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भारतीय क्रिकेट के लौहपुरुष नायडू, 68 साल की उम्र में भी थामे रखा था बल्ला

इंदौर : क्रिकेट इतिहास में सीके नायडू हालांकि भारत के पहले टेस्ट कप्तान के रुप में दर्ज हैं. लेकिन उन्हें अपने समय के सबसे फिट खिलाड़ी के रुप में भी याद रखा जा सकता है. नायडू 68 बरस की उम्र तक अपने हाथों में बल्‍ला थामे रखा. सेहत और जिंदगी में सख्त अनुशासन अपनाने वाले […]

इंदौर : क्रिकेट इतिहास में सीके नायडू हालांकि भारत के पहले टेस्ट कप्तान के रुप में दर्ज हैं. लेकिन उन्हें अपने समय के सबसे फिट खिलाड़ी के रुप में भी याद रखा जा सकता है. नायडू 68 बरस की उम्र तक अपने हाथों में बल्‍ला थामे रखा.

सेहत और जिंदगी में सख्त अनुशासन अपनाने वाले नायडू का 72 वर्ष की उम्र में निधन हुआ था. यानी दुनिया से कूच करने के चार साल पहले तक वह मैदान में डटे रहे थे. भारतीय क्रिकेट के लौहपुरुष कहलाने वाले नायडू ने ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर जब वर्ष 1932 में पहली बार टेस्ट मैच खेलने वाली भारतीय टीम की इंग्लैंड के खिलाफ अगुआई की, तब उनकी उम्र 37 साल थी. आजकल के ज्यादातर क्रिकेटरों को फिटनेस की समस्या के चलते इस उम्र में खेल को अलविदा कहना पडता है.

क्रिकेट इतिहास के जानकार सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने बताया, नायडू ने इंदौर के यशवंत क्लब में एक मैच के दौरान होलकर टीम की ओर से खेलते हुए बडौदा के खिलाफ जब दोहरा शतक जड़ा, तब उनकी उम्र 50 के पार हो चुकी थी. उस वक्त वह अपने से आधी उम्र के क्रिकेटरों के साथ मैदान पर थे.

भारतीय क्रिकेट में नायडू का अहम योगदान यह भी है कि उन्होंने देश के खिलाडियों को आक्रामक देहभाषा का ककहरा सिखाया, जिससे विरोधी खेमे के हौसले पस्त हो जाते थे. यह और बात है कि भद्र जनों के खेल में नायडू के समय देहभाषा से जुडे मनोवैज्ञानिक पैंतरों पर ज्यादा चर्चा नहीं होती थी.

चतुर्वेदी बताते हैं, नायडू टेस्ट मैचों में बिजली की तेजी से रन जडते थे. मैच के दौरान एक कप्तान के रुप में उनकी चाल..ढाल, हाव..भाव और बात करने का तरीका एकदम आक्रामक था, जिसका विरोधी टीम पर तगडा असर पडता था. 31 अक्तूबर 1895 को नागपुर में जन्मे नायडू ने भारत की ओर से कुल सात टेस्ट मैच खेले. उन्होंने इन मैचों में दो अर्धशतकों की मदद से 350 रन बनाये और नौ विकेट भी लिये.

भारतीय क्रिकेट के इस महान ऑलराउंडर ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 207 मैचों में 35.94 के औसत से 11,825 रन जडे, जबकि 411 विकेट चटकाये. नायडू ने अपनी कर्मभूमि इंदौर में 14 नवंबर 1967 को आखिरी सांस ली थी.

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