (वाद्य यंत्र), नारायण खवाड़े (गायन)

लिखित परीक्षा : सुंदरलाल झा

शिक्षा : प्रयाग संगीत समिति द्वारा कक्षा एक से स्नातकोत्तर

सदस्य : सचिव : मोतीलाल द्वारी, अध्यक्ष : प्रो रुपनारायण फलाहारी, उपाध्यक्ष: पूरणशंकर फलाहारी, उपमंत्री: सर्वेश्वर दत्त द्वारी, कोषाध्यक्ष: सुनील कुमार बलियासे, अंकेक्षक व कानूनी सलाहकार: कृष्णधन खवाड़े, प्रमुख सदस्य: शारदा प्रसाद पंडित, चंद्रमणि नरौने, मुकुल दत्त द्वारी, राजनारायण खवाड़े (संगीत शिक्षक), किशोरी लाल मिश्र, गरीबनाथ मिश्र आदि.

संगीत में रोजगार से लेकर लोकप्रियता तक अनंत संभावनाएं हैं. वैद्यनाथ संगीतालय द्वारा कई प्रतिभाओं को निखारने का मौका दिया है. आगे भी संगीत के क्षेत्र में यह प्रयास जारी रहेगा.

-मोतीलाल द्वारी, सचिव

आज कलाकार के लिए संगीत के साथ आर्थिक सहयोग की भी जरूरत है. संगीतालय को यदि आर्थिक सहायता मिले तो भविष्य में यहां प्रतिभाओं को निखारने का मौका मिलेगा.

-सुनील कुमार बलियासे, कोषाध्यक्ष

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